
Hafiz Saeed: उस आतंकवादी की कहानी जिसने भारत को बार-बार चोट पहुंचाई
Hafiz Saeed: जम्मू-कश्मीर के पहलगांव में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी एक बार फिर उस संगठन ने ली है जो भारत के लिए नई नहीं है — The Resistance Front (TRF)। यह संगठन दरअसल पाकिस्तान स्थित कुख्यात आतंकवादी संगठन Lashkar-e-Taiba का ही एक फ्रंट है। लेकिन इस बार हम सिर्फ हमले की नहीं, बल्कि उस शख्स की बात करेंगे जिसने इन संगठनों की नींव रखी — Hafiz Saeed।
पहलगाम हमला (22 अप्रैल 2025): TRF ने फिर बरपाया कहर
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को सुरक्षाबलों पर हुए घातक हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 3 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए, और 2 नागरिक घायल हुए। हमला अत्यधिक रणनीतिक तरीके से किया गया, जब एक गश्ती दल अमरनाथ यात्रा की तैयारी को लेकर सुरक्षा जांच कर रहा था।
TRF ने ली जिम्मेदारी
कुछ ही घंटों के भीतर The Resistance Front (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। TRF दरअसल Lashkar-e-Taiba का ही एक छद्म नाम है, जिसे Hafiz Saeed और Zaki-ur-Rehman Lakhvi जैसे आतंकियों ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचने के लिए तैयार किया है।
TRF सोशल मीडिया पर सक्रिय है और बार-बार हमलों की जिम्मेदारी लेता है ताकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की भूमिका छिपाई जा सके।
Hafiz Saeed: हरियाणा की जड़ें, पाकिस्तान की पैदाइश
हाफिज सईद का जन्म 5 जून 1950 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के Sargodha में हुआ था, लेकिन उसके पूर्वज भारत के हरियाणा से थे, जो 1947 के विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए। यहीं पर हाफिज ने अपनी इस्लामिक तालीम शुरू की और कुरान को हिफ्ज़ कर, ‘हाफिज’ की उपाधि प्राप्त की।
इसके बाद वह Saudi Arabia चला गया, जहां उसने King Saud University से Islamic Studies में मास्टर्स किया। वहां पर सऊदी के Salafi और Wahabi आंदोलनों से प्रभावित होकर वह इस्लामिक कट्टरपंथ की राह पर चल पड़ा।
आतंकवाद की ओर बढ़ता कदम: Jamaat-ud-Dawa की स्थापना
1985 में सईद ने Jamaat-ud-Dawa नाम के संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ‘Ahl-e-Hadith’ विचारधारा का प्रचार करना था। लेकिन यही संगठन बाद में पाकिस्तान की कुख्यात आतंकी रणनीति का हिस्सा बन गया।
Lashkar-e-Taiba की शुरुआत
हाफिज सईद ने Zaki-ur-Rehman Lakhvi के साथ मिलकर Markaz-ud-Dawa-wal-Irshad (MDI) नामक संगठन बनाया, जिसका एक सशस्त्र सैन्य विंग बनाया गया — Lashkar-e-Taiba। इसका मकसद था कश्मीर को भारत से अलग कर एक Islamic State बनाना।
बड़े आतंकी हमलों में Hafiz Saeed की भूमिका
1. 2001 संसद हमला
13 दिसंबर 2001 को, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर हमला किया, जिसमें 9 लोग मारे गए। इस हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ा दिया।
2. 2006 मुंबई लोकल ट्रेन धमाके
11 जुलाई 2006 को, मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात सिलसिलेवार बम धमाकों में 209 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए। जांच में लश्कर-ए-तैयबा और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) की संलिप्तता पाई गई।
3. 26/11 मुंबई हमला (2008)
26 नवंबर 2008 को, लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई में 12 स्थानों पर हमला किया, जिसमें 175 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। अजमल कसाब, एकमात्र जीवित पकड़ा गया आतंकी, ने हमले में लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका स्वीकार की।
4. 2016 पठानकोट हमला
2 जनवरी 2016 को, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया, जिसमें 7 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता के संकेत भी मिले।
5. 2019 पुलवामा हमला
14 फरवरी 2019 को, जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया, जिसमें 40 जवान शहीद हुए। इस हमले के बाद भारत ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक की।
6. 2023 राजौरी हमला
1 जनवरी 2023 को, जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकवादियों ने नागरिकों पर हमला किया, जिसमें 4 लोग मारे गए। इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन माना जाता है।
7. 2025 पहलगाम हमला
22 अप्रैल 2025 को, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 28 लोग मारे गए और 20 से अधिक घायल हुए। इस हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन माना जाता है।
Jammu Kashmir में Terrorism फैलाने की साजिश
TRF जैसे संगठन, हाफिज सईद के मार्गदर्शन में घाटी में Terrorist Training, Weapons Supply और Infiltration कर रहे हैं। 2023 Rajouri Attack, Pulwama Attack जैसे हमलों में भी सईद के संगठन का नाम सामने आया।
International Action: Global terrorist घोषित
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UNSC (United Nations Security Council) ने दिसंबर 2008 में सईद को Global Terrorist घोषित किया।
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USA ने Specially Designated Global Terrorist की सूची में डाला और $10 million का इनाम रखा।
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FATF (Financial Action Task Force) ने पाकिस्तान को Grey List में डाला क्योंकि वह सईद जैसे आतंकियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा था।
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France और EU ने भी उसके संगठनों पर प्रतिबंध लगाए।
Pakistan का दोहरा रवैया
पाकिस्तान ने कभी Hafiz Saeed को नजरबंद किया तो कभी रिहा कर दिया। 2020 में उसे Terror Funding के मामलों में दोषी ठहराकर 78 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन कई रिपोर्ट्स के अनुसार वह अभी भी freely घूमता है।
Hafiz Saeed का राजनीतिक चेहरा
2017 में सईद ने Milli Muslim League नामक राजनीतिक पार्टी बनाई, लेकिन Pakistan Election Commission ने इसे रजिस्टर करने से मना कर दिया। इसके बाद उसने Allah-u-Akbar Tehreek के बैनर तले 2018 के चुनाव लड़े, पर हार गया।
2024 में उसके बेटे Hafiz Talha Saeed ने Pakistan Markazi Muslim League से चुनाव लड़ा, लेकिन वह भी हार गया।
2025 में मौत की अफवाह
16 मार्च 2025 को सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया कि हाफिज सईद और उसके करीबी Faisal Nadeem aka Abu Katal को Jhelum district (Pakistan) में अनजान बंदूकधारियों ने मार डाला। लेकिन कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।
ऐसे ही और विश्लेषणात्मक रिपोर्ट्स के लिए पढ़ते रहिए Aarambh News।
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