
महाकुंभ माघ पूर्णिमा स्नान से पहले पटना जंक्शन पर अफरा-तफरी, यात्रियों की मुश्किलें बढ़ीं
माघ पूर्णिमा स्नान के लिए प्रयागराज जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ ने पटना जंक्शन पर स्थिति बेकाबू कर दी है। स्टेशन पर हर जगह सिर से सिर टकराते यात्री नजर आ रहे हैं। ट्रेनें पूरी तरह भर चुकी हैं, जिससे यात्रियों को बाथरूम जाने और सांस लेने तक में दिक्कत हो रही है। महाकुंभ 2025 के दौरान माघी पूर्णिमा के अवसर पर करोड़ों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।
ट्रेन में पैर रखने तक की जगह नहीं
पटना जंक्शन पर सोमवार से ही हजारों लोग ट्रेन पकड़ने का इंतजार कर रहे हैं। कुछ यात्री प्लेटफॉर्म पर ही खाना खा रहे हैं और वहीं नींद ले रहे हैं। जब दोपहर करीब 2 बजे ब्रह्मपुत्र मेल स्टेशन पर पहुंची तो यात्रियों ने हर संभव तरीके से ट्रेन में चढ़ने की कोशिश शुरू कर दी।
भीड़ के चलते यात्रियों की बढ़ी परेशानी
सिलीगुड़ी से आ रही एक महिला यात्री ने कहा, “रात 11 बजे से ट्रेन में बैठी हूं। बाथरूम तक जाने का रास्ता नहीं है। पूरे डिब्बे में इतना भीड़ है कि सांस लेना मुश्किल हो गया है। ऐसा लग रहा है जैसे दम घुट जाएगा।”
एक अन्य यात्री ने कहा, “ट्रेन में पैर रखने की जगह नहीं है, फिर भी लोग जबरदस्ती चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह बहुत डरावना लग रहा है।”
गुस्साए यात्रियों ने तोड़े ट्रेन के शीशे
ट्रेन में गेट बंद देखकर कई यात्री नाराज हो गए। कुछ लोगों ने शीशे तोड़कर अंदर घुसने का प्रयास किया। आपातकालीन खिड़कियों से भी कई यात्री चढ़ने लगे।
प्लेटफॉर्म पर इंतजार जारी
करीब 20 मिनट रुकने के बाद ट्रेन रवाना हुई, लेकिन कई यात्री प्लेटफॉर्म पर ही रह गए। इसके बावजूद प्लेटफॉर्म खाली नहीं हुआ। लोग अगली ट्रेन के इंतजार में वहीं बैठ गए।
धार्मिक मान्यता और आस्था का मेला
माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान की विशेष धार्मिक मान्यता है। श्रद्धालु मानते हैं कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि लोग हर साल भारी संख्या में प्रयागराज की ओर रुख करते हैं।
रेल प्रशासन की चुनौती
रेल प्रशासन इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। अतिरिक्त ट्रेनें चलाने की योजना भी बनाई गई है, लेकिन मौजूदा स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।
महाकुंभ की यह भीड़ जहां श्रद्धालुओं की आस्था को दर्शाती है, वहीं रेलवे और प्रशासन के लिए व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती भी पेश करती है। बेहतर योजना और सुविधाएं सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के अपनी धार्मिक यात्रा पूरी कर सकें।
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