सीएम रेवंत रेड्डी कांग्रेस प्रत्याशी नवीन यादव के लिए प्रचार करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने एक ऐसी बात कह दी, जो तुरंत ही राष्ट्रीय बहस का विषय बन गई। उन्होंने कहा—“कांग्रेस का मतलब है मुस्लिम और मुस्लिम का मतलब है कांग्रेस।”
तेलंगाना की राजनीति इस वक्त उबाल पर है। वजह है हैदराबाद की जुबली हिल्स विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव और राज्य के मुख्यमंत्री Revanth Reddy का विवादित बयान, जिसने राजनीतिक माहौल को और भी गर्मा दिया है। दरअसल, सीएम रेवंत रेड्डी कांग्रेस प्रत्याशी नवीन यादव के लिए प्रचार करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने एक ऐसी बात कह दी, जो तुरंत ही राष्ट्रीय बहस का विषय बन गई। उन्होंने कहा—“कांग्रेस का मतलब है मुस्लिम और मुस्लिम का मतलब है कांग्रेस।”
यह बयान सुनते ही सभा में मौजूद भीड़ में हलचल मच गई और कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर यह बयान ट्रेंड करने लगा।
विवाद की जड़
तेलंगाना के जुबली हिल्स क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों की संख्या काफी अधिक है। माना जाता है कि यहां लगभग 45 से 50 प्रतिशत वोट मुस्लिम समुदाय से आते हैं। यही वजह है कि किसी भी दल के लिए यह सीट सिर्फ चुनावी नहीं बल्कि सांप्रदायिक समीकरणों का बैरोमीटर भी बन जाती है। Revanth Reddy का यह बयान इस समीकरण को भुनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस लंबे समय से यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह अल्पसंख्यकों की “स्वाभाविक” राजनीतिक पसंद है, और रेवंत का यह बयान उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
जुबली हिल्स उपचुनाव का महत्व
यह उपचुनाव तेलंगाना में सत्ता संतुलन का अहम इम्तिहान माना जा रहा है। एक ओर कांग्रेस की कोशिश है कि वह अपनी सरकार के प्रति जनता का भरोसा कायम रखे, तो दूसरी ओर बीजेपी और बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) इसे कांग्रेस की अल्पसंख्यक राजनीति के खिलाफ अभियान के रूप में पेश कर रही हैं। एमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) भी इस सीट पर सक्रिय है, और ओवैसी बंधु इस बयान को अपने हितों के लिए इस्तेमाल करने से नहीं चूकेंगे।
विपक्ष के तीखे वार
Revanth Reddy के बयान पर बीजेपी ने तुरंत पलटवार किया। पार्टी प्रवक्ताओं ने इसे “स्पष्ट तुष्टिकरण की राजनीति” बताते हुए कहा कि कांग्रेस अल्पसंख्यक वोटों के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। बीजेपी का कहना है कि यह बयान भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना के खिलाफ है। बीआरएस ने भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को याद रखना चाहिए कि वह पूरे राज्य के नेता हैं, किसी एक समुदाय के नहीं।
कांग्रेस का बचाव
कांग्रेस प्रवक्ताओं ने Revanth Reddy के बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनका आशय सांप्रदायिक नहीं था, बल्कि यह बताने का था कि कांग्रेस हमेशा से अल्पसंख्यकों की आवाज रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और बीआरएस मुद्दों से भटकाने के लिए बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। वहीं, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान जानबूझकर दिया गया ताकि कांग्रेस के पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक को फिर से मजबूती से जोड़ा जा सके, खासकर हैदराबाद और आसपास के इलाकों में।
Revanth Reddy की रणनीति या गलती?
रेवंत रेड्डी तेलंगाना कांग्रेस के सबसे करिश्माई और आक्रामक नेताओं में से एक माने जाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी। मगर सत्ता में आने के बाद से उन्हें लगातार प्रशासनिक दबाव और विपक्षी हमलों का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि Revanth Reddy का यह बयान एक “कैल्कुलेटेड पॉलिटिकल मूव” है — जिसका उद्देश्य जुबली हिल्स उपचुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का पूरा समर्थन हासिल करना है। हालांकि यह रणनीति दोधारी तलवार साबित हो सकती है, क्योंकि इससे हिंदू वोटों में ध्रुवीकरण का खतरा भी बढ़ सकता है।
धर्मनिरपेक्षता बनाम तुष्टिकरण
भारत की राजनीति में धर्म और चुनाव हमेशा एक संवेदनशील विषय रहे हैं। Revanth Reddy का बयान इस बात का प्रतीक है कि क्षेत्रीय राजनीति में अब भी साम्प्रदायिक पहचान वोटिंग पैटर्न को प्रभावित करती है। कांग्रेस जहां इसे “समावेशी राजनीति” बताने की कोशिश कर रही है, वहीं विपक्ष इसे “वोट बैंक appeasement” कह रहा है।
नतीजा क्या संदेश देगा
जुबली हिल्स उपचुनाव का नतीजा न केवल तेलंगाना बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ा राजनीतिक संदेश देगा। अगर कांग्रेस इस सीट को जीत लेती है, तो Revanth Reddy की रणनीति सफल मानी जाएगी और वह पार्टी के भीतर अपनी पकड़ और मजबूत करेंगे। लेकिन अगर हार होती है, तो यह बयान उनके लिए भारी पड़ सकता है और विपक्ष इसे “वोट बैंक पॉलिटिक्स की हार” करार देगा।
