अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया कार्यकारी आदेश जारी कर महिला खेलों में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों की भागीदारी पर रोक लगा दी है। इस फैसले को ‘Keeping Men Out of Women’s Sports’ नाम दिया गया है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह फैसला महिला खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा के लिए लिया गया है।
सामाजिक और राजनीतिक बहस तेज
इस फैसले से अमेरिका में राजनीतिक और सामाजिक बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने इसे भेदभावपूर्ण बताया है। आलोचकों का कहना है कि यह निर्णय ट्रांसजेंडर बच्चों को समाज से अलग-थलग करने की दिशा में कदम है।
आदेश का उद्देश्य
राष्ट्रपति ट्रंप ने वाइट हाउस में इस आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, “महिला खेल केवल महिलाओं के लिए होने चाहिए।” आदेश के अनुसार यदि किसी स्कूल ने ट्रांसजेंडर महिलाओं को महिला खेलों में भाग लेने की अनुमति दी, तो उस स्कूल का फेडरल फंड रोक दिया जाएगा।
Title IX की नई व्याख्या
इस नीति को लागू करने के लिए ट्रंप प्रशासन ने 1972 के Title IX कानून की नई व्याख्या की है। पहले यह कानून स्कूलों में लिंग-आधारित भेदभाव रोकने के लिए था, लेकिन अब इसे जैविक लिंग के आधार पर लागू किया जाएगा।
कानूनी लड़ाई की तैयारी
इस आदेश के बाद कई राज्यों ने कानूनी चुनौती देने की घोषणा की है। कनेक्टिकट के अटॉर्नी जनरल ने इसे अवैध बताते हुए कहा कि वे इस आदेश के खिलाफ खड़े होंगे।
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस आदेश की निंदा करते हुए कहा है कि ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को भी समान सम्मान और अधिकार मिलना चाहिए।
स्कूलों और कॉलेजों पर असर
इस आदेश का प्रभाव केवल स्कूल स्तर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कॉलेज खेलों (NCAA) पर भी पड़ेगा। NCAA को अपनी नीति में बदलाव करने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
ट्रंप समर्थकों की प्रतिक्रिया
रिपब्लिकन नेताओं ने इस आदेश का समर्थन किया है। उनका कहना है कि यह महिला खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा करने वाला फैसला है।
ट्रांसजेंडर अधिकारों पर बहस
अमेरिका के कई राज्यों में पहले ही ट्रांसजेंडर महिलाओं को स्कूल स्पोर्ट्स में भाग लेने से रोक दिया गया है। यह आदेश ट्रांसजेंडर अधिकारों पर जारी बहस का हिस्सा बन गया है।