
Trump and Putin जब से डोनाल्ड ट्रंप दोबारा सरकार में आए हैं उन्होंने वैश्विक रूप से कई मुद्दों पर तनाव बढ़ने का काम किया है। अब चाहे वह वैश्विक ट्रेड वॉर हो, रूस यूक्रेन युद्ध हो या फिर ग्रीनलैंड का मुद्दा। अमेरिकी सरकार बिना लाग-लपेट के अपनी महत्वाकांक्षा जताती जा रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड को खरीदने की बात कह दी है। हालांकि, इस बात पर वहां की आबादी नाखुश है लेकिन अमेरिकी प्रशासन अपनी बात पर टिकी हुई है। हाल ही में US के उपराष्ट्रपति जेडी वेन्स ग्रीनलैंड पहुंचे थे। जिससे इस बात को और भी बंल मिल गया।
इसी बीच रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी अमेरिका के इरादे पर ऐसी बात कही जो ट्रम्प के पक्ष में है। तो क्या ट्रम्प पुतिन से अपनी मित्रता को मजबूत करने का सोच रहे हैं या फिर ग्रीनलैंड और रूस में कोई तनाव रहा है जिसे साधने के लिए वह अलग बयान देने लगे हैं?
Trump and Putin: पुतिन ने क्या कहा है
आर्कटिक सर्किल के सबसे बड़े शहर मोरमांस्क में भाषण देते हुए व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि “यह बड़ी गलती होगी अगर नए अमेरिकी प्रशासन की बात को उटपटांग माना जाए। ऐसा कुछ नहीं है। US 19वीं सदी से ऐसा चाहता है। यहां तक की दूसरे विश्व युद्ध के बाद उसने डेनमार्क से ग्रीनलैंड को खरीदने का प्रयास भी किया था। उसके पास ग्रीनलैंड के लिए एक बड़ी योजना है और एक ही नहीं कई योजनाएं हैं। जिसकी जड़ ऐतिहासिक है। यह स्वाभाविक है कि आर्कटिक में उसकी भौगोलिक, रणनीतिक और आर्थिक दिलचस्पी है।”
Trump and Putin: पुतिन कैसे बयान का दूसरा पहलू क्या है
अब तक आर्कटिक में सबसे मजबूत देश रूस रहा है। अमेरिकी आगमन के बाद इस पर असर पड़ सकता है, इसे लेकर वह कहीं ना कहीं चिंता में भी है। पुतिन इस भाषण के बीच यह साफ करना नहीं भूले कि वह भले ही आर्कटिक में किसी को छेड़ नहीं रहे लेकिन उनकी नजर इस पर पूरी तरीके से बरकरार है और आवश्यकता पड़ने पर वह उनकी सैन्य ताकत भी बढ़ाएंगे।
Trump and Putin: इसका मतलब क्या निकलता है
पुतिन फिलहाल दो पारिया एक साथ खेल रहे है। एक तरफ वे ट्रम्प से भी अपनी दोस्ती अच्छी बना के रखना चाहते हैं जिससे ग्रीनलैंड के आइडिया को सपोर्ट भी कर सके तो वहीं दूसरी तरफ यह आशंका भी है कि कहीं रूस आर्कटिक से भी अपनी मजबूती ना खो दे। जबकि इसका एक यह भी पहलू है कि रूस चाहता है कि अमेरिका उसके साथ मिलकर पूरे आर्कटिक में निवेश करें ताकि नेचुरल रिसोर्सेस का फायदा उठाया जा सके। रूसी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के चीफ अधिकारी दिमित्रीएव का कहना है कि वह बर्फीले इलाके में जॉइंट इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं।
Trump and Putin: रूस और ग्रीनलैंड का क्या इतिहास है
आपको बता दे ग्रीनलैंड का दो तिहाई हिस्सा आर्कटिक में आता है और यही वह क्षेत्र है जिसे रुस रणनीतिक महत्व देता है। VOA से एक इंटरव्यू के दौरान डेनमार्क के एनालिस्ट ने बताया था कि रूस की मिसाइल के लिए अमेरिका की तरफ सबसे छोटा रास्ता ग्रीनलैंड से होकर जाता है। रूस ने शीत युद्ध के दौरान इस क्षेत्र में बड़ा सैन्य निवेश किया था। आपको बता दे कि रूस के पास इस समय दुनिया का सबसे लंबा आर्कटिक तट है जो उसकी उत्तरी सीमा से सटते हुए गुजरता है। और इसी को संभालने के लिए मास्को ने वहां काफी आधुनिक सैन्य बेस बनाया हुआ है।
इसके अतिरिक्त, उसके पास 40 से अधिक आइस ब्रेकर जहाज है जो वहां किसी जंग की स्थिति में कारगर साबित हो सकते हैं। सीधे शब्दों में कहे तो रुस यहां अपने पूरे दमखम में मौजूद है।
Trump and Putin: क्या मास्को ग्रीनलैंड में भी है
ग्रीनलैंड में मास्को की कोई आधिकारिक मौजूदगी तो नहीं है लेकिन कई बार उस पर आरोप लगे हैं कि वह यहां भी अपनी खुफिया एक्टिविटीज बनाए रखता है। हाल ही में 2019 में डेनमार्क में मास्को पर आरोप लगाया कि वह ग्रीनलैंड में अपनी खुफिया एजेंसी की जगह जासूसी मिशन चला रहा है। रूस से कई वैज्ञानिक टीम रिसर्च के लिए ग्रीनलैंड जाते रहते हैं। इसे लेकर भी वह कई बार विवादों में घिर चुका है कि शायद यह जासूसी या सैन्य सर्वे का तरीका हो सकता है।
Trump and Putin: ग्रीनलैंड से संबंधित बेसिक जानकारी
आर्कटिक और नॉर्थ अटलांटिक के महासागरों के बीच बसे इस द्वीप की खोज दसवीं शताब्दी में हुई थी। जिसके बाद यहां यूरोपीय कॉलोनी बसाने का प्रयास किया गया। लेकिन वहां के हालात इतने मुश्किल थे कि कब्ज़ा छोड़ दिया। बाद में लगभग 14वी शताब्दी के आसपास यहां डेनमार्क और नॉर्वे का एक संघ बना जो इस पर संयुक्त रूप से अपना शासन चलाने लगा। विस्तार की बात करें, तो दुनिया के 12वे सबसे बड़े देश की आबादी लगभग 60 हज़ार है। इनमें स्थानीय आबादी को इनुएट कहते हैं जो डैनिश भाषा का प्रयोग करते हैं। लेकिन इनका कल्चर डेनमार्क से काफी अलग है।
इस देश में बर्फ और चट्टान है और यहां आय का कुछ खास जरिया नहीं शिवाय सैलानियों के। यह के दुकानदार लोकल केक, बर्फीली मछलियां और रेन डिअर की सिंह से बने शोपीस बेचते हैं और उन्हीं से पैसे कमाते हैं। मंगोल से ताल्लुक रखने वाली यह जनजाति एस्किमो भी कहलाती है। जो बहुत ठंडे मौसम में कच्चा मांस खाकर भी जी सकते हैं।
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