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DRDO ने सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट बनाई, स्नाइपर की 6 गोलियां भी नहीं भेद सकीं

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने देश की सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट बनाई है। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार (23 अप्रैल) को इसकी जानकारी शेयर की। पॉलिमर बैकिंग और मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट से तैयार की गई जैकेट को 6 स्नाइपर गोलियां भी भेद नहीं सकीं। मंत्रालय ने कहा कि जैकेट का इन-कंजक्शन (ICW) और स्टैंडअलोन डिजाइन सैनिकों को 7.62×54 RAPI (BIS 17051 के लेवल 6) गोला-बारूद से सुरक्षा प्रदान करेगा।

जैकेट को कानपुर में मौजूद DRDO के रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (DMSRDE) ने तैयार किया है। जैकेट की TBRL चंडीगढ़ में BIS 17051-2018 के तहत टेस्टिंग की गई।

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रक्षा विभाग के अनुसंधान एवं विकास सचिव और डीआरडीओ अध्यक्ष ने हल्के बुलेटप्रूफ जैकेट को तैयार करने पर DMSRDE को बधाई दी है।

वही, भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि देश युद्ध में जाने से नहीं हिचकिचाएंगे। राष्ट्र की सुरक्षा को न तो आउट सोर्स किया जा सकता है और न ही दूसरों की उदारता पर निर्भर किया जा सकता है।

पॉलिमर बैकिंग और मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट बना है HAP

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि एर्गोनॉमिक तरीके से डिजाइन किया गया फ्रंट हार्ड आर्मर पैनल (HAP) पॉलिमर बैकिंग और मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट से बना है। ऑपरेशन के दौरान पहनने सैनिकों के लिए पहले से ज्यादा आरामदायक और सुरक्षित रहेगा।

मंत्रालय ने जानकारी दी है कि ICW हार्ड आर्मर पैनल (HAP) की एरियल डेंसिटी 40 kg/M2 और स्टैंडअलोन HAP की एरियल डेंसिटी 43kg/M2 से कम है।

देश युद्ध में जाने से नहीं हिचकिचाएंगे

वहीं, मंगलवार को भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे नई दिल्ली में ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के नौवें नेशनल लीडरशिप कॉन्क्लेव में पहुंचे थे। यहां उन्होंने डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की अहमियत की चर्चा की।

जनरल पांडे ने कहा कि हाल-फिलहाल के घटित जियो-पॉलिटिकल (भू-राजनीतिक) घटनाक्रमों ने दर्शाया है कि जहां राष्ट्रीय हितों का सवाल है, देश युद्ध में जाने से नहीं हिचकिचाएंगे। सैन्य ताकत युद्ध को रोकने और उनका निवारण करने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर हमले का मजबूती से जवाब देने और युद्ध जीतने के लिए जरूरी है।

उन्होंने कहा कि देश को हार्ड पावर पाने और उसे बनाए रखने की खोज में हमें डिफेंस की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता को लेकर सचेत रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हथियारीकरण का प्रभाव महामारी के दौरान और अभी तक चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध से सबके सामने आया है।वहीं, मंगलवार को भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे नई दिल्ली में ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के नौवें नेशनल लीडरशिप कॉन्क्लेव में पहुंचे थे। यहां उन्होंने डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की अहमियत की चर्चा की।

राष्ट्र की सुरक्षा को आउट सोर्स नहीं किया जा सकता

इन घटनाओं से सामने आया है कि राष्ट्र की सुरक्षा को न तो आउट सोर्स किया जा सकता है और न ही दूसरों की उदारता पर निर्भर किया जा सकता है। आर्मी चीफ ने सेना के विजन पर कहा कि हमारी आर्मी का आगे का विजन खुद को आधुनिक, फुर्तीली, अनुकूलक, टेक्नोलॉजी से चलने वाली और आत्म निर्भर बनाना है।

उन्होंने कहा कि हम राष्ट्र हितों की रक्षा करते हुए अलग-अलग किस्म के माहौल में पूरी क्षमता के साथ युद्ध जीत सकें। हमारे पास मौजूदा समय में 340 स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री हैं, जो कि 2025 तक 230 कॉन्ट्रैक्ट के पूरा होने की दिशा में काम कर रही हैं और इनमें 2.5 लाख करोड़ रुपए का खर्च शामिल है।

जनरल पांडे ने कहा कि हथियार प्रणालियों और उपकरणों के अलावा हम 45 स्पेशल टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे है। इनके डेवलपमेंट के लिए 120 स्वदेशी प्रोजेक्ट चल रहे हैं। क्षमता विकास के लिए स्वदेशी से आधुनिकीकरण हमारा मंत्र रहेगा। सेना के पूर्व-आयात रक्षा कॉन्ट्रैक्ट जो 20 साल पहले 30 प्रतिशत थे, पिछले दो फाइनेंशियल ईयर से लगभग जीरो परसेंट पर हैं।

वर्तमान में हमारी लिस्ट में विंटेज, अत्याधुनिक उपकरण शामिल है। हमारा इरादा 2030 तक विंटेज: वर्तमान, मॉडर्न उपकरणों को बढ़ावा देने का है।

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Shree Om Singh
Author: Shree Om Singh

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