
राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित: संविधान पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कांग्रेस पर कड़े आरोप लगाए
17 दिसंबर, 2024 को भारतीय संसद के राज्यसभा में संविधान की यात्रा पर एक महत्वपूर्ण चर्चा हुई, जिसके बाद सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। इस चर्चा के दौरान, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय संविधान के 75 वर्षों की शानदार यात्रा पर बात की और कांग्रेस पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने विशेष रूप से कांग्रेस को आरक्षण विरोधी और संविधान के प्रति उनकी नीतियों के लिए आलोचना की। यह विवादित बयान, खासकर कांग्रेस के खिलाफ, संसद में एक नई बहस को जन्म देने का कारण बना है।
संविधान की गौरवमयी यात्रा: गृह मंत्री अमित शाह का भाषण
गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा की शुरुआत में भारतीय संविधान को लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने वाला बताया और कहा कि इस संविधान के कारण ही देश में सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्वक, बिना किसी रक्तपात के होता है। उन्होंने भारतीय संविधान के विभिन्न संशोधनों का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस ने संविधान में कई बदलाव केवल अपनी राजनीतिक लाभ के लिए किए। उनका कहना था कि जवाहरलाल नेहरू ने पहले संविधान संशोधन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित किया, जो कि भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर कदम था।
अमित शाह ने कांग्रेस को यह भी आरोपित किया कि उन्होंने संविधान को एक “प्राइवेट फiefdom” (एक पारिवारिक संपत्ति) की तरह समझा और इस दौरान संसद को धोखा दिया। उनके मुताबिक, कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया और यह सब वोट बैंक की राजनीति के लिए किया गया।
कांग्रेस पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप
गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से पिछड़ी जातियों के खिलाफ रही है और उसने कभी भी उनकी भलाई के लिए काम नहीं किया। उनके अनुसार, कांग्रेस ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए संविधान में संशोधन किए, लेकिन पिछड़े वर्गों की भलाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
शाह ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने संविधान के दायरे में रहते हुए भी कभी भी इन वर्गों के उत्थान के लिए सचेत प्रयास नहीं किए। यह बयान कांग्रेस के लिए एक बड़ा हमला था, क्योंकि पार्टी हमेशा से अपने आप को दलित और पिछड़े वर्गों के उत्थान की पक्षधर बताती रही है।
ईवीएम पर कांग्रेस की आलोचना
गृह मंत्री ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर भी कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हर बार चुनाव हारने के बाद ईवीएम को दोषी ठहराती है। अमित शाह का कहना था कि कांग्रेस का यह रवैया इस बात का संकेत है कि वे अपनी हार को स्वीकार करने के बजाय मशीनों पर दोषारोपण करते हैं।
समय रहते संविधान को बचाने का महत्व
अमित शाह ने संविधान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है और इसके बिना हम अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली को बनाए नहीं रख सकते। उन्होंने यह भी कहा कि यह संविधान ही था जिसने भारतीय समाज को एकता और अखंडता के साथ जोड़ा और देश में विविधताओं के बावजूद राष्ट्र की धारा को बनाए रखा।
संसद में संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा
इस दिन संसद में 129वें संविधान संशोधन विधेयक को भी प्रस्तुत किया गया। यह विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव रखता है। विधेयक को लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया। हालांकि, इस प्रस्ताव पर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे संविधान के मौलिक ढांचे के खिलाफ बताया। विपक्ष का कहना था कि यह विधेयक संघीय संरचना के खिलाफ है और राज्यों की स्वतंत्रता को कम करने की कोशिश है।
लोकसभा में यह विधेयक 269 वोटों के समर्थन से पारित हुआ, जबकि 198 विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध किया। इसके बाद, विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया, जहां इसे और भी गहराई से चर्चा के लिए रखा जाएगा।
भारत की “अमृतकाल” की परिकल्पना
अमित शाह ने अपने भाषण में देश की भविष्यवाणी भी की और कहा कि भारत को अगले 25 वर्षों में “अमृतकाल” की दिशा में अग्रसर होना है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह जैसे महान विचारकों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका सपना था कि भारत एक दिन दुनिया के सामने अपनी ताकत और वैभव को प्रदर्शित करेगा। गृह मंत्री ने कहा कि यह संविधान ही है, जो भारत को इस महान भविष्य की दिशा में अग्रसर करेगा।
संविधान के 75 वर्षों की यात्रा पर विचार
गृह मंत्री ने संविधान के 75 वर्षों की यात्रा को एक प्रेरणा और गौरव की कहानी के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि संविधान ने हमें न केवल स्वतंत्रता दी, बल्कि समाज के सभी वर्गों को उनके अधिकारों से भी अवगत कराया। इसके माध्यम से भारतीय लोकतंत्र को दुनिया भर में एक मिसाल के रूप में प्रस्तुत किया गया।
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