
मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में भगदड़: कई घायल, कई की मौत की आशंका
मौनी अमावस्या के अवसर पर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में भीड़ की भारी उमड़ ने भयानक भगदड़ की स्थिति पैदा कर दी। इस हादसे में 30 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। कई लोगों की मौत की आशंका है।
क्या हुआ?
मौनी अमावस्या को हिंदू धर्म में पवित्र और शुभ माना जाता है। लाखों श्रद्धालु संगम में ‘अमृत स्नान’ के लिए पहुंचे। सुबह के समय संगम क्षेत्र से लगभग एक किलोमीटर दूर बैरिकेड्स भारी भीड़ के दबाव में टूट गए। इस घटना में कुछ महिलाएं बेहोश होकर गिर पड़ीं, जिसके बाद भगदड़ मच गई।
घटना के बाद वहां अफरा-तफरी मच गई। चश्मदीदों ने बताया कि भीड़ को संभालने के लिए कोई प्रबंध नहीं था। एक श्रद्धालु ने कहा, “हम फंस गए थे, बैरिकेड्स टूटने के बाद भगदड़ मच गई। मदद के लिए कोई नहीं था।”
घायलों का इलाज और बचाव कार्य
घटना के तुरंत बाद, घायलों को मेला क्षेत्र में बने केंद्रीय अस्पताल ले जाया गया। गंभीर रूप से घायल श्रद्धालुओं को बेली अस्पताल और स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए रेफर किया गया।
धार्मिक नेताओं ने लिया बड़ा फैसला
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने मौनी अमावस्या के ‘अमृत स्नान’ को रद्द करने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “हमारे सभी संत और साधु स्नान के लिए तैयार थे, लेकिन इस घटना के कारण हमने इसे रद्द कर दिया।”
अखाड़ा परिषद के महासचिव महंत हरि गिरी ने भी श्रद्धालुओं से अपील की कि वे गंगा नदी में जहां हैं, वहीं स्नान करें और सुरक्षित अपने घर लौट जाएं।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना की जानकारी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दो बार बातचीत की। उन्होंने तुरंत राहत और बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और संगम क्षेत्र की ओर जाने से बचें।
भविष्य के लिए सबक
इस दुखद घटना ने महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में बेहतर प्रबंधन और सुरक्षा की आवश्यकता को उजागर किया है।
- बेहतर भीड़ नियंत्रण: रीयल-टाइम निगरानी और प्रबंधन की व्यवस्था।
- मजबूत बुनियादी ढांचा: भारी भीड़ को संभालने के लिए मजबूत बैरिकेड्स और बेहतर मार्ग।
- मेडिकल और आपातकालीन सेवाएं: घटनास्थल के पास पर्याप्त सुविधाएं।
- सार्वजनिक संचार: अफवाहों को रोकने और भीड़ को निर्देशित करने के लिए सूचना का स्पष्ट प्रसार।
मौनी अमावस्या पर हुई यह घटना एक दर्दनाक याद के रूप में दर्ज होगी। हमारी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं। प्रशासन और धार्मिक संगठनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसे हादसे न हों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि हो।
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