
कर्नाटक में जातिगत जनगणना पर खरगे की चेतावनी
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार को जातिगत जनगणना को लेकर साफ और कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को बेहद सावधानी और जिम्मेदारी से किया जाए ताकि राहुल गांधी की छवि को कोई आंच न आए।
खरगे का यह बयान तब आया जब कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक में दो साल पूरे होने पर होसपेट में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया था। मंच पर राहुल गांधी, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और अन्य कैबिनेट मंत्री भी मौजूद थे।
क्या कहा खरगे ने?
खरगे ने सार्वजनिक रूप से कहा:
“जातिगत जनगणना ज़रूर करें, लेकिन इसे इतनी समझदारी से करें कि राहुल गांधी का नाम कहीं गलत तरीके से न लिया जाए। अगर काम करने का श्रेय चाहिए, तो काम ऐसा हो जो राज्य के लिए फायदेमंद हो, न कि नुकसानदेह।”
क्यों दी गई ये चेतावनी?
जातिगत सर्वेक्षण अब सिर्फ राज्य का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय बहस बन चुका है। केंद्र सरकार भी इस मुद्दे पर गंभीर होती दिख रही है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व नहीं चाहता कि कर्नाटक में किसी भी तरह की प्रक्रिया की चूक से पूरे देश में पार्टी की छवि को धक्का पहुंचे।
किन समुदायों को है आपत्ति?
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वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत जैसे बड़े समुदायों ने सर्वे की वैधता पर सवाल उठाए हैं।
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उनका कहना है कि सर्वे अवैज्ञानिक और पक्षपाती है, और इसे रद्द कर दोबारा करवाया जाए।
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कांग्रेस पार्टी के अंदर से भी इस प्रक्रिया को लेकर विरोध के सुर उठने लगे हैं।
खरगे ने उठाया ‘बेडा जंगमा’ विवाद
खरगे ने बेडा जंगमा समुदाय को अनुसूचित जाति (SC) में शामिल करने पर भी सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा कि यह समुदाय पहले 500 लोगों का था, अब आंकड़े 4-5 लाख कैसे पहुंच गए? उन्होंने इसे दलितों के अधिकारों पर चोट बताया और फर्जी जाति प्रमाणपत्रों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
केंद्र सरकार पर भी साधा निशाना
खरगे ने कहा कि केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना पर केवल इसलिए सहमति दी है क्योंकि कांग्रेस और राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लगातार राष्ट्रीय मंच पर उठाया। उन्होंने दावा किया कि “यह राहुल गांधी की दृढ़ता और पार्टी के दबाव का ही परिणाम है।”
कर्नाटक में जातिगत सर्वेक्षण केवल एक आंकड़ा इकट्ठा करने की कवायद नहीं रह गया है। यह अब राजनीतिक और सामाजिक संवेदनशीलता से जुड़ा मामला बन चुका है। मल्लिकार्जुन खरगे का बयान साफ तौर पर यह दिखाता है कि कांग्रेस नेतृत्व अब किसी भी तरह की राजनीतिक चूक की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहता, खासकर जब राहुल गांधी की छवि दांव पर हो।
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