
इजराइल और ईरान के बीच शुरू हुए इस संघर्ष में भारत किसका साथ देगा?
India’s stand on Iran-Israel conflict: इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष तेज हो चुका है। इजराइल ने ईरान पर जो ताजा हमला किया है वह पिछले साल किए गए दो सैन्य ऑपरेशनों की तुलना में ज्यादा भयानक है। अब सवाल यह है कि इजराइल और ईरान के बीच शुरू हुए इस संघर्ष में भारत किसका साथ देगा? क्या भारत के लिए इतना आसान है कि वह इजराइल या ईरान में से किसी एक को चुन ले और उसका साथ दे। इसके अलावा एक सवाल ये भी उठता है कि इजराइल और ईरान यदि युद्ध की घोषणा कर देते हैं तो भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
India’s stand on Iran-Israel conflict: भारत का रुख संतुलनवादी होगा !
थिंक टैंक ओआरएफ़ में स्ट्रैटेजिक स्टडीज के फेलो कबीर तनेजा कहते हैं कि ‘इसराइल और ईरान के बीच संघर्ष में भारत का रुख संतुलनवादी होगा। बाकी दुनिया के भाति, भारत परमाणु शक्ति संपन्न ईरान के पक्ष में नहीं है।
जबकि इंडो पेसिफिक एनालिस्ट डेरेक ग्रॉसमेन का मानना है कि “भारत इजराइल का साथ देगा लेकिन यह बिना शर्त नहीं होगा। निश्चित रूप से भारत ईरान पर इजरायली हमले का समर्थन नहीं करेगा।
India’s stand on Iran-Israel conflict: भारत- पाक युद्ध में इजराइल ने भारत का साथ दिया था
बीते महीने जब भारत ने पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत स्ट्राइक किया था, तो इसराइल ने खुलकर भारत का समर्थन किया था। और कहां था कि “भारत के पास आत्मरक्षा का अधिकार है। जबकि ईरान ने भी दोनों देशों के बीच तनाव खत्म करने के लिए मध्यस्थता की कोशिश की थी लेकिन खुलकर उसने भारत का समर्थन नहीं किया था। ईरान ने खुद को तटस्थ रखा था। ऐसे में भारत भी यही नीति अपना सकता है।
India’s stand on Iran-Israel conflict: भारत में ईरान इजरायल संघर्ष पर क्या कहा
भारत के विदेश मंत्रालय ने ईरान- इजरायल संघर्ष पर कहा कि दोनों देशों को डिप्लोमेसी के जरिए विवाद को सुलझाना चाहिए और युद्ध से बचना चाहिए। भारत का कहना है ईरान-इजरायल दोनों से भारत का अच्छा संबंध है और हम हर तरह की सहायता के लिए तत्पर है।
राजधानी दिल्ली में स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के वेस्ट एशिया स्टडी सेंटर में प्रोफेसर रह चुके आफताब कमाल पाशा का कहना है कि यह युद्ध अब नहीं रुकेगा। बल्कि आने वाले दिनों में यह और बढ़ सकता है और खतरनाक हो सकता है।
India’s stand on Iran-Israel conflict: भारत किसका साथ देगा?
प्रोफेसर पाशा का कहना है कि “मुझे नहीं लगता है कि भारत के लिए कोई दुविधा है। इजराइल एक मात्र ऐसा मुल्क था जिसने ऑपरेशन सिंदूर में भारत का खुलकर समर्थन किया। ऐसे में भारत इजराइल का ही साथ देगा। ईरान से तो हमने पहले ही सारे संबंध सीमित किए हुए हैं और ना हीं गैस चाबहार का भी हम ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे। हम भी वही करेंगे जो अमेरिका चाहता है।”
India’s stand on Iran-Israel conflict: क्या अमेरिका इस युद्ध में शामिल है?
प्रोफेसर पाशा मानते हैं कि “संभावना है कि ईरान अभी हमला न करें लेकिन वह बदला तो लेगा। यह सिलसिला अब रुकने वाला नहीं है। अमेरिका कह रहा है कि वह इस युद्ध में शामिल नहीं है। लेकिन इजरायली बॉम्बर कतर में स्थित अमेरिकी एयर फोर्स बेस से इंधन ले रहे हैं।
जाहिर है कि इसमें अमेरिका भी शामिल है। जो ड्रोन ईरान ने इजराइल पर दागे हैं उन्हें अमेरिका ने मारकर गिरा दिया। अमेरिका ने ईरानी ड्रोन को इजराइल पहुंचने ही नहीं दिया। इसके अलावा अमेरिका के दबाव पर सऊदी अरब और जॉर्डन ने भी इजराइल को अपना एयरस्पेस इस्तेमाल करने दिया। कुल मिलाकर यह हमला सिर्फ ईरान और इजराइल तक सीमित नहीं है।
India’s stand on Iran-Israel conflict: भारत पर इस युद्ध का क्या प्रभाव होगा
अगर युद्ध का दायरा बढ़ता है तो इसका सीधा प्रभाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर पड़ेगा। तेल महंगा होगा तो भारत की विदेशी मुद्रा भंडार पर सीधा प्रभाव पड़ेगा और अर्थव्यवस्था भी डगमगाएगी। गल्फ और पश्चिम एशिया से भारत के आर्थिक संबंध काफी अच्छे हैं। इस इलाके के कई देश भारत के बड़े कारोबारी पार्टनर है।
उदाहरण के लिए 2023-24 में भारत का कुल विदेशी व्यापार 1.11 ट्रिलियन डॉलर था। इनमें से 208.48 अरब डॉलर गल्फ और पश्चिम एशिया से हुआ था। मतलब भारत की विदेशी व्यापार में गल्फ और पश्चिम एशिया का योगदान 18.17 फीसदी था।ईरान पर हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत एक दिन में 13 प्रतिशत बढ़ गई।
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