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Russia-Ukraine war: सऊदी क्राउन प्रिंस सलमान बने बड़े विजेता, रियाद में अमेरिका-रूस की ऐतिहासिक वार्ता शुरू
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) के बीच सऊदी अरब वैश्विक कूटनीति में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। मंगलवार को रियाद में अमेरिका और रूस के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच एक ऐतिहासिक बैठक शुरू हुई। यह बैठक रूस द्वारा यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण करने के लगभग तीन साल बाद पहली बार हो रही है, जिसमें दोनों महाशक्तियों के बीच सीधे उच्च-स्तरीय वार्ता हो रही है।
Russia-Ukraine war में शांति समझौते की तैयारी
इस महत्वपूर्ण बैठक का उद्देश्य रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए संभावित शांति समझौते की आधारशिला रखना है। इसके अलावा, अमेरिका-रूस संबंधों को सामान्य करने और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक संभावित शिखर बैठक की तैयारियों पर भी चर्चा होगी।
सऊदी सरकार के सलाहकार अली शिहाबी ने एएफपी से कहा, “यह सऊदी अरब के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। दोनों महाशक्तियों का रियाद में आकर अपने मतभेद सुलझाना, सऊदी की ‘सॉफ्ट पावर’ को वैश्विक मंच पर स्थापित करता है।”
सऊदी अरब की कूटनीतिक वापसी
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सऊदी अरब की इस भूमिका ने उसके वास्तविक नेता क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाया है। एक समय पर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2018 में वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद सलमान को ‘पारिया’ (अछूत) करार दिया था। लेकिन अब, इस ऐतिहासिक बैठक की मेजबानी करके सऊदी अरब ने अपनी कूटनीतिक वापसी को साबित किया है।
सऊदी अखबार ‘ओकाज़’ ने इसे “दुनिया की नजरें रियाद पर” बताते हुए एक ऐतिहासिक क्षण कहा है।
यूरोप की चिंता: यूक्रेन की उपेक्षा
इस बैठक में यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया है, जिससे यूरोपीय देशों में चिंता बढ़ गई है। उन्हें डर है कि वाशिंगटन और मास्को के बीच कोई भी समझौता यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगियों को कमजोर कर सकता है।
सोमवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की अध्यक्षता में पेरिस में एक आपातकालीन शिखर सम्मेलन हुआ, जहां यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप की नीति का जवाब देने की रणनीति पर चर्चा की।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टारमर ने युद्धविराम के बाद यूक्रेन में यूरोपीय शांति सैनिक भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने तुरंत अस्वीकार कर दिया।
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने चेतावनी दी, “रूस अब पूरे यूरोप के लिए खतरा बन गया है। अगर जल्दबाजी में युद्धविराम हुआ, तो इससे मास्को को अगले युद्ध की तैयारी का समय मिल जाएगा।”
रूस की मांगें और यूक्रेन की असहमति
पुतिन ने शांति समझौते के लिए कुछ सख्त शर्तें रखी हैं:
- यूक्रेन को रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों से अपनी सेना हटानी होगी।
- कीव को नाटो में शामिल होने की अपनी इच्छा छोड़नी होगी।
- रूस पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों को हटाया जाना चाहिए।
यूक्रेन ने इन शर्तों को आत्मसमर्पण जैसा मानते हुए ठुकरा दिया है। हालांकि, ट्रंप द्वारा समझौते पर जोर देने से कीव पर दबाव बढ़ सकता है।
सऊदी की ‘हेजिंग रणनीति’
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान सऊदी अरब ने वाशिंगटन और मास्को के साथ अपने संबंधों को संतुलित रखा है:
- सऊदी ने रूस के साथ ओपेक+ के जरिए तेल उत्पादन पर सहयोग किया।
- इसके साथ ही, सऊदी ने यूक्रेन को मानवीय सहायता में करोड़ों डॉलर दिए।
- सितंबर 2022 में, सऊदी ने रूस और यूक्रेन के बीच कैदियों की अदला-बदली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
गाजा मुद्दे पर सऊदी की पहल
सऊदी अरब की कूटनीतिक सक्रियता केवल रूस-यूक्रेन युद्ध तक सीमित नहीं है। शुक्रवार को सऊदी अरब एक और अरब शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा, जिसमें ट्रंप का विवादास्पद प्रस्ताव – गाजा को अमेरिकी प्रशासन के अधीन करना और वहां की आबादी को स्थायी रूप से पुनर्वासित करना – पर चर्चा की जाएगी।
सऊदी अरब ने स्पष्ट किया है कि कोई भी योजना फिलिस्तीनी राज्य की आकांक्षाओं के अनुरूप होनी चाहिए। इस मुद्दे पर सऊदी अपने मजबूत अमेरिकी संबंधों का लाभ उठाकर नीति को प्रभावित करने की कोशिश कर सकता है।
Russia-Ukraine war: क्या होगा आगे?
- ज़ेलेन्स्की की सऊदी यात्रा: यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेन्स्की इस सप्ताह सऊदी अरब की यात्रा करेंगे। उनका उद्देश्य है कि भविष्य की वार्ताओं में यूक्रेन की आवाज सुनी जाए।
- ट्रंप-पुतिन बैठक: अगर रियाद की बैठक में प्रगति होती है, तो ट्रंप और पुतिन के बीच सीधी वार्ता जल्द ही हो सकती है, जिससे वैश्विक कूटनीति में बड़ा बदलाव आएगा।
- यूरोप की रणनीति: यूरोपीय नेता यह तय करेंगे कि ट्रंप की नीति के साथ चलना है या यूक्रेन की सुरक्षा की रक्षा के लिए अपनी स्वतंत्र रणनीति अपनानी है।