
मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में स्थित बैसरन घाटी (Baisaran Valley) एक खूबसूरत पर्यटन स्थल से खून से लथपथ रणभूमि में बदल गई
Baisaran Valley Terrorist Attack: मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में स्थित बैसरन घाटी (Baisaran Valley) एक खूबसूरत पर्यटन स्थल से खून से लथपथ रणभूमि में बदल गई। यह हमला पिछले 6 वर्षों में सबसे बड़ा आतंकी हमला (Biggest Terrorist Attack in Kashmir) बताया जा रहा है। इस खौफनाक हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन The Resistance Front (TRF) ने ली है। हमले में चार से पांच पर्यटक गोली लगने से गिर पड़े, जिनमें दो विदेशी नागरिक भी शामिल थे – एक नेपाल और एक सऊदी अरब का पर्यटक।
हमले की भयावहता: चश्मदीदों की जुबानी
घटना के चश्मदीदों ने बताया कि आतंकियों ने दुकानों से थोड़ी दूरी पर झाड़ियों के पीछे से फायरिंग शुरू की। गोलियों की आवाज सुनकर आस-पास के लोग वहां पहुंचे और घायलों को बचाने की कोशिश की। स्थानीय दुकानदारों और घोड़े वालों ने मिलकर घायलों को अस्पताल पहुंचाया। यह हमला केवल टूरिज्म को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं किया गया था, बल्कि इसका उद्देश्य सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ना भी था।
कौन है Sheikh Sajjad Gul: TRF का मास्टरमाइंड
TRF के पीछे जो शख्स है, उसका नाम है Sheikh Sajjad Gul, जो श्रीनगर का रहने वाला था लेकिन अब Pakistan में छिपा बैठा है। यही व्यक्ति TRF का ऑपरेशनल हेड है और पाकिस्तान से बैठे-बैठे जम्मू-कश्मीर में दहशत फैलाने की साजिश रचता है।
TRF और पाकिस्तान का नापाक गठजोड़
The Resistance Front (TRF) की शुरुआत 2019 में Article 370 हटने के बाद हुई थी। इसका गठन लश्कर ए तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के लिए एक कवर ऑर्गनाइजेशन (Cover Organization) की तरह किया गया ताकि पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर ना आए। TRF का मकसद भारत में टारगेट किलिंग करना, गैर-कश्मीरियों को डराना और जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाना है।
गृह मंत्रालय ने मार्च में राज्यसभा में बताया था कि TRF एक Front Organization of Lashkar-e-Taiba है और इसका गठन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के सहयोग से हुआ था।
TRF की आतंकी गतिविधियां और आकड़े
2022 में जम्मू-कश्मीर पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने 90 से ज्यादा ऑपरेशनों में 172 आतंकियों को मार गिराया था, जिनमें से सबसे ज्यादा आतंकी TRF और लश्कर से जुड़े हुए थे। यही नहीं, उस साल 100 में से 74 आतंकी TRF द्वारा भर्ती किए गए थे। इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान समर्थित यह संगठन कश्मीर में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
90 के दशक की याद दिलाता TRF का आतंक
TRF का टारगेट किलिंग का तरीका कश्मीर में 90 के दशक का आतंक दोहराने की कोशिश लगती है। TRF विशेष रूप से गैर-कश्मीरियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाता है। बीजेपी कार्यकर्ता फिदा हुसैन, उमर रशीद बैग और उमर हजाम की हत्या TRF के ही आतंकियों ने की थी।
Baisaran Valley Terrorist Attack: हमले के समय का राजनीतिक अर्थ
यह हमला उस समय हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब दौरे पर थे और अमेरिका के उपराष्ट्रपति JD Vance भारत में मौजूद थे। ऐसे समय में आतंकी हमला होना यह संकेत देता है कि यह सिर्फ एक हमला नहीं बल्कि एक राजनीतिक टाइमिंग पर आधारित रणनीति भी है। आतंकियों ने जानबूझकर इस समय को चुना ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को अस्थिर दिखाया जा सके।
भारत की प्रतिक्रिया और आगे की राह
अब देश की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भारत सरकार इस आतंकी हमले का जवाब कैसे देती है। TRF जैसे संगठनों को केवल सैन्य ताकत से नहीं बल्कि साइबर, इकोनॉमिक और डिप्लोमैटिक फ्रंट पर भी जवाब देना जरूरी हो गया है।
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