Air Quality Improvement: चीन की मदद से दिल्ली की हवा होगी साफ, बीजिंग के अनुभव से मिलेगी धुंध और स्मॉग से राहत
Air Quality Improvement: दिल्ली एक बार फिर जहरीली हवा की गिरफ्त में है। सांस लेना मुश्किल हो गया है, आसमान धुएं से ढका है और बच्चे, बुज़ुर्ग, गर्भवती महिलाएं सब सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में चीन ने भारत को एक अहम पेशकश की है — वही चीन, जिसने कभी दिल्ली से भी बदतर वायु प्रदूषण झेला था, लेकिन अब बीजिंग की हवा साफ और सांस लेने लायक बन चुकी है।
बीजिंग का अनुभव दिखाता है कि अगर सख्त नीतियों और सही तकनीक के साथ काम किया जाए, तो कुछ सालों में हवा को साफ किया जा सकता है। चीन अब वही अनुभव दिल्ली के साथ साझा करने को तैयार है।
दिल्ली और बीजिंग — एक जैसी कहानी
2010 के दशक की शुरुआत में दिल्ली और बीजिंग दोनों ही शहरों की हवा एक जैसी थी — जहरीली और दमघोंटू। दोनों जगह PM2.5 का स्तर अक्सर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ऊपर चला जाता था, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक से करीब 50 गुना ज्यादा था।
फर्क बस इतना है कि बीजिंग ने सख्त कदम उठाकर इस जाल से खुद को बाहर निकाला, जबकि दिल्ली अब भी उसी चक्रव्यूह में फंसी है।
अब चीन ने कहा है कि वह दिल्ली को तकनीकी और नीतिगत मदद देगा, ताकि भारत की राजधानी भी उसी तरह अपनी हवा को साफ कर सके जैसे बीजिंग ने किया।
कैसे बदली बीजिंग की हवा?
बीजिंग में सुधार अचानक नहीं आया, बल्कि सालों की प्लानिंग, मेहनत और सख्ती के बाद संभव हुआ।
चीन सरकार ने “ब्लू स्काई” नाम से एक राष्ट्रीय अभियान चलाया। इसके तहत कई स्तरों पर बदलाव किए गए —
1. कोयले की खपत में कमी
बीजिंग में 2013 तक 3,000 छोटे कोयला बायलर बंद कर दिए गए। कोयले की कुल खपत को 1.5 करोड़ टन तक सीमित कर दिया गया — यानी लगभग 30% की कमी।
इसके बदले शहर में प्राकृतिक गैस और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर और पवन ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाया गया।
2017 तक बीजिंग ने 4 गीगावाट की नई स्वच्छ ऊर्जा क्षमता जोड़ ली थी।
2. लो एमिशन जोन और वाहन नियंत्रण
शहर में Low Emission Zones (LEZ) बनाए गए, जहां पुराने या ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का प्रवेश पूरी तरह बंद कर दिया गया। इसके अलावा वाहन संख्या सीमित करने के लिए लाइसेंस प्लेट लॉटरी सिस्टम लागू किया गया। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए मेट्रो नेटवर्क को 1,000 किलोमीटर तक फैला दिया गया। साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी दी गई और चार्जिंग स्टेशन बनाए गए, जिससे 2020 तक नई गाड़ियों में 40% ई-वाहनों की हिस्सेदारी हो गई।
3. उद्योगों पर सख्ती
प्रदूषण फैलाने वाले 2,000 से ज्यादा कारखानों को या तो बंद कर दिया गया या शहर के बाहर स्थानांतरित किया गया। सर्दियों में स्टील उत्पादन में भी कमी लाई गई ताकि हवा में धुएं का बोझ कम हो सके।
पेड़ लगाकर बनाई प्राकृतिक दीवार
बीजिंग के आसपास लगभग 10 करोड़ पेड़ लगाए गए। इन पेड़ों ने न केवल कार्बन को सोखा बल्कि धूल और प्रदूषक कणों को भी रोका। इससे शहर के तापमान और वायु गुणवत्ता दोनों में सुधार देखने को मिला।
निगरानी और पारदर्शिता
चीन ने 1,500 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाए, जो हर पल रियल-टाइम डेटा रिकॉर्ड करते हैं। ‘ब्लू स्काई’ मोबाइल ऐप के ज़रिए आम जनता को प्रदूषण स्तर की जानकारी मिलती है, जिससे लोग खुद सतर्क रहते हैं।
क्या नतीजे मिले?
इन कदमों का असर कुछ ही सालों में दिखने लगा। 2013 से 2017 के बीच बीजिंग में PM2.5 का स्तर 35% घटा। 89.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से यह घटकर 58 तक पहुंच गया। राष्ट्रीय स्तर पर औसत 25% तक गिरा। 2020 तक कोयले की खपत में 15 करोड़ टन की कटौती की गई और स्वच्छ ऊर्जा की हिस्सेदारी 15% तक बढ़ी।
सबसे खास बात — बीजिंग के लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा 4.6 साल बढ़ गई।
भारत के लिए सबक
दिल्ली आज बीजिंग की पुरानी स्थिति में खड़ी है।
स्मॉग, वाहन उत्सर्जन, निर्माण धूल और पराली — ये सब मिलकर हवा को जहर बना चुके हैं।
बीजिंग की तरह अगर दिल्ली भी सख्ती दिखाए तो हालात बदल सकते हैं।
इसके लिए जरूरी है:
- पुराने वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध
- गैस या स्वच्छ ऊर्जा से चलने वाले हीटिंग सिस्टम
- निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण
- रियल-टाइम निगरानी और पारदर्शिता
- बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण
अगर दिल्ली और केंद्र सरकार मिलकर बीजिंग मॉडल को अपनाएं, तो आने वाले 5-7 साल में राजधानी की हवा में बड़ा सुधार देखा जा सकता है।
China helps india with Beijing model
बीजिंग प्रशासन ने भारत को प्रस्ताव दिया है कि वे दिल्ली के लिए अपनी प्रदूषण नियंत्रण तकनीक और मॉनिटरिंग सिस्टम साझा करेंगे।
इसमें शामिल हैं —
- हवा में मौजूद प्रदूषकों की सटीक ट्रैकिंग के लिए सेंसर नेटवर्क
- वाहन उत्सर्जन नियंत्रण की तकनीक
- ऊर्जा संक्रमण मॉडल (कोयले से गैस या सोलर में बदलाव)
- शहरी वृक्षारोपण रणनीति
चीन के विशेषज्ञ मानते हैं कि दिल्ली जैसी भौगोलिक और औद्योगिक स्थिति वाले शहर में सुधार संभव है, बस राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।
भविष्य की उम्मीद
अगर दिल्ली बीजिंग के अनुभव से सीखती है, तो यह सिर्फ हवा को साफ नहीं करेगी, बल्कि लाखों लोगों की ज़िंदगी बचा सकती है। WHO के अनुसार, सिर्फ वायु प्रदूषण की वजह से हर साल भारत में 12 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत होती है।
अगर बीजिंग जैसा बदलाव दिल्ली में भी आया, तो यहां के लोग भी आने वाले वर्षों में 3–4 साल लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी जी सकेंगे।
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