Delhi home buyers: अगर आप दिल्ली में घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो अब वक्त है – क्योंकि अगले कुछ महीनों में प्रॉपर्टी के दाम बदल सकते हैं!
Delhi home buyers: दिल्ली में 10 साल बाद सर्कल रेट बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। यानी आने वाले दिनों में आपकी पसंदीदा लोकेशन का घर या तो महंगा हो सकता है या फिर थोड़ा सस्ता भी।
राजस्व विभाग की एक अहम बैठक अगले हफ्ते होने जा रही है, जिसमें नए सर्कल रेट का फार्मूला तय किया जाएगा।
क्या है सर्कल रेट, और क्यों है ये ज़रूरी?
सर्कल रेट को सरल भाषा में समझें तो — यह सरकार द्वारा तय किया गया न्यूनतम मूल्य होता है, जिस पर किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री की जाती है।
अगर बाजार में कोई प्रॉपर्टी 1 करोड़ की बिक रही है, लेकिन सरकार का सर्कल रेट 80 लाख तय है, तो रजिस्ट्री 80 लाख पर ही होगी।
इसी रेट से स्टाम्प ड्यूटी, रजिस्ट्री फीस और टैक्स तय होते हैं।
अब जब यह रेट 10 साल बाद बदलने वाला है, तो इसका सीधा असर खरीद-बिक्री दोनों पर पड़ेगा।
10 साल बाद क्यों हो रहा बदलाव?
दिल्ली में आखिरी बार सर्कल रेट में बदलाव साल 2014 में किया गया था।
तब से अब तक कई इलाकों में बुनियादी ढांचा, सड़कें, मेट्रो, स्कूल और अस्पतालों की सुविधा में काफी सुधार हुआ है।
इस बीच कई कॉलोनियाँ, जो पहले “मिड-रेट” जोन में आती थीं, अब प्रीमियम लोकेशन मानी जाती हैं — लेकिन सर्कल रेट वहीं के वहीं हैं।
यही कारण है कि अब राजस्व विभाग इन दरों को लोकेशन और विकास स्तर के हिसाब से फिर से तय करने जा रहा है।
कैसे बदल सकता है सर्कल रेट का गणित?
फिलहाल दिल्ली में संपत्तियाँ A से H तक 8 कैटिगरी में बंटी हुई हैं।
A कैटिगरी सबसे महंगी (जैसे वसंत विहार, गोल्फ लिंक), और H सबसे सस्ती कॉलोनियाँ (जैसे अनधिकृत या गांव क्षेत्र)।
लेकिन एक बड़ी दिक्कत है — उदाहरण के तौर पर वसंत विहार और कालिंदी कॉलोनी दोनों ही A कैटिगरी में हैं, जबकि दोनों जगहों का विकास स्तर और बाजार मूल्य बहुत अलग है।
फिर भी, दोनों के लिए सर्कल रेट एक जैसा है!
अब कमिटी ने सुझाव दिया है कि हर कैटिगरी को 2 से 3 “सब-कैटिगरी” में बांटा जाए। यानी अब एक ही कैटिगरी के अंदर भी इलाके के आधार पर अलग-अलग दरें तय की जाएंगी।
कमिटी का सुझाव क्या कहता है?
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की बनाई कमिटी ने रिपोर्ट में कहा है कि —
“दिल्ली की प्रॉपर्टी का वास्तविक मूल्य अब A-H कैटिगरी के हिसाब से नहीं, बल्कि इलाके के विकास स्तर और सुविधा के हिसाब से तय होना चाहिए।”
इस रिपोर्ट में साफ लिखा है कि
- जिन कॉलोनियों में बेहतर सड़क, मेट्रो कनेक्टिविटी और पब्लिक सर्विसेज हैं,
वहां सर्कल रेट बढ़ाने की सिफारिश की जाएगी। - वहीं जहां विकास अभी धीमा है, वहां रेट घटाने की गुंजाइश हो सकती है।
क्या महंगी या सस्ती होगी प्रॉपर्टी?
यह सबसे बड़ा सवाल है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बदलाव के बाद कुछ पॉश इलाकों (जैसे गोल्फ लिंक, साउथ एक्स, डिफेंस कॉलोनी) में सर्कल रेट और दाम बढ़ सकते हैं,
जबकि कुछ मध्यम वर्गीय या कम विकसित कॉलोनियों में रेट घट भी सकते हैं।
इसका सीधा असर पड़ेगा —
- घर खरीदने वालों की जेब पर
- स्टाम्प ड्यूटी और टैक्स राशि पर
- और रीसेल प्रॉपर्टी की वैल्यू पर
जनता की राय भी शामिल होगी
दिल्ली सरकार पहले ही जनता से सुझाव मांग चुकी है, ताकि यह पूरा प्रोसेस पारदर्शी और न्यायसंगत रहे।
लोग अपने सुझाव ऑनलाइन पोर्टल और राजस्व विभाग के दफ्तरों में दे सकते हैं।
यह पहली बार है जब लोगों को सर्कल रेट फाइनलाइज करने की प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है।
क्या है आगे की टाइमलाइन?
सूत्रों के मुताबिक,
- अगले हफ्ते राजस्व विभाग की बैठक में कमिटी की रिपोर्ट पेश होगी।
- इसके बाद दिल्ली सरकार से मंजूरी के लिए प्रस्ताव जाएगा।
- नए रेट्स 2026 की शुरुआत में लागू किए जा सकते हैं।
अगर घर खरीदने का प्लान है तो…
अगर आप दिल्ली में घर खरीदने का सोच रहे हैं, तो अभी का वक्त बेहद सही माना जा रहा है।
क्योंकि एक बार नए सर्कल रेट लागू हो गए, तो
- प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ सकती हैं,
- रजिस्ट्री खर्च बढ़ेगा,
- और लोन के ब्याज के साथ आपकी ईएमआई भी बढ़ सकती है।
इसलिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं —“अगर खरीदने का मन बना लिया है, तो अब डील फाइनल करने में देरी न करें।”
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