
हरिद्वार के Mansa Devi Temple में भीषण भगदड़, 6 श्रद्धालुओं की मौत, कई घायल | Haridwar Mansa Devi Temple Stampede News
हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार को हुए भगदड़ हादसे ने पूरे देश को हिला दिया। Haridwar Mansa Devi Temple Stampede की वजह बनी — “करंट फैलने” की एक झूठी अफवाह, जिसने पलक झपकते ही श्रद्धालुओं की भीड़ को अफरा-तफरी में बदल दिया। इस हादसे में 6 श्रद्धालुओं की मौत और 25 से अधिक लोग घायल हो गए हैं।
कैसे मची Haridwar Mansa Devi Temple Stampede?
रविवार सुबह करीब 11 बजे, जैसे ही मंदिर के गेट खुले, हजारों श्रद्धालु एक साथ प्रवेश करने लगे। Kanwar Yatra 2025 के समापन के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ पहले से ही अत्यधिक थी।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अचानक किसी ने “करंट फैलने” की अफवाह फैला दी। इससे लोग घबरा गए और जान बचाने के लिए एक-दूसरे पर चढ़ते चले गए। नतीजा — भीड़ बेकाबू हो गई, लोग गिरने लगे, और हर तरफ चीख-पुकार मच गई।
🚨 हरिद्वार हादसा | Mansa Devi Temple
भक्तों की भीड़, आस्था का सैलाब… लेकिन एक अफवाह ने सब तबाह कर दिया!
⚡ “करंट फैलने” की अफवाह से मची भगदड़ में अब तक 7 श्रद्धालुओं की मौत 😢
वीडियो में देखिए अफरा-तफरी के मंजर…#haridwar #MansaDeviTempleStampede #Uttarakhand #BreakingNews… pic.twitter.com/MeUCQLBtal— Aarambh News Official (@aarambhnewsoffi) July 27, 2025
हादसे का आंकड़ा:
- मृतक: 6 (3 महिलाएं, 3 पुरुष)
- घायल: 25 से अधिक (5 की हालत गंभीर)
- स्थान: पैदल मार्ग, मंदिर की चढ़ाई का शीर्ष
- मुख्य कारण: करंट की अफवाह, भीड़ नियंत्रण में प्रशासन की विफलता
क्या बोले घायल श्रद्धालु?
रीना देवी (बद्दी, हिमाचल), कुलदीप प्रजापति (फरीदाबाद) और अन्य घायलों ने मेला अस्पताल में बताया कि भीड़ में आगे बढ़ने और पीछे लौटने वालों के बीच टकराव हो गया। इस दौरान धक्का-मुक्की शुरू हुई, और लोग गिरते चले गए।
प्रशासनिक लापरवाही क्यों उजागर हुई?
- मंदिर परिसर में CCTV, बैरिकेडिंग और डिजिटल क्यू सिस्टम नहीं था।
- Entry और Exit का अलग प्रबंध नहीं था।
- पर्याप्त संख्या में पुलिस बल और वालंटियर मौके पर मौजूद नहीं थे।
भीड़ प्रबंधन के लिए कोई भी ठोस इंतजाम नहीं किया गया था। Crowd Management और Temple Safety को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
मुख्यमंत्री का बयान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा शोक जताया है और कहा है कि उच्च स्तरीय जांच करवाई जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि stampede victims को तुरंत हर संभव मदद और उपचार दिया जाए।
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया:
“Mansa Devi Temple हादसे में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं के परिवारों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी और घायलों को मुफ्त इलाज मिलेगा।”
क्या यह हादसा रोका जा सकता था?
विशेषज्ञों और धार्मिक संगठनों का मानना है कि अगर निम्न व्यवस्थाएं होतीं, तो यह हादसा टल सकता था:
- Pre-booked Pass System
- Online Darshan Queue
- Controlled Entry with Real-time Monitoring
- Emergency Evacuation Plan
श्रद्धालुओं में रोष और डर
हादसे के बाद मंदिर परिसर अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया है और पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई है। श्रद्धालुओं का कहना है:
“श्रद्धालु आते हैं आस्था से, लेकिन व्यवस्था होनी चाहिए समझदारी से।”
समाधान की दिशा में अगला कदम क्या होना चाहिए?
धार्मिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से आग्रह किया है कि:
- Online Darshan System लागू किया जाए
- भीड़ नियंत्रण के लिए डिजिटल उपाय अपनाए जाएं
- सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए
- High-density भीड़ वाले धार्मिक स्थलों की सुरक्षा SOP जारी हो
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