
भगवान विष्णु को समर्पित वरुथिनी एकादशी व्रत: कब और कैसे करें?
वरुथिनी एकादशी : हर साल वैशाख मास की कृष्ण पक्ष तिथि पर वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हर साल की तरह इस साल भी वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की तिथि पर वरुथिनी व्रत रखा जाएगा, हालांकि इस बार वरुथिनी एकादशी को लेकर काफी कंफ्यूजन है, कि इस बार वरुथिनी एकादशी का व्रत 23 अप्रैल को रखा जाएगा या फिर 24 अप्रैल को?
आईए जानते हैं वरुथिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा? और पूजा विधि और व्रत के नियम क्या है।
वरुथिनी एकादशी
हर साल तकरीबन 24 एकादशियों का व्रत रखा जाता है। अधिक मासिया अलमास होने पर इसकी संख्या 26 हो जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। सभी भक्तजन इस दिन भक्ति पूर्वक व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु से अपनी मनोकामनाओं के पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं। यह व्रत काफी फलदाई माना जाता है।
वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से इस लोक और परलोक में सभी सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
महत्व
ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्त वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की वरुथिनी एकादशी का व्रत विधि विधान पूर्वक रखता है तो उसे व्यक्ति को 10000 वर्षों तक तपस्या करने के समान फल मिलता है।जो भी व्यक्ति इस दिन अनक दान करता है उसको कन्यादान के फल जितना सौभाग्य प्राप्त होता है, अर्थात वरुथिनी एकादशी का फल और कन्यादान का फल एक समान है।
जो भी व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में रात भगत जाग कर जागरण करता है उसे व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
एकादशी का व्रत कब है?
वरुथिनी एकादशी की तिथि 23 अप्रैल से शुरू हो रही है और 24 अप्रैल तक रहेगी। एकादशी तिथि का आरंभ 23 अप्रैल शाम को 4:44 मिनट पर शुरू होगा और 24 अप्रैल दोपहर 2:31 पर इसका समापन होगा।
सनातन धर्म में सूर्य उदय के साथ किसी भी व्रत को शुरू करने की मान्यता है इसीलिए, 2025 में वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल को ही रखा जाएगा। इसके बाद वरुथिनी एकादशी का व्रत परण 25 अप्रैल को द्वादशी तिथि में सुबह 5:45 से और 8:30 के बीच करना उत्तम रहेगा।
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि
- वरुथिनी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे और स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- अपने घर और पूजा स्थल को गंगाजल से स्वच्छ करें।
- लकड़ी की चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- पंच अमित से भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी का जल अभिषेक करें।
- इसके बाद हाथ में फूल और सिक्का रखकर पूरे दिन व्रत रखने का, ब्रह्मचर्य का पालन करने और मानसिक रूप से व्रत रखने का संकल्प ले।
- भगवान के आगे दीप जलाएं और भगवान विष्णु के मित्रों का उच्चारण करें।
- भगवान विष्णु को चंदन,अक्षत, फूल आदि अर्पित करें।
- भगवान विष्णु को कमलगट्टे और तुलसी के पेट अति प्रिय है, इसीलिए उनको यह जरुर चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु के समक्ष फल और मिठाइयां भोग के तौर पर चढ़ाई।
- विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु स्तोत्र या गीता का पाठ जरूर करें। और आरती करें।
- अंत में भगवान विष्णु से पूजा में हुई गलती हो तथा मित्रों के गलत उच्चारण तथा अन्य गलतियों की माफी मांगी।
एकादशी के दिन यह भूल कर भी ना करें!
अगर आप एकादशी का व्रत रखते हैं तो आपको कई चीजों पर सतर्कता बरतने की जरूरत है। जैसे
- झूठ ना बोले।
- तामसिक भोजन या तामसिक चीजों का उपयोग न करें।
- दिन में सोने से बचे, और क्रोध बिल्कुल भी ना करें।
- अपने मुंह से अपशब्द ना निकले।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- किसी के बारे में बुरा ना सोचे।
- शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।
- विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
- लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
- वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
- ॐ नमोः नारायणाय नमः। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।