
School Fees Hike 2025: शिक्षा या शोषण? बढ़ती फीस ने आम परिवारों की कमर तोड़ी
देशभर में स्कूल फीस बढ़ोतरी (School Fees Hike) अब एक आम समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक संकट बन चुकी है। Private school fees 2025 में जिस तरह से हर साल नई ऊंचाइयों को छू रही है, उससे करोड़ों भारतीय माता-पिता परेशान हैं।
मूल समस्या क्या है?
भारत में कई प्राइवेट स्कूल हर साल फीस में 20-30% तक की बढ़ोतरी कर रहे हैं। यह बढ़ोतरी सिर्फ Tuition Fee तक सीमित नहीं रहती, बल्कि Annual Charges, Lab Fees, Transport Fee, और यहां तक कि ID Card Fee जैसी अलग-अलग मदों में भी छिपी होती है।
Parents struggle with school expenses अब एक ट्रेंड नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत है।
ज़मीनी हकीकत: माता-पिता की आपबीती
- मुंबई के राकेश शर्मा (Private employee) – ₹30,000 की सैलरी में ₹18,000 सिर्फ बच्चों की स्कूल फीस!
- जयपुर की सीमा देवी – एक बच्चे को स्कूल से निकालना पड़ा क्योंकि Books, Uniform और Stationery का खर्च संभालना नामुमकिन था।
- उत्तर प्रदेश के ग्रामीण परिवारों में बच्चों ने स्कूल जाना ही छोड़ दिया क्योंकि Holiday Period Fees भी ली जा रही है।
School Fees Hike के पीछे के कारण
- स्कूलों का दावा है कि Digital Education Platforms, Sanitization और Infrastructure Maintenance में खर्च बढ़ा है।
- कुछ स्कूलों ने Court Cases का खर्च भी फीस में जोड़ दिया है।
- Extra Charges जैसे Sports Fee, Excursion Fee, Homework App Charges, आदि भी बिना ऑडिट के वसूले जाते हैं।
Extra Educational Expenses
- NCERT Books की कीमतें स्थिर हैं लेकिन Private Publishers की किताबों में 30-40% तक बढ़ोतरी।
- Uniforms सिर्फ स्कूल द्वारा तय दुकानों से ही खरीदने का दबाव, जहां दाम 4 गुना तक ज्यादा हैं।
- Homework App, Digital Report Cards, और Online Payment Charges जैसे डिजिटल माध्यमों से भी नई वसूली।
Government’s Role on School Fees
फीस रेगुलेशन कमेटियाँ (Fee Regulation Committees) केवल कागज़ों तक सीमित हैं।
- 2024 में दिल्ली सरकार ने फीस बढ़ाने पर रोक लगाई थी, लेकिन 70% स्कूलों ने High Court Stay लेकर मनमानी वसूली जारी रखी।
- Teachers Association का आरोप: “हमारी सैलरी नहीं बढ़ रही, पर स्कूल की फीस जरूर बढ़ रही है।”
Mental Impact on Children
- 2023-2025 में फीस के चलते स्कूल बदलने वाले बच्चों की संख्या में 40% वृद्धि।
- आत्मविश्वास में गिरावट, मानसिक तनाव और पढ़ाई से दूरी बच्चों में दिखने लगी है।
Solutions और Suggestions
- सरकार को Education Cost Transparency Portal शुरू करना चाहिए।
- हर स्कूल को अपनी फीस संरचना सार्वजनिक करनी चाहिए।
- CSR Schemes और NGO Support के जरिए गरीब बच्चों को स्कॉलरशिप और फीस में राहत मिलनी चाहिए।
शिक्षा अब अधिकार नहीं, सौदा बन चुकी है
Education in India अब एक बुनियादी अधिकार नहीं बल्कि अमीरों की पहुंच में सीमित एक लक्ज़री बनती जा रही है।
अगर हम चाहते हैं कि हर बच्चा पढ़े और आगे बढ़े, तो इस school fees crisis के खिलाफ मिलकर आवाज उठानी होगी।
आप क्या सोचते हैं?
क्या आप भी स्कूल फीस बढ़ोतरी की मार झेल रहे हैं? अपनी कहानी नीचे कमेंट में शेयर करें।
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