Singham Again Movie Review: रोहित शेट्टी द्वारा निर्देशित ‘सिंघम अगेन’ दर्शकों को एक बार फिर सिंघम की दुनिया में ले जाती है। अजय देवगन के दमदार अभिनय और एक्शन से भरपूर दृश्यों की उम्मीद लेकर दर्शक सिनेमाघरों तक पहुंचे, लेकिन फिल्म आखिरकार दर्शकों को एक अधूरी और कमजोर कहानी देकर निराश कर देती है।
Singham Again Movie Review की कहानी: पुराने ढर्रे पर नई कोशिश
फिल्म की कहानी एक आदर्शवादी पुलिस अधिकारी बाजीराव सिंघम (अजय देवगन) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ लड़ाई लड़ता है। ‘सिंघम अगेन’ में सिंघम का सामना एक शक्तिशाली अपराधी और उसके राजनीतिक गठजोड़ से होता है। हालांकि, कहानी में दमदार ट्विस्ट और टर्न्स की उम्मीद करने वाले दर्शकों को निराशा हाथ लगती है क्योंकि कहानी रामायण जैसे पौराणिक संदर्भों को बार-बार सतही ढंग से जोड़ने की कोशिश करती है।
फिल्म में ‘रामायण ट्रेल’ का जिक्र बार-बार होता है, जो इसे एक्शन फिल्म से अधिक एक प्रचार सामग्री जैसा बना देता है। बेशक, निर्देशक का उद्देश्य रामायण के आदर्शों को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करना हो सकता है, लेकिन यह प्रयास प्रभावी होने के बजाय थोपे गए प्रचार जैसा लगता है।
अभिनय: अजय देवगन का जलवा, बाकी फीके
अजय देवगन ने हमेशा की तरह अपने किरदार को पूरी शिद्दत से निभाया है। उनका गुस्सा, उनकी संवाद अदायगी और उनकी स्क्रीन प्रेजेंस सिंघम के किरदार को जीवंत बनाते हैं। लेकिन फिल्म के बाकी कलाकार, जैसे करीना कपूर, रणवीर सिंह, और अक्षय कुमार, सीमित स्क्रीन समय और कमजोर लेखन के कारण अपनी छाप छोड़ने में असफल रहते हैं।
करीना कपूर का किरदार फिल्म में केवल ग्लैमर जोड़ने के लिए है, और रणवीर सिंह तथा अक्षय कुमार की मौजूदगी बस एक गेस्ट अपीयरेंस तक सिमट कर रह जाती है।
एक्शन और तकनीकी पक्ष: केवल स्टाइल, बिना गहराई
रोहित शेट्टी के निर्देशन में एक्शन दृश्य हमेशा बेहतरीन रहे हैं। ‘सिंघम अगेन’ में भी कार के उड़ने और बड़े पैमाने पर फिल्माए गए फाइट सीक्वेंस प्रभावित करते हैं। लेकिन ये दृश्य फिल्म की कमजोर कहानी को छुपा नहीं पाते।
कैमरा वर्क और सिनेमैटोग्राफी फिल्म के भव्य स्वरूप को दिखाने में सफल रहती है। हालांकि, बैकग्राउंड म्यूजिक जरूरत से ज्यादा लाउड है, जो कई दृश्यों को अनावश्यक रूप से नाटकीय बना देता है।
कमजोरियां: कहानी और लेखन का अभाव
‘सिंघम अगेन’ की सबसे बड़ी कमी इसकी कमजोर कहानी और ढीला पटकथा लेखन है।
- पुनरावृत्ति:
फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं जो पिछले सिंघम सीक्वल्स की याद दिलाते हैं। एक्शन, संवाद, और घटनाएं पहले देखी-सुनी लगती हैं। - थोपे गए पौराणिक संदर्भ:
रामायण जैसे महाकाव्य का जिक्र बिना किसी ठोस आधार के कहानी में घुसाया गया है। यह न केवल फिल्म की गति को धीमा करता है, बल्कि कहानी के मुख्य उद्देश्य से ध्यान भटकाता है। - भावनात्मक गहराई की कमी:
फिल्म में नायक और खलनायक के बीच के संघर्ष को गहराई देने की कोशिश की गई है, लेकिन इसमें भावनात्मक जुड़ाव की कमी महसूस होती है।
फिल्म का संदेश: अधूरा और अस्पष्ट
रोहित शेट्टी ने फिल्म में भ्रष्टाचार, सामाजिक न्याय और नैतिकता जैसे मुद्दों को छूने की कोशिश की है। हालांकि, इन विषयों को गहराई से दिखाने के बजाय वे सतही ढंग से छूते हैं। रामायण के आदर्शों को आधुनिक समाज में लाने का विचार अच्छा हो सकता था, लेकिन इसे फिल्म में प्रभावी तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया।
क्या दर्शकों को देखनी चाहिए यह फिल्म?
‘सिंघम अगेन’ उन दर्शकों को पसंद आ सकती है जो बड़े पर्दे पर केवल एक्शन और ड्रामा देखने जाते हैं। हालांकि, जो दर्शक कहानी और नएपन की उम्मीद कर रहे हैं, उनके लिए यह फिल्म निराशाजनक हो सकती है।
फिल्म के अच्छे हिस्से इसके एक्शन दृश्य और अजय देवगन की दमदार उपस्थिति हैं। लेकिन कमजोर कहानी, सतही लेखन और बाकी कलाकारों के अधूरे किरदार इसे औसत फिल्म बनाते हैं।
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