
Pakistan Army
Pakistan Army में हिंदू समुदाय के जवान और अफसर मौजूद हैं, हालांकि उनकी संख्या बहुत कम है। देश में करीब 38 लाख हिंदू रहते हैं, लेकिन सेना में लगभग केवल 200 हिंदू सैनिक और अधिकारी सेवा में हैं। यह संख्या भले ही कम हो, लेकिन यह एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है कि अल्पसंख्यकों को भी सेना में जगह मिल रही है।
Pakistan Army में हिंदुओं की स्थिति
पाकिस्तान की कुल सक्रिय सेना की संख्या लगभग 6.5 लाख है, जबकि रिजर्व सैनिकों की संख्या 5 लाख के करीब है। ऐसे में 200 हिंदू सैनिक और अफसर सेना की कुल संख्या का बहुत छोटा हिस्सा हैं। फिर भी ये लोग अलग-अलग रैंक और पदों पर कार्यरत हैं।
साल 2022 में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने संसद में ही बताया था कि सेना में हिंदू समुदाय के लगभग 200 सदस्य शामिल हैं। यह पहली बार था जब इस बारे में आधिकारिक तौर पर जानकारी सामने आई।
भर्ती में आई देरी और कम संख्या के कारण
पाकिस्तान में हिंदुओं की कुल आबादी लगभग 38 लाख है, जो देश की जनसंख्या का लगभग 1.6% है। बावजूद इसके सेना में उनकी संख्या कम है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे:
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समाज में मौजूद भेदभाव और सांस्कृतिक बाधाएं
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सेना में भर्ती प्रक्रिया में कठिनाई
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अल्पसंख्यकों को कम मौके मिलना
इतना ही नहीं, Pakistan Armyमें हिंदुओं की भर्ती साल 2000 से पहले नहीं होती थी। 2000 के बाद से ही इस समुदाय के लोगों को सेना में शामिल होने का मौका मिला।
हिंदू अफसरों की बढ़ती उपस्थिति
पहले हिंदू ऑफिसर बनने का गौरव साल 2006 में कैप्टन दानिश को मिला था। इसके बाद धीरे-धीरे हिंदू अफसरों की संख्या बढ़ी।
2022 में मेजर डॉ. कैलाश कुमार और मेजर डॉ. अनिल कुमार जैसे अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पहुंचे। यह साबित करता है कि पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोगों को सेना में उच्च पदों तक पहुंचने का मौका मिल रहा है।
आगे का रास्ता: क्या बढ़ेंगे मौके?
हाल के वर्षों में पाकिस्तान सरकार ने अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों और सेना में अधिक अवसर देने के लिए कदम उठाए हैं। हालांकि, मुसलमानों की तुलना में हिंदू, ईसाई और सिख समुदायों की संख्या अभी भी बहुत कम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ नियम बनाना ही काफी नहीं है, बल्कि समाज की सोच में भी बदलाव आवश्यक है ताकि हर समुदाय को बराबर का मौका मिल सके।
Pakistan Army में हिंदुओं की मौजूदगी भले ही कम हो, लेकिन यह एक सकारात्मक संकेत है कि अल्पसंख्यक समुदाय को भी राष्ट्रीय सुरक्षा में भागीदारी मिल रही है। भविष्य में इन अवसरों में वृद्धि होने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे पाकिस्तानी समाज में समानता और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
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