
Narendra Modi Ghana Visit ऐतिहासिक राष्ट्रपति अभिनन्दन से लेकर चार MoUs तक — भारत-अफ्रीका साझेदारी का नया अध्याय
Narendra Modi Ghana Visit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों 8 दिवसीय पांच देशों की यात्रा पर हैं, जिसका पहला और अत्यंत प्रतीकात्मक पड़ाव है – घाना। अफ्रीका के इस उभरते लोकतांत्रिक राष्ट्र में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह 30 वर्षों बाद पहली दोनों तरफ़ दो यात्रा है। 2 और 3 जुलाई 2025 को हुई यह यात्रा भारत और घाना के संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास है। इस यात्रा को लेकर न केवल दोनों देशों में उत्साह है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी इसे भारत की अफ्रीका नीति का नया अध्याय माना जा रहा है। और चार MoUs (Memorandum of understanding)पर होंगे हस्ताक्षर, और $3 बिलियन व्यापार सीमा पार ये सब विरासत और संभावनाओं को दशार्ता है।
नेहरू से मोदी तक का सफर
घाना 1957 में स्वतंत्र होने वाला पहला उप-सहारा अफ्रीकी देश था। भारत ने घाना की आज़ादी के तुरंत बाद उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे। पंडित नेहरू और घाना के पहले राष्ट्रपति क्वामे एनक्रूमा के बीच ऐतिहासिक मित्रता रही। यह वही देश है जहाँ महात्मा गांधी की प्रतिमा भी स्थापित है। भारत-घाना संबंधों की नींव ऐतिहासिक है, लेकिन पिछले तीन दशकों में इस रिश्ते में वह सक्रियता नहीं रही, जिसकी आवश्यकता थी। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा इस खाई को भरने का प्रयास है।
भारत और घाना के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक आधार पर मजबूत हैं। दोनों देशों ने 1957 में घाना की स्वतंत्रता के बाद से राजनयिक संबंध स्थापित किए। ये संबंध गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) और राष्ट्रमंडल जैसे मंचों पर सहयोग से और प्रगाढ़ हुए। भारत ने घाना की आजादी के संघर्ष का समर्थन किया। साथ ही जवाहरलाल नेहरू की पंचशील नीति ने दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा दिया।
Narendra Modi Ghana Visit का स्वागत और शिष्टाचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2 जुलाई को घाना की राजधानी अकरा (Accra) पहुँचे, तो उनका स्वागत पारंपरिक अफ्रीकी नृत्य, बच्चों के गीतों और भव्य सैन्य सम्मान के साथ किया गया। घाना के राष्ट्रपति नाना अकूफो-अडो ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से एयरपोर्ट पर रिसीव किया, जो दोनों देशों के संबंधों की गरिमा को दर्शाता है। पश्चिमी अफ्रीका के देश घाना की यात्रा पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घाना के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया है। घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा ने उन्हें खुद देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान,’द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से सम्मानित किया गया।
बेहद गर्व और सम्मान की बात- पीएम मोदी जी बोले
पीएम मोदी ने कहा कि यह सम्मान 1.4 अरब भारतीयों की ओर से स्वीकार करते हैं। उन्होंने इसे दोनों देशों के युवाओं को समर्पित किया। पीएम मोदी ने कहा कि यह मेरे लिए बहुत गर्व और सम्मान की बात है कि मुझे घाना का सर्वोच्च सम्मान मिला है। मैं राष्ट्रपति महामा, घाना सरकार और घाना के लोगों के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। मैं इस सम्मान को 1.4 अरब भारतीयों की ओर से विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं।
पांच वर्षों में व्यापार दोगुना करने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई, जिसमें दोनों देशों ने अपने संबंधों को व्यापक साझेदारी के स्तर तक विस्तार दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने आकरा में प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि “हमारा द्विपक्षीय व्यापार अब 3 बिलियन डॉलर पार कर चूका है”।
बातचीत के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने अगले पांच वर्षों में दोतरफा व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है, और भारत घाना की विकास यात्रा में न केवल भागीदार है, बल्कि सह-यात्री भी है। भारत-घाना कूटनीति, निवेश, और तकनीकी सहयोग से फ़ायदा उठा रहा है और भविष्य में इसे दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। UPI इंटीग्रेशन, DTAA, और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे प्रोजेक्ट्स की मदद से यह सम्बंध और भी गहरा होगा।
मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर सोने के आयात के कारण है। इसके अलावा यात्रा के दौरान, कृषि, पश्चिम अफ्रीका में वैक्सीन विकास केंद्र, रक्षा सहयोग, महत्वपूर्ण खनिज और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। साथ ही कुछ समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए है । यह यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक और सामरिक सहयोग को और गहरा करेगी।
सुरक्षा और सहयोग बढ़ाने पर सहमति
दोनों नेताओं ने रक्षा और सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। भारत, घाना में व्यावसायिक शिक्षा के लिए एक कौशल विकास केंद्र स्थापित करेगा और घाना के ‘फीड घाना’ कार्यक्रम का समर्थन करेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि आज हमने घाना के लिए ITEC और ICCR छात्रवृत्ति को दोगुना (128 नागरिक और 109 रक्षा कर्मियों तक)करने का फैसला किया है और Skill Development Centre की स्थापना की गई, तथा छात्रों के लिए शिक्षा केंद्र (Study in India Fair) भी आयोजित किया गया । UPI को GHIPSS में छह महीने में इन्टिग्रेट करने का निर्णय लिया, इससे त्वरित, सस्ता डिजिटल भुगतान संभव होगा, जिससे व्यापार में पारदर्शिता व गति आएगी।
डिफेंस सप्लाई (Defence Equipment Supply) भारत अब घाना को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसमें ड्रोन, निगरानी प्रणाली, हल्के वाहन, और बॉडी आर्मर जैसी आवश्यक सामग्रियाँ शामिल होंगी। मेक इन इंडिया के तहत निर्मित उपकरणों को अफ्रीकी देशों में निर्यात करने की नीति को इससे बल मिलेगा।
मोदी ने कहा, ‘हमने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में घाना के सहयोग के लिए आभार जताया।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने पश्चिम एशिया और यूरोप में संघर्षों पर गंभीर चिंता व्यक्त की और बातचीत और कूटनीति (diplomacy) के माध्यम से समस्याओं का समाधान तलाशने का आह्वान किया। मोदी ने कहा, ‘यह युद्ध का युग नहीं है, समस्याओं का समाधान बातचीत और कूटनीति के माध्यम से किया जाना चाहिए।’
दोनों राष्ट्रों ने सुरक्षा में “Security through Solidarity” मंत्र अपनाया; आत्मरक्षा, साइबर, समुद्री क्षेत्र, आतंकवाद रोधी जरुरतों पर सहयोग सुनिश्चित किया गया। प्रशिक्षण एवं सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने में भी भागीदारी पर सहमति बनी ।
चार MoUs: संस्कृति से स्वास्थ्य तक का संयोजन
मोदी की यात्रा में चार महत्वपूर्ण MoUs पर हस्ताक्षर हुए, जो विभिन्न क्षेत्रों में भारत-घाना साझेदारी को मजबूत करेंगे ।
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Cultural Exchange Programme: कला, संगीत, नृत्य, साहित्य एवं विरासत के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा।
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BIS – GSA MoU: गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएगा।
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Traditional Medicine Collaboration: आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा में शिक्षा, प्रशिक्षण और रिसर्च।
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Joint Commission Mechanism: नियमित उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय बैठकें आयोजित करने की व्यवस्था।
ये चार समझौते भारतीय और घाना दोनों देशों में शिक्षा, संस्कृति और मानकीकरण से लेकर स्वास्थ्य तक कई क्षेत्रों में सहयोग बनाएंगे।
घाना के साथ भारत का रक्षा सहयोग अब केवल प्रशिक्षण या सांकेतिक सहायता तक सीमित नहीं है। यह एक समग्र रणनीति है जिसमें मानव संसाधन विकास, उपकरण आपूर्ति, और साइबर सुरक्षा जैसे आधुनिक आयाम भी शामिल हो चुके हैं। यह संबंध दोनों देशों को न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा में मजबूत बनाएगा, बल्कि एक भरोसेमंद, दीर्घकालिक सामरिक साझेदारी की ओर ले जाएगा।
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