Mahakumbh Hathyogi 2025: महाकुंभ 13 जनवरी से ही शुरू हो चुका है इस बीच करोड़ों श्रद्धालु रोज संगम में डुबकी लगा रहे हैं। तो वहीं कई लोग संगम नगरी प्रयागराज कुंभ मेले से वायरल भी हो रहे है। अभी कुछ ही दिन पहले माला बेचने वाली एक लड़की जो अपनी सुंदर आंखों की वजह से खूब वायरल हो रही है। इसका नाम मोनालिसा बताया जा रहा है। इसके अलावा यहां पर रहने वाले सभी साधु संत भी अपने अलग अंदाज के लिए मशहूर हो रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच कुछ हठयोगी हैं जिनके बारे में जानकर सबको ही हैरानी हो रही है और यह एक दो नहीं हजारों की तादाद में है। इन सभी की एक अलग कहानी है अपनी एक अलग तपस्या है। कुंभ मेले में आए हठयोगियों के हठयोग के बारे में जानेंगे।
Mahakumbh Hathyogi 2025: क्या होता है हठयोग
हठयोग का शाब्दिक अर्थ होता है जिद्दी यानी कि जो इंद्रियों और मन के दखल के बिना योग का अभ्यास करता हो। हठयोगी का जन्म राजयोग से हुआ। सामान्य सभी योग मुद्राएं और प्राणायाम हठयोग के अंतर्गत ही आते हैं। इसका अर्थ यह है कि अगर आप योग आसन या प्राणायाम करते हैं तो आप हठयोग ही कर रहे हैं। हठयोग करने से तीसरी नाड़ी जागृत होती है। हठयोगी के स्वामी शिव माने जाते हैं नाथ संप्रदाय के अनुसार यह योग विद्या शिव से योगीराज मत्स्येंद्रनाथ को प्राप्त हुई थी। जिसके बाद उन्होंने अपने शिष्य गोरक्षनाथ को अपनी विद्या सिखाई। कई वर्षों तक हठयोग केवल साधु संत ही करते थे आम लोग नहीं करते थे। कुछ कुलीन परिवारों में थोड़ी बहुत हठयोग की परंपरा चलती थी लेकिन बाद में इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। इसके बाद 18वीं शताब्दी के अंत में अंग्रेजों ने भी इसमें रोमांच ढूंढना शुरू कर दिया।
Mahakumbh Hathyogi 2025: कुंभ में आए हुए हठयोगी
कुंभ में भी कई हठयोगीयो को देखा गया है। जिनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने कई सालों से स्नान नहीं किया कुछ ऐसे हैं जो 9 साल से हाथ ऊपर रखा है। एक फीट से ज्यादा बड़े नाखून हो चुके हैं। 40 साल से मौन व्रत धारण रखा ह। जानेंगे इन सभी है हठयोगियों के बारे में।
Mahakumbh Hathyogi 2025: हाथ ऊपर रखने वाले बाबा
महाकुंभ में आए हठ योगी नागा संन्यासी महाकाल गिरी बाबा है। जिन्होंने पिछले 9 सालों से अपना हाथ नीचे नहीं किया। जिस कारण उनकी उंगलियों के नाखून एक फिट तक लंबे हो गए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपने हाथ में शिवलिंग बना रखा है और इस हठयोगी को ऊर्धबाहु कहा जाता है। उन्होंने बताया कि वह सारे काम एक हाथ से ही करते हैं। उन्होंने अपनी कुटिया के बाहर एक हाथ से ही शिवलिंग बनाया। रोटी भी एक हाथ से बना लेते हैं और उनका कहना है कि अब उन्हें ऐसे रहने की आदत पड़ चुकी है। प्रभु की कृपा से हमे कोई दिक्कत नहीं होती और अपने अंतिम स्वाश तक वह इसी अवस्था में रहेंगे।
जब उनसे पूछा गया कि वह अपने आप को इतना कष्ट क्यों दे रहे हैं ? तब महाकाल गिरी कहते हैं की तपस्या कोई भी हो उसमें कष्ट होता ही है । लेकिन हर तपस्या के पीछे एक मकसद होता है। मेरा यह संकल्प है कि धर्म के स्थापना हो और गौ हत्या बंद हो। महाकाल गिरी बाबा की तरह ही जूना अखाड़े के महंत राधे पुरी ने भी पिछले 14 सालों से अपने हाथ को ऊपर उठा रखा है। उनका कहना है कि 2011 के बाद से ही उन्होंने अपने हाथ नीचे नहीं किया है। इसके अलावा उन्होंने 12 साल तक खड़े होने का हठयोग भी किया है। उनका हाथ पूरी तरह से सुन्न पड़ चुका है।
Mahakumbh Hathyogi 2025: जौ वाले बाबा
यूपी के सोनभद्र से आए एक बाबा जो महाकुंभ मेले में जौ वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो रहे हैं। इनका नाम है अमरजीत। और पिछले 5 साल से वह अपने सर पर ही जौ ऊगा रहे हैं। उनके हठयोग का मकसद पर्यावरण के प्रति लोगों को जागृत करना है। उन्होंने जो भी फसल अपने सर पर उगाई होती है जब उसमें दाना पड़ने लगता है उसी का प्रसाद वह भक्तों में बाटते है। उनका कहना है कि सर पर लगी फसल जब पक जाती है तो वह भंडारा करते हैं। बाबा ने बातचीत करते हुए मीडिया से बताया की फसल की वजह से मेरे सिर की चमड़ी फट जाती है। पौधों की जड़ अंदर चली जाती हैं। इन पौधों को बाहर निकालने की कोशिश करता हूं तो खून भी निकलने लगता है ।
Mahakumbh Hathyogi 2025: रुद्राक्ष वाले बाबा
सन्यासी गीतानंद महाराज जिन्होंने अपने सर पर सवा लाख रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं। इनका वजन कुल मिलाकर 45 किलो बताया जा रहा है। यह रुद्राक्ष उन्होंने पिछले 6 सालों से अपने सर पर धारण किए हुए हैं। गीतानंद महाराज 13 अखाड़े में से एक अखाड़ा आवाहन अखाड़ा के सचिव है। वह भगवान शिव के भक्त हैं और उनको मनाने के लिए हठयोग कर रहे हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते वक्त बताया कि उनके माता-पिता की कोई संतान नहीं हो रही थी। लेकिन गुरु के आशीर्वाद से उन्हें तीन संतानों की प्राप्ति हुई। वह दूसरे नंबर पर थे। उनकी मां ने खुश होकर उन्हें गुरु को दान कर दिया। उस समय उनकी उम्र केवल ढाई वर्ष थी। इसके बाद उनके गुरु उन्हें लेकर अपने साथ चले गए फिर 12 साल की उम्र में उनका हरिद्वार में सन्यास कार्यक्रम हुआ। जिसके बाद से वह संन्यासी बन गए।
Mahakumbh Hathyogi 2025: पायहारी बाबा
पायहारी बाबा ने पिछले 41 वर्षों से मौन व्रत धारण किया हुआ है और केवल चाय पर ही जीवित है। वह अपने भक्तों को प्रसाद के रूप में भी चाय ही देते हैं। अगर उन्हें किसी से वार्ता करनी होती है तो वह लिखकर बात करते हैं। इनका नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है। जो यूपी के महोबा के निवासी हैं। इन्होंने बायोलॉजी में ग्रेजुएशन भी किया हुआ है। इनको स्पीड में गाड़ी चलाना बहुत पसंद है।
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