केंद्र सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए एक अहम कदम उठाते हुए नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का ऐलान किया है। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, अब कक्षा 5 और 8 के छात्रों को वार्षिक परीक्षा में फेल होने पर प्रमोट नहीं किया जाएगा। हालांकि, ऐसे छात्रों को सुधार का एक और मौका दिया जाएगा।
फेल छात्रों को मिलेगा दूसरा मौका
नई नीति के तहत, अगर कोई छात्र कक्षा 5 या 8 की वार्षिक परीक्षा में फेल होता है, तो उसे दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाएगा। यदि वह इस परीक्षा में भी असफल रहता है, तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। ऐसे छात्रों को उसी कक्षा में दोबारा पढ़ाई करनी होगी।
The Union Education Ministry has taken a big decision and abolished the ‘No Detention Policy’.
Students who fail the annual examination in classes 5 and 8 will be failed. Failed students will have a chance to retake the test within two months, but if they fail again, they will… pic.twitter.com/MK8MC1iJ0a
— DD News (@DDNewslive) December 23, 2024
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की पहल
2010-11 से लागू नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत कक्षा 8 तक छात्रों को फेल नहीं किया जाता था। चाहे परीक्षा में प्रदर्शन कैसा भी हो, छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था। हालांकि, इसके चलते शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों का प्रदर्शन गिरने लगा। लंबे समय से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के बाद सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के उद्देश्य से यह फैसला लिया है।
फेल छात्रों पर होगा विशेष ध्यान
शिक्षा मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि फेल होने वाले छात्रों को पढ़ाई में सुधार के लिए अतिरिक्त सहायता दी जाएगी। शिक्षकों को ऐसे छात्रों पर विशेष ध्यान देने और उनके माता-पिता को नियमित रूप से मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसके अलावा, छात्रों की शैक्षणिक समस्याओं का समाधान करने के लिए विशेष कक्षाएं आयोजित की जाएंगी।
क्या है नो डिटेंशन पॉलिसी?
नो डिटेंशन पॉलिसी 2009 में लागू शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) का हिस्सा थी। इस नीति के तहत, कक्षा 5 और 8 तक छात्रों को परीक्षा में फेल नहीं किया जाता था। इसका उद्देश्य बच्चों पर पढ़ाई का दबाव कम करना और सतत व व्यापक मूल्यांकन (CCE) को बढ़ावा देना था। लेकिन लंबे समय में यह नीति शिक्षा की गुणवत्ता के लिए नुकसानदायक साबित हुई।
शिक्षा मंत्रालय का नजरिया
सरकार का मानना है कि नई नीति से छात्रों में पढ़ाई के प्रति अनुशासन और मेहनत की भावना विकसित होगी। इसके साथ ही, छात्रों को शिक्षा में उनकी कमजोरियों को समझने और सुधारने का अवसर मिलेगा।
नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और छात्रों को जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस बदलाव से शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी और छात्रों को उनकी क्षमताओं के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।
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