भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 92 वर्ष की आयु में दिल्ली के AIIMS में 27 दिसंबर, 2024 को हुआ। उनके निधन के बाद से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। डॉ. सिंह ने न केवल भारत को दो कार्यकालों तक प्रधानमंत्री के रूप में नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि उन्होंने वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान भी देश को स्थिरता और समृद्धि की ओर मार्गदर्शन किया। उनका योगदान देश की आर्थिक नीतियों, वित्तीय प्रबंधन, और विकास के लिए अविस्मरणीय रहेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 27 दिसंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के स्थान के बारे में विशेष अनुरोध किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार उस स्थान पर किया जाए, जहां उनके सम्मान में एक स्थायी स्मारक बनाया जा सके। यह अनुरोध प्रधानमंत्री मोदी से उनकी टेलीफोनिक बातचीत के बाद किया गया था।
पत्र में की गई प्रमुख बातें
खड़गे ने अपने पत्र में लिखा कि डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति के एक महान व्यक्तित्व थे, जिनकी न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गहरी इज्जत थी। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. सिंह की उपलब्धियाँ और योगदान असाधारण थे और उनका नाम भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में हमेशा याद रखा जाएगा। खड़गे ने डॉ. सिंह के आर्थिक ज्ञान की सराहना की, जो भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार, और अन्य विभिन्न संस्थाओं में उनके कार्यकाल से आया था।
“Today, Congress President Mallikarjun Kharge spoke to the Prime Minister and Home Minister over the phone and wrote a letter and requested to have the funeral of Dr. Manmohan Singh at a place where his memorial can be built”, tweets Indian National Congress pic.twitter.com/4Cr3MMoUDZ
— ANI (@ANI) December 27, 2024
वैश्विक मान्यता और प्रतिष्ठा
खड़गे ने यह भी उल्लेख किया कि डॉ. सिंह का प्रभाव वैश्विक स्तर पर भी महसूस किया गया था। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का हवाला दिया, जिन्होंने कहा था कि जब भी भारतीय प्रधानमंत्री बोलते हैं, तो पूरी दुनिया सुनती है। यह टिप्पणी डॉ. सिंह के वैश्विक सम्मान और उनके निर्णयों की परिपक्वता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
भारत को आर्थिक संकट से उबारने का योगदान
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी याद किया कि जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तब डॉ. मनमोहन सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की दृढ़ नेतृत्व क्षमता ने भारत को इस संकट से बाहर निकाला और देश को आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर किया। खड़गे ने कहा कि आज भारत को जो आर्थिक मजबूती और स्थिरता मिली है, वह उसी समय की दी गई मजबूत नीतियों का परिणाम है।
पार्टी से लेकर देश तक, सभी में श्रद्धा का माहौल
कांग्रेस पार्टी सहित समूचे देश में डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान की कद्र की जाती है। उन्होंने एक ऐसे नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई, जो हमेशा शांत और संयमित रहते हुए भी देश के लिए कठिन निर्णय लेने से पीछे नहीं हटते थे। उनका नेतृत्व भारत के आर्थिक सुधारों के एक सुनहरे युग का प्रतीक बन चुका है। खड़गे ने पत्र में यह भी कहा कि डॉ. सिंह का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। विभाजन के समय उनका परिवार भी मुश्किलों का सामना कर चुका था, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे सम्मानित नेताओं में अपनी जगह बनाई।
समर्पण और मेहनत का प्रतीक
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन संघर्ष, समर्पण और मेहनत का प्रतीक है। वह एक साधारण परिवार से आते हुए भी अपनी कड़ी मेहनत और नेतृत्व क्षमता के बल पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बने। खड़गे ने उनकी कड़ी मेहनत और साहस की सराहना करते हुए यह उम्मीद जताई कि उनका अंतिम संस्कार एक ऐसे स्थान पर किया जाएगा, जो उनके योगदान और जीवन को सम्मानित करने के लिए एक स्थायी स्मारक बन सके।
समारक की आवश्यकता
पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में एक स्मारक बनाए जाने की आवश्यकता को खड़गे ने जोर देकर कहा। वह मानते हैं कि यह स्मारक न केवल डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को याद रखने का एक तरीका होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके समर्पण और नीतिगत दृष्टिकोण से प्रेरित भी करेगा। यह समारक भारतीय राजनीति के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो न केवल उनके काम की गवाही देगा, बल्कि देश को उनके विज़न और नेतृत्व की याद भी दिलाएगा।