Sakat Chauth, जिसे तिलकुटा चौथ या संकट हरण चौथ के नाम से भी जाना जाता है, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से संतान की लंबी आयु, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत बच्चों के लिए शादीशुदा महिला रखती हैं।
Sakat Chauth 2025
इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना विशेष महत्व रखता है। पूजन के लिए शुभ समय चंद्रोदय के समय से थोड़ा पहले शुरू किया जा सकता है।
Sakat Chauth की पूजा विधि
1. व्रत का संकल्प – काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। व्रत के दौरान पूरे दिन निर्जला रहने का प्रयास करें। यदि स्वास्थ्य कारणों से निर्जला व्रत संभव न हो, तो फलाहार कर सकते हैं।
2. पूजन सामग्री -गणेश जी की मूर्ति या चित्र,दीपक, रूई और घी,तिल, गुड़ और लड्डू,फल और फूल पान, सुपारी और नारियल,चावल, कुमकुम और अक्षत,जल से भरा कलश,चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध, जल, शहद और फूल
3. पूजन स्थल की तैयारी -घर के पूजन स्थल को स्वच्छ करें और एक चौकी पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति के आगे लाल या पीले वस्त्र बिछाएं। दीपक जलाकर पूजा की शुरुआत करें।
4. गणेश जी का पूजन -गणेश जी का ध्यान करते हुए उन्हें फूल, अक्षत, चावल और कुमकुम अर्पित करें।तिल और गुड़ से बने लड्डू का भोग लगाएं ।गणेश चालीसा या गणपति मंत्र का जाप करें और पूरे दिन मे मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
5. चंद्रमा को अर्घ्य -रात में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें। इसके लिए जल में दूध, शहद और फूल मिलाकर अर्घ्य पात्र में डालें। चंद्रमा की ओर मुख करके अर्घ्य अर्पित करें और अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करें।
6. व्रत का पारण -चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण करें। पारण के लिए तिल से बनी मिठाई या गुड़ का सेवन करें।
Sakat Chauth की कुछ प्रमुक कथा
Sakat Chauth: एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने भगवान गणेश की आराधना शुरू की और सकट चौथ का व्रत रखा। उनकी भक्ति और व्रत से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उन्हें पुत्र रत्न का आशीर्वाद दिया। इसके बाद, यह मान्यता बन गई कि सकट चौथ का व्रत संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए अत्यंत प्रभावी होता है।
Sakat Chauth की एक और कथा
Sakat Chauth: पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत के समय द्रौपदी ने अपने भाइयों की रक्षा के लिए सकट चौथ का व्रत रखा था। उनकी भक्ति और व्रत के प्रभाव से उनके भाइयों पर आए संकट का नाश हुआ। इसलिए, इसे संकट हरण चौथ भी कहा जाता है।
इस दिन चंद्रमा की पूजा करना मानसिक शांति और सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। गणेश जी की उपासना से कुंडली में उपस्थित विघ्न और बाधाओं का नाश होता है। तिल का प्रयोग ग्रह दोषों को शांत करने में सहायक होता है।
Sakat Chauth के विशेष उपाय
1. व्रत करने वाली महिलाएं तिल और गुड़ का दान करें।
2. चंद्रमा को अर्घ्य देते समय अपनी मनोकामना अवश्य प्रकट करें।
3. आर्थिक संकट से मुक्ति के लिए इस दिन लाल वस्त्र और मिठाई का दान करें।
4. बच्चों के स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए गणेश जी को दूब अर्पित करें।
Sakat Chauth के पीछे का महत्व
Sakat Chauth व्रत हमें यह संदेश देता है कि संकट चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, भगवान गणेश की कृपा से हर बाधा दूर हो सकती है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का एक साधन भी है।
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