
Bibek Debroy Passes Away
आर्थिक जगत के दिग्गज Bibek Debroy Passes Away का निधन: एक महान अर्थशास्त्री और विद्वान की कहानी
भारत के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, लेखक और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का 1 नवंबर, 2024 को 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था, बल्कि ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपूरणीय क्षति हुई है।
Bibek Debroy Passes Away का जीवन परिचय
Bibek Debroy का जन्म 25 जनवरी, 1955 को हुआ था। वे भारतीय अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और कई दशकों से विभिन्न भूमिकाओं में देश की सेवा कर रहे थे। अर्थशास्त्र में उनकी गहरी पकड़ और नीतिगत मामलों पर उनकी समझ ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई।
देबरॉय ने भारतीय प्रशासनिक ढांचे में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बने। इससे पहले वे नीति आयोग के सदस्य भी थे, जहां उन्होंने भारत की आर्थिक नीतियों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शिक्षा और करियर
बिबेक देबरॉय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में पूरी की और बाद में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अर्थशास्त्र में अपनी शिक्षा को गहराई से समझा और इसे अपने करियर का आधार बनाया।
वे अर्थशास्त्र के साथ-साथ संस्कृत और भारतीय साहित्य के भी विद्वान थे। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें न केवल एक कुशल अर्थशास्त्री, बल्कि एक महान शिक्षाविद और लेखक भी बनाया।
आर्थिक योगदान
बिबेक देबरॉय ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत और स्थिर बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने भारतीय रेल, सरकारी उद्यमों और विभिन्न आर्थिक सुधारों पर गहन शोध किया। उनका ध्यान न केवल देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर था, बल्कि गरीब और वंचित वर्गों की बेहतरी के लिए भी उन्होंने कई नीतियां सुझाईं।
उनके द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट्स और सुझावों ने कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाए। वे भारत के जीडीपी और रोजगार नीति पर किए गए गहन विश्लेषण के लिए भी जाने जाते हैं।
संस्कृत के प्रति लगाव
आर्थिक मामलों के अलावा, बिबेक देबरॉय भारतीय संस्कृति और परंपरा के प्रति भी गहरी रुचि रखते थे। उन्होंने भगवद्गीता, वेद, उपनिषद, और पुराण जैसे ग्रंथों का अंग्रेजी में अनुवाद किया। उनका उद्देश्य था कि इन प्राचीन ग्रंथों की गूढ़ शिक्षाएं और ज्ञान दुनिया भर के लोगों तक पहुंचे।
उनका अनुवाद कार्य भारतीय साहित्य और संस्कृति को आधुनिक समय में प्रासंगिक बनाने का प्रयास था। यह उनके व्यक्तित्व के उस पक्ष को दर्शाता है, जहां वे केवल एक अर्थशास्त्री नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा और संस्कृति के प्रचारक भी थे।
प्रकाशित कार्य और लेखन
बिबेक देबरॉय ने कई किताबें लिखीं, जिनमें अर्थशास्त्र, भारतीय प्रशासन और प्राचीन साहित्य शामिल हैं। उनकी कुछ प्रमुख कृतियां निम्नलिखित हैं:
- महाभारत का अनुवाद: उन्होंने संपूर्ण महाभारत को अंग्रेजी में अनुवादित किया। यह कार्य लगभग एक दशक तक चला और इसे साहित्य जगत में बहुत सराहा गया।
- आर्थिक विकास पर लेखन: भारतीय रेल और आर्थिक नीतियों पर उनकी रिपोर्ट्स ने कई सरकारों को अपने फैसले बदलने पर मजबूर किया।
उनकी लेखन शैली में जटिल विषयों को सरल और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने की क्षमता थी, जो उन्हें पाठकों के बीच लोकप्रिय बनाती थी।
व्यक्तिगत जीवन और आदर्श
बिबेक देबरॉय का जीवन सादगी और अनुशासन का उदाहरण था। वे अपने काम को ही पूजा मानते थे और हर कार्य को पूरी लगन और समर्पण से करते थे। उनका मानना था कि भारतीय संस्कृति और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाकर ही देश को उन्नति के रास्ते पर आगे बढ़ाया जा सकता है।
उनकी ज्ञान की प्यास और सीखने की चाहत ने उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाई। वे अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
उनका निधन: एक युग का अंत
1 नवंबर, 2024 को बिबेक देबरॉय का निधन पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके जाने से न केवल आर्थिक जगत, बल्कि भारतीय संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में भी शून्यता आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि “देबरॉय न केवल एक महान अर्थशास्त्री थे, बल्कि वे एक सच्चे भारतीय थे, जो अपनी संस्कृति और परंपरा से गहराई से जुड़े हुए थे।”
देबरॉय की विरासत
बिबेक देबरॉय की विरासत केवल उनके लिखित कार्यों और आर्थिक नीतियों तक सीमित नहीं है। उन्होंने भारतीय समाज को यह दिखाया कि कैसे आधुनिक विज्ञान और प्राचीन ज्ञान को एक साथ लाकर समाज को बेहतर बनाया जा सकता है।
उनकी नीतियां, उनके अनुवाद, और उनकी शिक्षा प्रणाली पर आधारित दृष्टिकोण हमेशा याद रखे जाएंगे।
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