![जोमैटो बॉय से जज बनने तक, मोहम्मद यासीन की प्रेरणादायक कहानी 1 Ggbc12abYAAUhyx](https://aarambhnews.com/wp-content/uploads/Ggbc12abYAAUhyx.jpeg)
मोहम्मद यासीन की कहानी इस बात का प्रमाण है कि मेहनत, हिम्मत और दृढ़ संकल्प किसी भी व्यक्ति को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकते हैं। केरल के पट्टांबी नामक एक छोटे से कस्बे में जन्मे यासीन ने संघर्षों से भरे अपने जीवन में न केवल खुद को तराशा, बल्कि केरल न्यायिक सेवा परीक्षा 2024 में दूसरी रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया। उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए एक मिसाल है, जो अपने सपनों को पाने के लिए परिस्थितियों से जूझ रहा है।
बचपन की कठिनाइयाँ
मोहम्मद यासीन का बचपन आर्थिक तंगी में बीता। उनके परिवार को राज्य सरकार की आवास योजना के तहत एक घर मिला था, लेकिन उनकी स्थिति इतनी खराब थी कि छोटी उम्र से ही उन्हें परिवार की मदद के लिए काम करना पड़ा। वे सुबह-सुबह अखबार और दूध बांटते थे और इसके बाद मजदूरी व पेंटिंग जैसे काम करते थे। इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने पढ़ाई का दामन नहीं छोड़ा।
स्कूल के दिनों में यासीन एक औसत छात्र थे। हालांकि, उन्होंने हमेशा अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में मेहनत की। 12वीं के बाद उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा किया और नौकरी की तलाश में गुजरात चले गए। वहां उन्हें एक छोटी नौकरी मिली, लेकिन उनका मन पढ़ाई में ही लगा रहा। इसके बाद उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। यह उनके जीवन में बदलाव का एक बड़ा कदम था।
कानून के प्रति रुचि कैसे विकसित हुई
स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद यासीन ने कानून के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। यह फैसला आसान नहीं था, क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति उनके इस निर्णय के आड़े आ रही थी। लेकिन यासीन ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने केरल लॉ एंट्रेंस एग्जाम में भाग लिया और 46वीं रैंक हासिल कर एर्नाकुलम के सरकारी लॉ कॉलेज में दाखिला लिया।
पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उन्होंने ज़ोमैटो के लिए डिलीवरी बॉय के रूप में काम करना शुरू किया। दिन में वे कॉलेज में पढ़ाई करते और रात में ऑर्डर डिलीवरी का काम करते। यह उनके जीवन का एक कठिन लेकिन प्रेरणादायक दौर था।
पढ़ाई और काम के बीच संतुलन
यासीन ने दिन में पढ़ाई और रात में काम के बीच संतुलन बनाए रखा। कोविड-19 महामारी के दौरान जब ज़ोमैटो का काम ठप हो गया, तो उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। उनके जीवन में यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उन्होंने इसे भी अवसर में बदल दिया।
2022 में यासीन ने अपनी एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने पट्टांबी मुंसिफ-मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक जूनियर वकील के रूप में काम करना शुरू किया। यह अनुभव उनके लिए बेहद अहम साबित हुआ।
अदालत में पहली सफलता
अपने मेंटर एडवोकेट शाह-उल-हमीद के मार्गदर्शन में यासीन ने न केवल व्यावहारिक ज्ञान हासिल किया, बल्कि उन्हें अदालत में केस लड़ने का भी मौका मिला। एक 2 करोड़ रुपये के संपत्ति विवाद के मामले में यासीन ने जज के सामने अपनी बात रखी और केस जीता। यह उनकी कानूनी समझ और दृढ़ता का एक बड़ा उदाहरण है।
न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी
यासीन ने पहली बार 2023 में केरल न्यायिक सेवा परीक्षा दी। इसमें उन्होंने 58वीं रैंक हासिल की, लेकिन मुख्य परीक्षा पास नहीं कर सके। यह असफलता उनके लिए सीखने का मौका बनी।
अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने शानदार तैयारी की और 2024 में दूसरी रैंक हासिल की। यह उपलब्धि उनके समर्पण और मेहनत का प्रमाण है।
लाइव लॉ को दिए गए एक इंटरव्यू में यासीन ने बताया, “शायद मुझे पुरुष होने का विशेषाधिकार मिला, जिसकी वजह से मैं इन चुनौतियों को पार कर सका। अगर मैं महिला होता, तो यह सफर और भी कठिन होता।” यह उनके विचारों की गहराई और उनके अनुभवों को समझने की क्षमता को दर्शाता है।
भविष्य की योजनाएँ
मोहम्मद यासीन अब 29 साल के हो चुके हैं और उनका सपना है कि वे कानून में परास्नातक की पढ़ाई करें। वे न्यायिक प्रणाली का हिस्सा बनकर समाज में न्याय की स्थापना में योगदान देना चाहते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा और अवसरों की सही दिशा में उपयोग से किसी भी व्यक्ति का जीवन बदला जा सकता है।
मोहम्मद यासीन की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपनी परिस्थितियों से हार मानने की कगार पर है। उनकी मेहनत और सफलता यह सिखाती है कि अगर आपके इरादे मजबूत हों, तो कोई भी चुनौती आपकी राह में बाधा नहीं बन सकती। यह कहानी हम सभी को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।
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