
वक्फ संशोधन बिल पर विवाद
संसद में वक्फ संशोधन बिल को लेकर जोरदार बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट में उनके असहमति नोट को हटाने का आरोप लगाया है। इसे लेकर राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने विरोध दर्ज कराया और सदन से वॉकआउट भी किया।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
विपक्ष का कहना है कि जेपीसी रिपोर्ट से उनके असहमति नोट के कुछ हिस्से हटा दिए गए, जिससे उनके विचारों को रिपोर्ट में जगह नहीं मिली। इस मुद्दे पर संसद में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि किसी भी सदस्य की असहमति को कार्यवाही से हटाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।
वहीं, इस पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने जवाब देते हुए कहा कि संसदीय नियमों के अनुसार, समिति की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले बयानों को अध्यक्ष द्वारा हटाया जा सकता है।
असदुद्दीन ओवैसी और अन्य सांसदों की आपत्ति
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात कर अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं। उन्होंने बताया कि स्पीकर ने महासचिव को निर्देश दिया कि नियमों के तहत जितने भी असहमति नोट हटा दिए गए हैं, उन्हें रिपोर्ट में शामिल किया जाए।
इसके अलावा, शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद सावंत ने भी समिति की कार्यवाही पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान खंड-दर-खंड चर्चा नहीं की गई और सदस्यों के असहमति नोट को जानबूझकर हटाया गया।
सरकार का पक्ष
इस पूरे विवाद पर राज्यसभा में जेपी नड्डा ने विपक्ष पर राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा करना ही नहीं चाहता, बल्कि केवल राजनीति कर रहा है।
संसद में बढ़ा विवाद
विरोध के दौरान तृणमूल कांग्रेस के समीरुल इस्लाम और नदीमुल हक, तथा डीएमके के एमएम अब्दुल्ला राज्यसभा में वेल तक पहुंच गए, जिस पर उपसभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें चेतावनी दी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी विपक्ष की ओर से दिए गए कुछ बयानों को अपमानजनक बताया।
वक्फ संशोधन बिल को लेकर संसद में सरकार और विपक्ष के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला। सरकार का कहना है कि कोई नियम नहीं तोड़ा गया, जबकि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि उनकी बातों को जानबूझकर अनसुना किया गया। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या फैसला होता है और क्या वाकई असहमति नोट को पूरी तरह से रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा या नहीं।
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