
Eid Ul-Adha 2025: बकरीद 2025 कब है? क्यों मनाई जाती है कुर्बानी वाली ईद !
Eid Ul-Adha 2025: ईद –उल –अजहा मुस्लिम समुदाय का एक बहुत बड़ा त्योहार माना जाता है। ईद –उल –अजहा को बकरीद और कुर्बानी वाली ईद भी कहते हैं। 2025 में बकरीद 6 जून से लेकर 10 जून तक मनाई जा सकती है। यह त्योहार ईद की नमाज से शुरू होकर कुर्बानी के साथ खत्म होता है। आईए जानते हैं ईद –उल –अजहा कैसे मनाई जाती है और क्यों मनाई जाती है।
Eid Ul-Adha 2025
ईद –उल –अजहा एक इस्लामी त्यौहार है जिसे बकरीद भी कहा जाता है
। इस त्यौहार में सभी मुस्लिम समुदाय के लोग पैगंबर इब्राहिम के एक बहुत बड़े बलिदान को याद करते हैं, जिसमें वह अल्लाह के हुकुम देने पर अपने बेटे स्माइल की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे। जब वह अपने बेटे की कुर्बानी देने गए तो अंत में अल्लाह ने उनके बेटे को बक्श दिया और उसकी जगह एक मेंढा भेज दिया।
तब से लेकर आज तक प्रत्येक वर्ष ईद –उल –अजहा की मौके पर बकरी की बलि दी जाती है। मान्यता है कि बकरी को पहले खरीदा जाता है और अपने ही पुत्र के जैसे लाड प्यार करके और अच्छे से खिलाकर उससे बड़ा किया जाता है, और अंत में उसकी बलि दे दी जाती है।
बकरीद कब है?
सूत्रों के अनुसार सऊदी अरब में चांद दिखने के बाद ही बकरीद ( ईद –उल –अजहा) की तारीख पक्की की जाती है। 2025 में सऊदी अरब में 27 मई को जुल – हिज्जे का चांद दिखाई देगा, इसके बाद सऊदी अरब में 6 जून को बकरीद मनाई जाएगी। और बात करें भारत की तो भारत में बकरीद यानी ईद –उल –अजहा का त्योहार 7 जून को मनाया जाएगा।
बकरीद का इतिहास
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, एक बार की बात है जब हजरत इब्राहिम के सपनों में अल्लाह का एक संदेश आया था, उन्होंने कहा कि उनको अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करना है। हजरत इब्राहिम आल्हा में काफी विश्वास रखा करते थे, इसीलिए उन्होंने अपने आए हुए सपने कौन देखा ना करके उस अल्लाह का संदेश माना। हजरत इब्राहिम की सबसे प्रिय चीज थी उनका बेटा। उन्होंने अपने ही बेटे को कुर्बान करने का फैसला लिया।
जब अल्लाह ने देखा कि इब्राहिम सच में अपनी सबसे प्यारी चीज को उनके लिए कुर्बान करने को तैयार है, तो उन्होंने कुर्बानी के समय उनके बेटे की जगह एक जानवर को रख दिया। इसके बाद उसे जानवर को कुर्बानी के तौर पर इस्तेमाल किया गया। तब से लेकर आज तक बकरीद के मौके पर बकरी को कुर्बान करने की परंपरा शुरू हो गई।
ईद की नमाज क्या होती है?
बकरीद की शुरुआत ईद की नमाज से होती है। ईद की नमाज एक तरीके की खास प्रार्थना होती है जो ईद के दिन पढ़ी जाती है। नमाज पढ़ते हुए सभी मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह को शुक्रिया अदा करते हैं और दुआ मांगते हैं। वह दुआ मांगते हैं कि वह भी पैगंबर इब्राहिम की तरह एक नेक और अल्लाह के प्रति वफादार और आगे क्या रही इंसान बने।
कुर्बानी क्या होती है?
ईद –उल –अजहा यानी बकरीद के दिन भेड़ ,बकरी, बेल या ऊंट की बली दी जाती है। परंपराओं के अनुसार कुर्बानी हल तरीके से दी जाती है। इसके बाद उसे कुर्बानी के तीन हिस्से होते हैं।
- पहला हिस्सा: पहला हिस्सा गरीबों के लिए रखा जाता है। बकरीद के दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना सबसे ज्यादा जरूरी और अनिवार्य माना जाता है।
- दूसरा हिस्सा: गरीबों और जरूरतमंदों के बाद दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए रखा जाता है।
- तीसरा हिस्सा: जरूरतमंद लोगों और रिश्तेदारों के बाद तीसरा हिस्सा रखा जाता है अपने खुद के घर के लिए। अंत में सभी घर के व्यक्ति आपस में मिल बात कर बकरी को प्रसाद की तौर पर कहते हैं।
बकरीद के दिन इन बातों का ध्यान रखें!
- ईद –उल –अजहा के दिन किसी से भी लड़ाई और बाद विवाद में नहीं पढ़ना चाहिए।
- घर की महिलाओं और बूढ़े लोगों का सम्मान करना चाहिए। इस दिन गलती से भी उनको अपमानित नहीं करना चाहिए।
- अल्लाह के नाम का ध्यान करना चाहिए।
- अपने मन में किसी के लिए गलत सोच और ईशा नहीं पालनी चाहिए।
- अल्लाह के लिए वफादार और घर की सुख शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
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