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बेंगलुरू के टेक्नीशियन Atul Subhash के सुसाइड नोट में परिवार न्यायधीश रिता कौशिक पर गंभीर आरोप: न्यायिक प्रणाली पर उठे सवाल
बेंगलुरू के एक प्रतिष्ठित एआई इंजीनियर Atul Subhash की आत्महत्या ने न केवल उनके परिवार को झकझोर दिया, बल्कि भारतीय न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। 9 दिसंबर 2024 को अतुल सुभाष ने अपनी आत्महत्या से पहले एक लंबा सुसाइड नोट और एक घंटे का वीडियो छोड़ा, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी, उनके ससुराल वालों और परिवार न्यायधीश रिता कौशिक के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। इस मामले ने भारतीय न्यायपालिका को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया है।
Atul Subhash की आत्महत्या और सुसाइड नोट
अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद, उनके द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट और वीडियो में कई चौकाने वाले खुलासे किए गए हैं। सुसाइड नोट के अनुसार, अतुल सुभाष ने परिवार न्यायधीश रिता कौशिक पर ₹5 लाख की रिश्वत की मांग करने का आरोप लगाया। इसके अलावा, उन्होंने कोर्ट के एक क्लर्क के बारे में भी आरोप लगाए, जिनके अनुसार 2022 में ₹3 लाख की रिश्वत मांगी गई थी ताकि उनकी सुनवाई शीघ्रता से हो सके। अतुल के मुताबिक, इन आरोपों का विरोध करने पर उन्हें अदालत के फैसले में पक्षपाती रवैया दिखाया गया, और उनके खिलाफ ₹80,000 मासिक भरण-पोषण का आदेश दिया गया।
सुभाष ने यह भी उल्लेख किया कि उनकी पत्नी पहले से ही ₹40,000 मासिक भरण-पोषण प्राप्त कर रही थी, हालांकि वह स्वयं काम कर रही थीं और अपनी आय कमा रही थीं। इसके बावजूद, उनके ससुरालवालों और पत्नी के दबाव के कारण वह मानसिक और आर्थिक तनाव का सामना कर रहे थे। सुसाइड नोट में यह भी उल्लेख है कि उन्होंने यूपी के जौनपुर में एक न्यायधीश से भी ₹5 लाख की रिश्वत की मांग की बात की, जहां उनकी पत्नी का परिवार रहता है।
परिवार न्यायधीश रिता कौशिक का परिचय
रिता कौशिक, जिनका नाम इस मामले में विवादों में आया है, 1 जुलाई 1968 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में जन्मी थीं। उन्होंने 1996 में जूनियर डिवीजन सिविल जज के तौर पर अपना करियर शुरू किया और समय-समय पर कई जिलों में अपनी सेवाएं दी, जिनमें सहारनपुर, मथुरा और अमरोहा शामिल हैं। 2018 से 2022 तक, रिता कौशिक ने अयोध्या में फैमिली कोर्ट की प्रमुख जज के रूप में कार्य किया और वर्तमान में वे जौनपुर में जज के पद पर कार्यरत हैं।
रिता कौशिक की न्यायिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण मुकदमे आए हैं, लेकिन इस मामले में आरोप लगने के बाद उनकी कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। अतुल सुभाष के सुसाइड नोट और वीडियो ने उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनका प्रभाव न केवल उनके करियर, बल्कि भारतीय न्यायपालिका की छवि पर भी पड़ा है।
Atul Subhash के आरोपों का विस्तृत विश्लेषण
अतुल सुभाष ने अपने सुसाइड नोट में जो आरोप लगाए हैं, वे सीधे तौर पर न्यायिक भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। उनका कहना था कि परिवार न्यायधीश रिता कौशिक और कोर्ट क्लर्क ने रिश्वत की मांग की और उनका केस सुनने में पक्षपाती रवैया अपनाया। यह आरोप उस समय और भी गंभीर हो जाते हैं जब यह पता चलता है कि न्यायपालिका के कर्मचारियों ने भी इस प्रक्रिया में घूस की मांग की।
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय न्यायपालिका पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, लेकिन जब एक व्यक्ति अपनी जान गंवाने के बाद ऐसे आरोप लगाता है, तो यह सवाल उठता है कि क्या हमारे न्यायिक तंत्र में सचमुच पारदर्शिता और निष्पक्षता का पालन हो रहा है? क्या लोग अपनी समस्याओं को सही तरीके से न्यायालय में ले जा सकते हैं या उन्हें डर और दबाव का सामना करना पड़ता है?
पुलिस की जांच और आगे की कार्यवाही
बेंगलुरू पुलिस ने अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद एफआईआर दर्ज कर ली है और उनकी पत्नी और ससुरालवालों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है। पुलिस के अनुसार, अतुल सुभाष की पत्नी और उनके परिवार द्वारा अत्यधिक मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा था, और उनके द्वारा पैसे की मांग की जा रही थी, जिससे अतुल सुभाष को इतना मानसिक दबाव हुआ कि उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया। पुलिस जांच जारी है और जल्द ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
न्यायपालिका की छवि पर असर
यह मामला भारतीय न्यायपालिका की छवि पर एक बड़ा धब्बा है। अगर इन आरोपों की जांच में सच्चाई सामने आती है, तो यह न केवल परिवार न्यायालयों की कार्यप्रणाली को चुनौती देगा, बल्कि भारतीय न्यायिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करेगा। अदालतों में इस तरह के भ्रष्टाचार की घटनाएं आम नहीं हैं, लेकिन जब ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, तो न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होता है।
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