
Rabindranath Tagore Jayanti 2025: दो राष्ट्रों के राष्ट्रगान रचने वाले कवि की 162वीं जयंती!
Rabindranath Tagore Jayanti 2025: रविंद्र नाथ टैगोर सिर्फ एक साहित्यकार नहीं थे, बल्कि वह एक महान कवि, महान संगीतकार, महान नाटककार और एक समाज सुधारक भी थे। सिर्फ इतना ही नहीं वह दुनिया के पहले ऐसे इंसान थे जिन्होंने राष्ट्रगान लिखा है, वह भी एक नहीं दो देशों का भारत और बांग्लादेश। ऐसे महान व्यक्ति का जन्म 7 में 1861 में हुआ था। प्रत्येक वर्ष रविंद्र नाथ टैगोर जयंती काफी हर्ष उल्लास के साथ मनाई जाती है, जिसमें रवींद्रनाथ टैगोर जी को याद किया जाता है और उनको सम्मानित किया जाता है।
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती कब है?
हर व्यक्ति को कंफ्यूजन है कि 2025 में रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती कब मनाई जाएगी, 9 को या 7 में को?
लोगों में उनकी जयंती को लेकर इसीलिए कंफ्यूजन है क्योंकि, रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 में को हुआ था, लेकिन उनकी जयंती साथ को नहीं बल्कि 9 को मनाई जा रही है।
आपको बता दे की ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से उनका जन्म 7 में 1867 में हुआ था, लेकिन बंगाली कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म बंगाली वैशाख महीने के 25 दिन हुआ था। तो इस हिसाब से उनका जन्म 9 में को है। भारत में रविंद्र नाथ टैगोर जयंती 9 मई को मनाई जाएगी। 2025 में हम सभी उनकी 162वी सालगिरह मनाने जा रहे हैं।
रविंद्र नाथ टैगोर का इतिहास
रविंद्र नाथ टैगोर सिर्फ एक साहित्यकार नहीं थे, बल्कि वह एक महान कवि, महान संगीतकार, महान नाटककार और एक समाज सुधारक भी थे। सिर्फ इतना ही नहीं वह दुनिया के पहले ऐसे इंसान थे जिन्होंने राष्ट्रगान लिखा है, वह भी एक नहीं दो देशों का भारत और बांग्लादेश।
रविंद्र नाथ टैगोर ने तकरीबन 16 साल की उम्र से ही लघु कथाएं लिखनी शुरू कर दी थी। उन्होंने अपनी पहली लघु कथा 1877 में दुनिया के सामने रखी थी, इसके बाद उन्होंने 1891 से लेकर 1895 के बीच में ऐसी कई सारी कहानियां लिखी। इन कहानियों में काबुलीवाला, श्रुदित पाषाण तथा अतिथि जैसी कई कथाएं लिखिए।
टैगोर ने कई सारी संवेदनशील बंगाली कविताएं भी लिखी जिसमें से सुंदर संग्रह, गीतांजलि जैसी प्रसिद्ध कविताएं मौजूद है।
जानिए किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ?
महान लेखक रविंद्र नाथ टैगोर को उनकी प्रतिभा और साहित्य में योगदान के कारण साहित्य का 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला है। आपको बता दे की नोबेल पुरस्कार पूरे एशिया में सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को मिलता है जो सबसे ज्यादा सम्मान के लायक होते हैं। आपको बता दे की रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय व्यक्ति भी थे।
1915 में रवींद्रनाथ टैगोर को किंग जॉर्ज पंचम से नाइटहुड की उपाधि भी मिली, हालांकि जलियांवाला हत्याकांड के बाद 1919 में रविंद्र नाथ टैगोर ने वह उपाधि लौटा भी दी थी।
निजी जीवन
रवींद्रनाथ टैगोर के पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर था और उनकी माता का नाम शारदा देवी था। रवींद्रनाथ टैगोर अपनी माता-पिता के 13 और आखिरी संतान थे।
रवींद्रनाथ टैगोर की शादी 1883 में मृणालिनी देवी से हुई थी। आपको बता दे की उनकी पत्नी की उम्र केवल 10 वर्ष की उम्र में हुई थी, जबकि रवींद्रनाथ उसे वक्त 22 वर्ष के थे। मृणालिनी देवी के बचपन का नाम भाबतारिणी था। रवींद्रनाथ टैगोर और उनकी पत्नी मृणालिनी देवी के पाँच बच्चे थे जिनका नाम है – मधुरिलता (बेला), रथींद्रनाथ (राठी), रेणुका (रानी), मीरा (अतासी) और समिंद्रनाथ (सामी
रवींद्रनाथ टैगोर का योगदान और उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें
- टैगोर भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन‘ के रचयिता हैं। उन्होंने भारत के अलावा बांग्लादेश के लिए भी राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला‘ की रचना की।
- उनकी काव्यकृति गीतांजलि के लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला, जो किसी भी एशियाई व्यक्ति द्वारा प्राप्त पहला नोबेल पुरस्कार था।
- रवींद्रनाथ टैगोर को 1915 में ब्रिटिश सरकार ने नाइटहुड की उपाधि दी, लेकिन 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्होंने यह सम्मान लौटा दिया।
- बहुत कम लोगों को पता होगा कि रवींद्रनाथ टैगोर को कलर ब्लांडनेस था।
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