
वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां:
वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि हमारी सेहत पर भी गंभीर असर डालता है। खासकर भारत की राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता (AQI) का स्तर कई इलाकों में खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुका है, जिससे नागरिकों को अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। प्रदूषित हवा की तुलना अब सिगरेट से की जाती है, और यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
वायु प्रदूषण और उसके स्वास्थ्य पर प्रभाव
हर साल, भारत में वायु प्रदूषण से करीब 21 लाख लोगों की मौत हो जाती है। यह आंकड़े किसी और बीमारी से नहीं, बल्कि वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से जुड़ी हैं। अधिकतर लोग इसे सिर्फ फेफड़ों की बीमारियों से जोड़ते हैं, लेकिन इससे डायबिटीज, स्ट्रोक, और याददाश्त में कमी जैसी अन्य गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।
पीएम 2.5 और उसके खतरनाक प्रभाव
वायु प्रदूषण में एक प्रमुख तत्व है PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर 2.5), जो हवा में मौजूद सूक्ष्म कण होते हैं। इन कणों का आकार बहुत छोटा होता है, लगभग 2.5 माइक्रोमीटर। उदाहरण के लिए, इंसान के बाल का व्यास लगभग 50 माइक्रोमीटर होता है, यानी पीएम 2.5 के कण इंसान की आंखों से भी नजर नहीं आते।
स्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा
PM 2.5 का हमारे शरीर पर गहरा असर पड़ता है। ये सूक्ष्म कण न केवल फेफड़ों में प्रवेश करते हैं, बल्कि खून में भी घुल सकते हैं, जिससे हृदय और रक्तवाहिनियों पर दबाव बढ़ता है। इसके परिणामस्वरूप दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
भविष्य में क्या होगा?
हर साल वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, और हमें इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। साफ हवा और प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को लागू करना बेहद जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ जीवन मिल सके।