
World Sauntering Day 2025 : भागती दुनिया में एक ठहराव!
World Sauntering Day 2025 : हर साल 19 जून को मनाया जाने वाला विश्व सैर-सपाटा दिवस (World Sauntering Day) एक ऐसा दिन है जो हमें अपनी भागदौड़ भरी ज़िंदगी से एक पल निकालकर रुकने, सांस लेने और चारों ओर की सुंदरता को महसूस करने की याद दिलाता है। यह दिन हमें “धीमे चलने” की महत्ता का अहसास कराता है – एक ऐसा कदम जो हमारे जीवन की मानसिक और भावनात्मक सेहत के लिए बेहद जरूरी है।
सैंटरिंग का मतलब क्या होता है?
‘Sauntering’ यानी सैंटरिंग का मतलब होता है आराम से, बिना किसी जल्दी या तनाव के चलना – जैसे कि आपके पास दुनिया का सारा वक्त हो। यह शब्द ‘सेंट टेरे’ से प्रेरित होकर फ्रेंच भाषा से निकला है और इसे 17वीं शताब्दी से अंग्रेजी में प्रयोग किया जा रहा है। पहले इसका मतलब ‘दिवास्वप्न देखना’ भी था।
इतिहास: क्यों मनाते हैं यह दिन?
1970 के दशक में अमेरिका के एक प्रचारक डब्ल्यू.टी. राबे ने इस दिन की शुरुआत की थी। वे उस समय मैकिनैक द्वीप के ग्रैंड होटल में काम करते थे। उन्होंने यह दिन खासतौर पर उस समय की तेजी से लोकप्रिय हो रही जॉगिंग की आदत के मुकाबले में शुरू किया था। उनका मानना था कि लोग तेजी से भागने की बजाय कभी-कभी धीमा चलें, रुकें और अपने आसपास की चीज़ों को महसूस करें।
राबे का कहना था कि “सच्चा सैंटरिंग वो होता है जिसमें आप बिंदु A से बिंदु B तक जाएं, लेकिन बिना किसी जल्दी के और बिना इस चिंता के कि आप कहाँ जा रहे हैं।”
कैसे मनाएं सैर-सपाटा दिवस?
- आराम से टहलें
अपने नजदीकी पार्क, गली या खेत में जाएं और बिना किसी योजना के बस टहलें। ये एक मन को शांत करने वाला अनुभव बन सकता है। - अपने अनुभव साझा करें
अपने दोस्तों, परिवार या सोशल मीडिया पर सैंटरिंग के फायदे बताएं। दूसरों को भी प्रेरित करें ताकि वे भी इस दिन को अपनाएं। - सैर पर आधारित किताबें पढ़ें
“The Art of Walking”, “Wanderlust” जैसी किताबें पढ़कर आप जान सकते हैं कि कैसे इतिहास में भी सैर को ध्यान और आत्मिक शांति से जोड़ा गया है। - डिजिटल डिटॉक्स करें
इस दिन मोबाइल, लैपटॉप से दूरी बनाएं और प्रकृति से जुड़ें।
सैर-सपाटे के फायदे
मानसिक शांति मिलती है
तनाव कम होता है
क्रिएटिव सोच बढ़ती है
स्वास्थ्य में सुधार होता है
प्रकृति से जुड़ाव होता है
निष्कर्ष:
आज के समय में, जहाँ हर कोई आगे निकलने की दौड़ में है, विश्व सैर-सपाटा दिवस हमें याद दिलाता है कि रुकना भी जरूरी है। कभी-कभी लक्ष्य के बिना चलना, बिना किसी तनाव के जीना और बस “होने” का आनंद लेना ही असली जीवन है। तो आइए, इस 19 जून को चलें… लेकिन धीरे-धीरे, सुकून के साथ।
यह भी पढ़े
World Sickle Cell Day 2025: जेनेटिक लड़ाई, जागरूकता बढ़ाई, जानकारी ही बचाव है
International Yoga Day 2025: योग का धमाका 2025 में! जानें इस साल की खास थीम और फायदे