राजस्थान के टोंक जिले में हुए देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान एक विवाद ने सबका ध्यान खींचा। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने टोंक के एसडीएम अमित कुमार को थप्पड़ मार दिया। यह घटना कलेक्टर IAS सौम्या झा के आदेश पर एसडीएम द्वारा ग्रामीणों को समझाने के दौरान हुई। इसके बाद मामला तूल पकड़ गया और नरेश मीणा समेत कई लोगों की गिरफ्तारी हुई।
कौन हैं IAS सौम्या झा?
IAS सौम्या झा 2017 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। वह बिहार की रहने वाली हैं। उनकी स्कूलिंग बिहार में हुई और उन्होंने दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से MBBS की पढ़ाई पूरी की। सौम्या ने 2016 में UPSC की परीक्षा पास की और ऑल इंडिया में 58वीं रैंक हासिल की। डॉक्टर की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने आईएएस बनकर एक नई शुरुआत की।
उनके पिता आईपीएस अधिकारी हैं और उनकी मां रेलवे में डॉक्टर हैं। 2019 में उनका कैडर बदलकर राजस्थान कर दिया गया।
टोंक की सबसे कम उम्र की कलेक्टर
सौम्या झा टोंक जिले की सबसे कम उम्र की कलेक्टर हैं। उनकी पहली पोस्टिंग जयपुर जिला परिषद की सीईओ के रूप में हुई थी। इसके बाद वह गिर्वा और उदयपुर में एसडीएम और मुख्यमंत्री की संयुक्त सचिव रहीं। टोंक में आते ही उन्होंने कई अवैध बूचड़खानों को बंद करवा दिया, जिससे वह सुर्खियों में आईं।
थप्पड़कांड की घटना
देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान समरावता गांव में ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार करने का फैसला किया। कलेक्टर IAS सौम्या झा ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इसके बाद उन्होंने एसडीएम अमित कुमार को गांव में जाकर ग्रामीणों को समझाने के निर्देश दिए।
जब एसडीएम ग्रामीणों को समझा रहे थे, तभी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने उन्हें थप्पड़ मार दिया। इस घटना से माहौल बिगड़ गया और बाद में पुलिस ने नरेश मीणा समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
सौम्या झा का बयान
घटना के बाद कलेक्टर सौम्या झा ने कहा,
“हमने स्थिति को शांतिपूर्ण रखने के लिए पूरी कोशिश की। मेरा उद्देश्य था कि सभी ग्रामीण वोट डालें। लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के व्यवहार ने मामला बिगाड़ दिया।”
IAS सौम्या झा: एक प्रेरणादायक अधिकारी
IAS सौम्या झा का सफर उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ बड़ा करना चाहते हैं। डॉक्टर से आईएएस बनने तक का उनका सफर दिखाता है कि कड़ी मेहनत से हर सपना पूरा किया जा सकता है।
यह घटना प्रशासन और राजनीति के बीच आने वाली चुनौतियों का एक उदाहरण है। इस विवाद ने दिखाया कि चुनावी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और सही तरीके से चलाने के लिए कितनी मेहनत और धैर्य की जरूरत होती है। साथ ही, IAS सौम्या झा जैसी अधिकारी अपनी कड़ी मेहनत और फैसलों से जनता के लिए बेहतर काम करने की प्रेरणा देती हैं।
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