
काल बैसाखी
Kaal Baisakhi: बिहार में पिछले दो दिनों में 60 लोगों की आंधी, तूफान, बारिश और आकाशी बिजली गिरने के कारण मौत हो गई है। इस वजह से हर साल सैकड़ो लोगों की जान चली जाती है। हलाकि यह सब काल बैसाखी के कारण होता है। आईए जानते हैं कि आखिर काल बैसाखी क्या है और इससे कैसे बचे?
2 दिनों में 60 लोगों की मौत
बिहार में पिछले दो दिनों के अंदर आंधी, तूफान, बारिश और आकाशी बिजली गिरने से 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। माना जाता है कि इस घटना के पीछे Kaal Baisakhi है। काल बैसाखी दरअसल एक तरह का मौसम होता है। बिहार ही नहीं यह उड़ीसा, यूपी और बंगाल में भी इस तरह का मौसम देखा गया है। मौसम विभाग का मानना है कि उत्तर पूर्वी राज्यों में इस वर्ष अप्रैल से मई के दौरान काल बैसाखी की घटनाएं पहले की तुलना में अधिक हो सकती हैं और काल बैसाखी बहुत ही खतरनाक रूप भी धारण कर सकती है।
क्या है Kaal Baisakhi?
वैशाख के महीने में मौसम में अचानक होने वाले परिवर्तन को Kaal Baisakhi कहा जाता है। यह मौसम एक ऐसा पैटर्न होता है जो गरम और ठंडी हवाओं के टकराने से बनता है। काल बैसाखी वाला पैटर्न तकरीबन हर साल ही होता है लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के चलते हालिया वर्षों में इसके खतरे काफी बढ़ चुके हैं। मौसम वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस वर्ष यह पैटर्न काफी ज्यादा खतरनाक हो सकता है और इस पैटर्न से सबसे ज्यादा नुकसान होने वाले राज्य है – बिहार, झारखंड, उड़ीसा, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश।
मौसम वैज्ञानिकों का क्या कहना है
इस बारे में मौसम विभाग कोलकाता के पूर्व निदेशक और Kaal Baisakhi के एक्सपर्ट एके सेन ने बताया कि काल बैसाखी के दौरान हवा की दिशा दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर बहने लगती है। इसी कारण इसे पश्चिम झंझा भी कहा जाता है। काल बैसाखी के कारण आंधी-तूफान और ओले के साथ भारी बारिश कई राज्यों में देखने को मिली है और इस दौरान हवाएं लगभग 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बहती है। जबकि कहीं-कहीं आकाशीय बिजली भी गिरती है। जिसमें लोगों की मौत हो जाती है।
कल बिहार के 20 जिले बेहद प्रभावित हुए
एक्सपर्ट ने बताया कि हवा की रफ्तार कभी-कभी 100 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से भी ज्यादा हो जाती है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर बिहार और बंगाल में देखने को मिलता है। एक दिन पहले ही बिहार के 20 जिले Kaal Baisakhi के चपेट में आ चुके हैं। कुछ जिलों में तो हवा की रफ्तार कुछ समय के लिए 140 किलोमीटर प्रति घंटे को भी पार कर गई।
आईएमडी ने किया अलर्ट
आईएमडी ने चेतावनी दी है कि अप्रैल, मई और जून के महीने में Kaal Baisakhi से प्रभावित होने वाले क्षेत्र में लू की अवधि बहुत अधिक हो सकती है ऐसे में अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान के टकराने की काफी संभावना रहेगी जो काल बैसाखी के प्रचंड रूप लेने का एक कारण है। इसलिए जैसे ही आपको लगे की मौसम खराब हो सकता है या होने वाला है तो अपने-अपने घरों में ही रहे। मौसम ठीक होने तक घर से बाहर न निकले।
कैसे बचे
Kaal Baisakhi से बचाव करने के लिए सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। इसलिए मौसम खराब होने की आशंका होते ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे अगर बहुत ज्यादा जरूरी ना हो तो खराब मौसम में घर से बाहर न जाए। आंधी-तूफान, तेज हवाओं और बारिश के समय घर से बाहर निकलने से बचे खुली जगह पर जैसे -खेत, मैदान या पार्क में ना जाएं।