Atul Subhash: बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर की आत्महत्या की दर्दनाक दास्तान
बेंगलुरु के 33 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने समाज और न्याय व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। उनके 40 पन्नों के सुसाइड नोट ने उनकी पीड़ा और मानसिक तनाव को दुनिया के सामने रखा। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है और न्यायिक सुधार की मांग को बल दिया है।
शादी के बाद जीवन में उथल-पुथल
साल 2018 में अतुल ने निकिता सिंघानिया से शादी की। शादी के शुरुआती दिनों में सब सामान्य रहा, लेकिन जल्द ही स्थिति बिगड़ने लगी। निकिता ने जौनपुर लौटकर अतुल और उनके परिवार पर कई गंभीर आरोप लगाए, जिनमें दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और हत्या के प्रयास जैसे मामले शामिल थे। इन आरोपों के चलते अतुल को बार-बार कोर्ट के चक्कर काटने पड़े, जिससे उनका मानसिक और आर्थिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।
I can sacrifice 100 sons like you for my father. I can sacrifice 1000 of me for you: #AtulSubhash
If his sacrifice doesnt bring men to the streets demanding a National Commission for Men, nothing ever will.
May Judge Rita Kaushik & wife Nikita be jailed for life! #JusticeIsDue pic.twitter.com/cpNU8TzbCD
— Kashmiri Hindu (@RohitInExile) December 10, 2024
न्याय प्रक्रिया से उपजी हताशा
अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि उन्होंने बार-बार न्याय की गुहार लगाई, लेकिन हर बार केवल तारीखें बढ़ती रहीं। न्यायिक प्रक्रिया से निराश होकर उन्होंने लिखा:
“जब मैंने जज को बताया कि मेरी पत्नी मुझे आत्महत्या के लिए उकसा रही है, तो जज ने इस पर हंस दिया।”
इस तरह की घटनाओं ने उनकी निराशा को और गहरा कर दिया।
बेटे के नाम लिखा मार्मिक पत्र
अतुल ने अपने बेटे व्योम के नाम एक भावुक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा:
“जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा, तो सोचा कि मैं तुम्हारे लिए अपनी जान दे दूं। लेकिन अब अपनी जान तुम्हारे कारण दे रहा हूं।”
उन्होंने यह भी लिखा कि उनका बेटा उनके खिलाफ ब्लैकमेलिंग का साधन बन चुका है।
₹3 करोड़ की मांग और ब्लैकमेलिंग
निकिता ने तलाक के बदले पहले ₹1 करोड़ और बाद में ₹3 करोड़ की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने अतुल और उनके परिवार पर नए-नए आरोप लगाए। इन आरोपों के कारण अतुल और उनका परिवार मानसिक उत्पीड़न का शिकार हुआ। अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा:
“यह न्याय प्रणाली पुरुषों को अपराधी बना देती है। महिला सशक्तिकरण का मतलब निर्दोष पुरुषों का शोषण नहीं है।”
न्याय की लड़ाई और हार
कानूनी लड़ाई लड़ते-लड़ते अतुल मानसिक और शारीरिक रूप से टूट चुके थे। कोर्ट के बार-बार चक्कर काटने और नौकरी में ध्यान न दे पाने के कारण उनका करियर भी बर्बाद हो गया। उन्होंने लिखा:
“यह व्यवस्था पिता को उनके बच्चे से दूर कर देती है। पुरुषों के लिए न्याय की कोई जगह नहीं है।”
सामाजिक और न्यायिक सुधार की जरूरत
अतुल की आत्महत्या के बाद सोशल मीडिया पर #JusticeForAtulSubhash ट्रेंड करने लगा। लोगों ने न्यायिक सुधार और पुरुषों के अधिकारों की सुरक्षा की मांग उठाई। अतुल के भाई ने कहा:
“अगर मेरा भाई दोषी था, तो सबूत दीजिए। हमें न्याय चाहिए।”
उनके पिता ने बताया कि उनका बेटा मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह टूट चुका था।
मानसिक तनाव में मदद लेना जरूरी
अतुल की घटना ने मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत को रेखांकित किया है। यदि आप भी मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं, तो तुरंत मदद लें।
हेल्पलाइन नंबर:
- संजिविनी (दिल्ली): 011-40769002
- स्नेहा फाउंडेशन (चेन्नई): 044-24640050
- वंदरेवाला फाउंडेशन (मुंबई): +91 9999666555
अतुल सुभाष की आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह समाज और न्याय प्रणाली की खामियों को दिखाती है। उनकी कहानी से सीख लेते हुए समाज और कानून व्यवस्था में बदलाव लाना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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