कालाष्टमी क्या है ?
Kalashtami 2025 का त्यौहार महादेव के रौद्र रूप काल भैरव को समर्पित है। यह पर्व हर माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
यह पर्व महा काल की पूजा आराधना करने का और उनको प्रसंन करने का सबसे अच्छा दिन माना जाता है। इस बार कालाष्टमी का त्यौहार 21 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से मनाया जाने वाला है। अष्टमी तिथि 22 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 18 मिनट पर खत्म होगी।
हिन्दू धर्म में कालाष्टमी का व्रत को बहुत मान्यता दी गई है, इस दिन विशेष रूप से कालभैरव बाबा और उनके उग्र स्यरूप की पूजा करने का महत्त्व है। यह व्रत नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए अतियंत प्रभि है। इस दिन माँ काली की भी पूजा आराधना करी जाती है।
कालभैरव की पूजा का महत्त्व।
इस दिन महादेव के उग्र रूप और माँ काली की पूजा करी जाती है। कालाष्टमी का व्रत करने से नजरदोष दूर होता है , अगर भूतबाधा या तंत्र की परेशानियो से कोई जूझ रहा है तोह उसके लिए कालाष्टमी का व्रत काफी फलदाई है।
महादेव का कालभैरव रूप उनके भक्तो को न्याय दिलाने के लिए है और भक्तो की रक्षा के लिए है। इस व्रत से नकारात्मक उर्जाओ से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और महादेव का आशीर्वाद मिलता है।
कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि।
-कालाष्टमी के दिन भ्रम महूरत में उठे , स्नान आदि करने के बाद स्ववच वस्त्र धारण करे।
-पूजा स्थल को पंचा अमृत से सुद्ध करे फिर फूल , दीपक अदि से सजाये।
-कालभैरव की मूर्ति या चित्र की स्थपना करे।
-कालभैरव को गंगाजल से स्नान कराये फिर चौकी में लाल कपडा बिछा कर उनको फूल , चन्दन , रोली , सिंदूर अर्पित करे।
-भगवान् के सामने दीप जलाकर पूजा की शुरुआत करे। सरसो के तेल से दीप जलाये।
-काल भैरव के मंत्रो का जाप करे।
-भैरव बाबा को सात्विक भोग में हलवा , खीर , गुलगुले ( मीठे पुए ) , जलेबी अत्यधिक पसंद हैं मिठाइयों का भोग भैरव बाबा को लगाकर काले कुत्ते को खिलाना चाहिए और काली उड़द की दाल से बने दही भल्ले , पकोड़े आदि का भोग भैरव बाबा को लगाकर किसी गरीब को खिलाना चाहिए I
-अंत में कालभैरव की आरती करे। और समां याचना करे।
कालाष्टमी के दिन इन मंत्र का जाप ज़रूर करे।
ॐ क्लीं कालिकायै नमः
ॐ क्रीं क्रीं कालभैरवाय फट
ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:
ॐ काल भैरवाय नमः
ॐ श्री भैरवाय नमः
ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं
ॐ भयहरणं च भैरव:
ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्, भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
ॐ ब्रह्म काल भैरवाय फट
कालाष्टमी के दिन क्या करें-
आप कालाष्टमी के दिन व्रत रख सकते हैं. काल भैरव मंत्र का जाप करें. विशेषकर काले तिल और काले चने का दान करें. कालाष्टमी के दिन क्या न करें कालाष्टमी के दिन नकारात्मक विचारों से दूर रहें. झूठ बोलने से बचें और गुस्सा करने से बचें
कालाष्टमी के व्रत की कथा
कालाष्टमी की उत्पत्ति की कथा शिव पुराण से जुड़ी हुई है। धार्मिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने अपने पांचवें मुख से भगवान शिव का अपमान कर दिया। उनके इस अहंकार को देखकर भगवान शिव को क्रोध आया और उन्होंने अपने रौद्र रूप में काल भैरव का अवतार लिया। काल भैरव ने अपने नाखून से ब्रह्मा जी के पांचवे सिर को काट दिया। इस घटना के बाद ब्रह्मा जी का घमंड समाप्त हो गया और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा याचना की।
लेकिन ब्रह्मा हत्या का पाप लगने के कारण काल भैरव को काशी की धरती पर जाना पड़ा। वहां पहुंचते ही उनका यह पाप समाप्त हो गया और उन्हें काशी का कोतवाल घोषित कर दिया गया। आज भी काशी में काल भैरव की नगर रक्षक के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि काशी विश्वनाथ की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है। जब तक भक्त काल भैरव के दर्शन नहीं किए जाते।
यह भी पढ़े