
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत का बड़ा फैसला, पाकिस्तान के साथ Indus Water Treaty पर लगाई रोक
Indus Water Treaty: जम्मू-कश्मीर के Pahalgam Terror Attack के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 23 अप्रैल 2025 को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में ऐतिहासिक फैसला लिया गया कि पाकिस्तान के साथ हुए Indus Water Treaty (सिंधु जल समझौते) पर फिलहाल रोक लगा दी जाएगी। इस फैसले की जानकारी विदेश मंत्रालय की ओर से प्रेस ब्रीफिंग में दी गई।
इस निर्णय का सीधा प्रभाव पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, कृषि, बिजली उत्पादन और ग्रामीण जीवन पर पड़ेगा। आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे की रणनीति और इसका पाकिस्तान पर पड़ने वाला असर।
Indus Water Treaty पर रोक से पाकिस्तान को क्या नुकसान होगा?
Indus Water Treaty Suspension का सबसे बड़ा असर पाकिस्तान की खेती पर पड़ेगा। पाकिस्तान की 90% कृषि भूमि, जो लगभग 4.7 करोड़ एकड़ में फैली है, सिंचाई के लिए सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। यदि भारत सिंधु प्रणाली के पानी को रोकता है तो पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
खेती पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में 23% का योगदान देती है और उसकी 68% ग्रामीण आबादी खेती पर निर्भर है। ऐसे में सिंचाई के लिए पानी की कमी से न केवल फसलों को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भुखमरी और बेरोजगारी भी बढ़ सकती है।
इसके अलावा, सिंधु नदी पर स्थित पाकिस्तान के प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएं जैसे तारबेला और मंगल डैम बुरी तरह प्रभावित होंगी। इससे पाकिस्तान में बिजली उत्पादन 30% से 50% तक गिर सकता है, जो उद्योग, रोजगार और आम जनजीवन को बुरी तरह से झकझोर देगा।
क्या है Indus Water Treaty?
Indus Water Treaty भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को हुई थी। नौ वर्षों की बातचीत के बाद इस संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे और विश्व बैंक इसमें मध्यस्थ की भूमिका में था। इस संधि का उद्देश्य सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों का जल बंटवारा करना था ताकि दोनों देश अपने-अपने हिस्से का पानी उपयोग कर सकें।
संधि के तहत तीन पूर्वी नदियाँ — ब्यास, रावी और सतलज — भारत को दी गईं, जबकि तीन पश्चिमी नदियाँ — सिंधु, झेलम और चिनाब — पाकिस्तान को दी गईं। हालांकि, भारत को भी सीमित गैर-उपभोग्य, कृषि और घरेलू उपयोग के लिए पश्चिमी नदियों से कुछ जल लेने की अनुमति दी गई थी।
सिंधु जल समझौते में कौन-कौन सी नदियाँ शामिल हैं? (Rivers under Indus Water Treaty)
सिंधु जल समझौते के अंतर्गत छह प्रमुख नदियाँ आती हैं:
- पूर्वी नदियाँ (Eastern Rivers): ब्यास (Beas), रावी (Ravi) और सतलुज (Sutlej)।
- पश्चिमी नदियाँ (Western Rivers): सिंधु (Indus), झेलम (Jhelum) और चिनाब (Chenab)।
समझौते के अनुसार पूर्वी नदियों का जल उपयोग भारत को मिला, जबकि पश्चिमी नदियों के जल का प्रमुख हिस्सा पाकिस्तान को दिया गया।
सिंधु जल समझौते की प्रमुख बातें (Key Points of Indus Water Treaty)
- हस्ताक्षर की तारीख: 19 सितंबर 1960।
- पानी का बंटवारा: पाकिस्तान को कुल जल का 80% हिस्सा और भारत को मात्र 20% हिस्सा मिलता है।
- प्रमुख प्रावधान: भारत को अपने हिस्से की नदियों पर सीमित सिंचाई परियोजनाएँ और पनबिजली परियोजनाएँ विकसित करने की अनुमति है, बशर्ते वह पाकिस्तान के जल प्रवाह में बाधा न डाले।
Indus Water Treaty में भारत और पाकिस्तान को कितना पानी मिलता है?
इस समझौते के मुताबिक, कुल जल प्रवाह का लगभग 80% हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से में चला जाता है और केवल 20% जल भारत के हिस्से में आता है। इस समझौते को अब तक भारत ने पूरी निष्ठा के साथ निभाया है, लेकिन पाकिस्तान द्वारा लगातार आतंकवाद को समर्थन दिए जाने के चलते अब भारत ने इस संधि को रोकने का बड़ा फैसला लिया है।
विशेषज्ञों के अनुसार यदि भारत इस रोक को लंबी अवधि तक बनाए रखता है तो पाकिस्तान में जल संकट गहराता जाएगा, जिससे देश के भीतर अशांति और आर्थिक बदहाली बढ़ सकती है।