
नया आयकर बिल 2025: टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत या नई चुनौती?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में नया आयकर बिल 2025 संसद में पेश किया है। सरकार का दावा है कि यह बिल कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और अधिक प्रभावी बनाएगा। इस नए कानून का उद्देश्य पुराने जटिल आयकर नियमों को हटाकर एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार करना है, जो आम नागरिकों के लिए अधिक सुगम हो। लेकिन, यह बिल करदाताओं के लिए कितना फायदेमंद होगा? आइए जानते हैं इसकी खास बातें।
नया आयकर बिल 2025: क्या बदला है?
इस बिल में कर कानूनों को पहले से ज्यादा सरल और स्पष्ट बनाया गया है। पुराने 880 पन्नों वाले कर कानून को 622 पन्नों में समेट दिया गया है। इतना ही नहीं, लगभग 3 लाख शब्द कम किए गए हैं ताकि इसे आम जनता के लिए समझना आसान हो सके।
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आसान भाषा, कम जटिलता
पुराने कानून में कई जटिल शब्द और कानूनी तकनीकी भाषा थी, जिससे आम नागरिकों को इसे समझने में परेशानी होती थी। अब, नए बिल में “नॉट विदस्टैंडिंग” जैसे जटिल शब्दों को हटाकर आसान भाषा में परिभाषित किया गया है। इससे अब कोई भी आम व्यक्ति इसे बिना कानूनी विशेषज्ञ की मदद से भी समझ सकता है। -
‘असेसमेंट ईयर’ की जगह अब ‘टैक्स ईयर’
आयकर में एक बड़ा बदलाव यह किया गया है कि अब “असेसमेंट ईयर” शब्द को हटाकर इसे “टैक्स ईयर” कहा जाएगा। यह टैक्स ईयर 1 अप्रैल से 31 मार्च तक रहेगा, जो कि वित्तीय वर्ष के अनुसार होगा। यदि कोई व्यवसाय साल के बीच में शुरू होता है, तो उसका टैक्स ईयर उसी वर्ष खत्म होगा। -
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल एसेट्स पर टैक्स
डिजिटल संपत्तियों को अब ‘कैपिटल एसेट’ माना जाएगा, जिससे इन पर कर लगाया जाएगा। पहले, डिजिटल एसेट्स और क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नियम स्पष्ट नहीं थे, लेकिन अब सरकार ने इसे स्पष्ट कर दिया है कि इन पर टैक्स देना अनिवार्य होगा। -
टैक्स विवादों के त्वरित निपटान के लिए सुधार
नए कानून में विवाद समाधान पैनल (Dispute Resolution Panel – DRP) के फैसलों को जल्द लागू करने की बात कही गई है। इससे अनावश्यक मुकदमों में कमी आएगी और करदाताओं को राहत मिलेगी। -
TDS (Tax Deducted at Source) प्रणाली में सुधार
नए नियमों के तहत TDS की प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा। टैक्स कटौती की जानकारी टेबल फॉर्मेट में होगी, जिससे करदाताओं को आसानी से समझ में आएगा कि उन्हें कितना कर देना होगा।
क्या पुरानी टैक्स व्यवस्था खत्म हो जाएगी?
नहीं, सरकार ने साफ कर दिया है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त नहीं होगी। हालांकि, सरकार नए टैक्स सिस्टम को बढ़ावा देना चाहती है, लेकिन जो करदाता अभी भी पुरानी प्रणाली के तहत टैक्स भर रहे हैं, उनके लिए भी पुरानी प्रणाली उपलब्ध रहेगी।
नए आयकर बिल 2025 से क्या फायदे होंगे?
- सरल भाषा और स्पष्ट नियम – आम नागरिक आसानी से टैक्स कानून समझ पाएंगे।
- डिजिटल संपत्तियों पर स्पष्ट कर प्रणाली – क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल एसेट्स पर कर संबंधी नियम स्पष्ट होंगे।
- टैक्स विवादों का जल्दी निपटारा – कोर्ट और ट्रिब्यूनल में लंबित मामलों को कम किया जाएगा।
- TDS प्रक्रिया को आसान बनाना – टैक्स देने वालों के लिए कर कटौती को स्पष्ट और समझने योग्य बनाया गया है।
क्या यह करदाताओं के लिए सही दिशा में कदम है?
विशेषज्ञों का मानना है कि नया आयकर बिल 2025 टैक्स प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह लागू होने के बाद व्यवहार में कितना प्रभावी साबित होता है।
सरकार ने इस बिल को संसद की समिति में भेज दिया है। समिति की सिफारिशों के बाद इसे फिर से संसद में पेश किया जाएगा। अगर इसे संसद और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलती है, तो यह नया कानून लागू हो जाएगा।
अब सवाल यह है कि क्या यह बदलाव वास्तव में करदाताओं के लिए राहत लेकर आएंगे, या फिर यह सिर्फ एक नया जटिल कानून बनकर रह जाएगा?
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