
Ankita Bhandari Murder Case: दोषियों को उम्रकैद, परिजनों ने की फांसी की मांग, हाईकोर्ट जाने का ऐलान
उत्तराखंड के बहुचर्चित Ankita Bhandari Murder Case में कोर्ट का फैसला आ चुका है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (ADJ) रीना नेगी की अदालत ने तीनों दोषियों — पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत कठोर उम्रकैद और ₹50,000 के जुर्माने की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, अन्य धाराओं में भी उन्हें सजा दी गई है।
अंकिता की मां का दर्द: “उन्हें फांसी मिलती तो आत्मा को शांति मिलती”
फैसले के बाद कोर्ट के बाहर का माहौल बेहद भावुक था। अंकिता की मां सोनी देवी फूट-फूटकर रो पड़ीं। उन्होंने मीडिया से कहा, “मैं इस सजा से संतुष्ट नहीं हूं। मेरी बेटी की आत्मा को शांति शायद मिली हो, लेकिन इंसाफ अधूरा है। हत्यारों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी।” उन्होंने साफ किया कि अब वे इस फैसले को Uttarakhand High Court में चुनौती देंगी।
पिता वीरेंद्र सिंह बोले: “मौत के बदले मौत ही इंसाफ होता”
अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह ने भी कोर्ट के फैसले पर असंतोष जताया। उन्होंने कहा, “हमारी बेटी को जिस बेरहमी से मारा गया, उसका बदला सिर्फ death sentence हो सकता था। हम इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे और High Court में अपील करेंगे।”
कोर्ट ने माना: एक्स्ट्रा सर्विस का दबाव बना रहे थे आरोपी
अभियोजन पक्ष ने अदालत में बताया कि अंकिता भंडारी एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम कर रही थी, जहां उस पर extra service (अनैतिक कार्य) के लिए दबाव बनाया जा रहा था। जब उसने इसका विरोध किया और नौकरी छोड़ने की बात की, तो आरोपी उसे घूमने के बहाने बाहर ले गए। लेकिन वह वापस रिसॉर्ट नहीं लौटी।
छह दिन बाद उसका शव ऋषिकेश के पास चीला नहर से बरामद हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और परिस्थितिजन्य साक्ष्य से यह साबित हुआ कि उसकी हत्या जानबूझकर की गई थी।
IPC और अन्य कानूनों के तहत मिली सजा
तीनों आरोपियों को निम्नलिखित धाराओं में सजा सुनाई गई:
- IPC 302 (हत्या) – कठोर आजीवन कारावास और ₹50,000 जुर्माना
- IPC 201 (साक्ष्य मिटाना) – 5 साल कठोर कारावास और ₹10,000 जुर्माना
- Unethical Trafficking Act – 5 साल कारावास और ₹2,000 जुर्माना
- पुलकित आर्य को IPC 354A (छेड़खानी) में भी दोषी पाया गया, जिसके तहत उसे 2 साल की सजा और ₹10,000 जुर्माने की सजा मिली।
Ankita Bhandari Murder Case: गवाही और साक्ष्य
इस केस की सुनवाई करीब 8 महीने चली। कोर्ट में 47 गवाहों की गवाही कराई गई, जबकि 260 से अधिक साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। अभियोजन की ओर से 130 दस्तावेजी साक्ष्य और 106 वस्तु साक्ष्य पेश किए गए। वहीं, बचाव पक्ष की ओर से केवल 4 गवाह और 9 दस्तावेज रखे गए।
अदालत ने 160 पेज में अपना फैसला लिखा और अभियोजन पक्ष की दलीलों को अधिक मजबूत मानते हुए तीनों को दोषी करार दिया।
माता-पिता को 4 लाख रुपये मुआवजा
अदालत ने सरकार को आदेश दिया है कि मृतका के माता-पिता को ₹4 लाख का प्रतिकर दिया जाए।
सुरक्षा व्यवस्था और कोर्ट कार्यवाही
फैसले के दिन कोर्ट परिसर में भारी सुरक्षा तैनात की गई थी। तीनों आरोपियों को जेल से लाकर कोर्ट में पेश किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी और अभियोजन अधिकारी राजीव डोभाल मौजूद रहे। वहीं बचाव पक्ष की ओर से जितेंद्र सिंह रावत ने बहस की।
हाईकोर्ट की तैयारी
फैसले से असंतुष्ट अंकिता के परिजनों ने स्पष्ट किया है कि वे जल्द ही Uttarakhand High Court appeal करेंगे। उनका कहना है कि इस केस में सिर्फ आजीवन कारावास से न्याय नहीं हुआ है।
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