स्वीडन में क़ुरान जलाने वाले व्यक्ति सलवान मोमिका की बुधवार शाम गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना स्वीडन के स्टॉकहोम के एक नज़दीकी कस्बे में घटी, जब मोमिका अपनी बालकनी में खड़े होकर सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे थे। मोमिका की हत्या उस वक्त हुई जब स्टॉकहोम की अदालत में उनके खिलाफ क़ुरान जलाने से जुड़े मामले का फैसला सुनाए जाने वाला था।
सलवान मोमिका की हत्या ने स्वीडन में एक बार फिर से धार्मिक उन्माद और सामाजिक असहमति को लेकर बहस छेड़ दी है।
सलवान मोमिका: एक विवादास्पद शख्स
38 वर्षीय सलवान मोमिका इराक़ी मूल के शरणार्थी थे, जो 2018 में स्वीडन पहुंचे थे। स्वीडन में शरणार्थी के रूप में रहने के बाद उन्हें 2021 में स्वीडन की नागरिकता का अधिकार मिला। मोमिका ने खुद को एक नास्तिक और लेखक बताया था और वह कई इस्लाम-विरोधी प्रदर्शनों में शामिल रहे थे। उनका सबसे विवादास्पद कृत्य था, जब 28 जून 2023 को उन्होंने स्टॉकहोम के सेंट्रल मस्जिद के सामने क़ुरान जलाया था। इस कृत्य ने न केवल स्वीडन बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय को आहत किया था। इस घटना के बाद स्वीडन में हिंसक प्रदर्शन हुए थे और कई इस्लामी देशों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
मोमिका के क़ुरान जलाने के बाद इस्लामी देशों, खासकर सऊदी अरब और इराक़ ने इसे धार्मिक असंवेदनशीलता और इस्लामोफोबिया के रूप में निंदा की थी। उनका यह कृत्य स्वीडन के स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकारों के दायरे में था, लेकिन मुस्लिम देशों ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपमानजनक मानते हुए स्वीडन से कड़ा विरोध जताया था।
सलवान मोमिका के क़ुरान जलाने का विवाद
सलवान मोमिका ने 2023 में स्टॉकहोम की सेंट्रल मस्जिद के बाहर दो स्वीडिश झंडे लहराए और फिर उनका राष्ट्रीय गान गाया। इसके बाद उन्होंने क़ुरान को जलाया। इस घटना ने एक बड़ा विवाद खड़ा किया था और इराक़, पाकिस्तान, और अन्य इस्लामी देशों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। इराक़ की राजधानी बगदाद में स्वीडन के दूतावास पर हमला किया गया, जबकि पाकिस्तान के कई शहरों में रैलियां निकाली गईं।
मोमिका के इस विरोध प्रदर्शन को स्वीडन सरकार ने शांति से आयोजित किया गया माना, लेकिन दुनिया भर के मुस्लिम समुदाय ने इसे अपमानजनक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला करार दिया। स्वीडन सरकार ने इस घटना की निंदा की थी, लेकिन इसे स्वीडन के अभिव्यक्ति के अधिकार के हिस्से के रूप में देखा था।
स्वीडन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ़ क्रिसटेरसन ने सलवान मोमिका की हत्या पर चिंता जताई और कहा कि स्वीडन की सिक्योरिटी सर्विसेज़ इस मामले की जांच में शामिल हैं। उन्होंने इस घटना के बारे में यह भी कहा कि इसमें एक संभावित विदेशी लिंक हो सकता है। स्वीडन की सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह मामला स्वीडन के भीतर के असंतोष का परिणाम भी हो सकता है, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय विवादों से जोड़कर देखा जा सकता है।
इसके साथ ही, स्वीडन की अदालत ने सलवान मोमिका के क़ुरान जलाने से जुड़े मामले में सुनवाई स्थगित कर दी, क्योंकि मोमिका की हत्या हो चुकी थी। अब इस मामले में नए सिरे से जांच की जाएगी।
मोमिका के जीवन का संघर्ष
सलवान मोमिका का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। वह इराक़ के एक ईसाई परिवार से थे और 2018 में स्वीडन आए थे। स्वीडन में उन्हें शरणार्थी का दर्जा मिला और उन्होंने अपनी पहचान एक लेखक और नास्तिक के रूप में बनानी शुरू की। उन्होंने धार्मिक असहिष्णुता और इस्लाम विरोधी बयानबाजी के कारण कई बार सुर्खियां बटोरी थीं।
स्वीडन में उनकी शरणार्थी स्थिति पर भी सवाल उठाए गए थे, क्योंकि उनका यह कृत्य स्वीडन के आंतरिक विवादों को और बढ़ा सकता था। हालांकि, स्वीडन सरकार ने उन्हें शरण देने का फैसला किया था और 2021 में उन्हें स्थायी शरणार्थी का दर्जा दिया गया था।
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