
Shattila Ekadashi के दिन कुंडली के सभी दुर्योग भी नष्ट हो जाते हैं
Shattila Ekadashi इस वर्ष 25 जनवरी को मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। Shattila Ekadashi के दिन कुंडली के सभी दुर्योग भी नष्ट हो जाते हैं। ज्योतिषों के अनुसार यह एक दिव्य तिथि है इस दिन तिल के दिव्या प्रयोग से आप अपने जीवन में ग्रहों के कारण आ रहे सभी बाधा दूर कर सकते हैं।
भगवान विष्णु के साथ समस्त देवताओं का अद्भुत संयोग
Shattila Ekadashi को इसलिए भी खास माना जाता है क्योंकि यह इकलौता ऐसा दिन है जिस दिन श्री हरि की कृपा के साथ समस्त देवी देवताओं के अद्भुत संयोग का दिन होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और इस दिन कुंडली के सभी दुर्योग भी नष्ट किये जा सकते हैं। इस दिन तिल के प्रयोग से आप अपने जीवन में ग्रहों के कारण आने वाली सभी बाधाए दूर कर सकते हैं। माघ का महीना भगवान विष्णु का महीना माना जाता है।
दिल का दिया जलाना होगा चमत्कारी
Shattila Ekadashi के दिन तिल के तेल का दिया जलाने से सूर्य और शनि की स्थिति दोनों ही कुंडली में मजबूत हो जाती है और व्यक्ति को दोनों ही ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है। ज्योतिषों की माने तो सफेद तिल सूर्य देवता का प्रतिनिधित्व करते हैं और काला तिल शनिदेव का प्रतीक माना जाता है। यदि आप Shattila Ekadashi के दिन सफेद और काले तिल को तिल के तेल में डालें और कपूर मिलाकर दिया जलाएं इससे भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहेगी और घर में सुख समृद्धि और शांति आएगी। इससे घर में उपस्थित नकारात्मक उर्जा भी नष्ट हो जाती है और शांति बानी रहती है साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होने लगता है। षटतिला एकादशी का व्रत करने से मानसिक शांति भी मिलती है ।
यदि आपके जीवन में कुंडली में सूर्य शनि और सूर्य के दोष के कारण परेशानियां आ रही है तो वह भी दूर हो जाता है। ऐसा मानना है कि Shattila Ekadashi के दिन तिल के तेल का दिया जलाना साढ़े साती से राहत दिलाता है और कष्ट धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।
तिल का महत्व
तिल के कई महत्व है Shattila Ekadashi के दिन तिल का प्रयोग बहुत ही दिव्या माना गया है। इसके अंदर तैलीय गुण पाए जाते हैं। यह दो तरह के होते हैं सफेद और काले तिल जिन्हे रोग नाशक और केशव वर्धन भी कहा गया है। पूजा के दीपक में और पितृ कार्य में तिल के तेल का ही प्रयोग अधिकतर किया जाता है। इसके अलावा शनि की समस्याओं के निवारण के लिए भी काले तिल का दान किया जाता है। इसके अलावा तिल के दान से संतान उत्पत्ति की क्षमता और कैल्शियम के तत्व को और मजबूत करने में सहायक होते हैं।
उपवास की विधि
Shattila Ekadashi के दिन दो प्रकार से व्रत रखा जा सकता है। पहले निर्जल व्रत और दूसरा फलहारी अथवा जलीय व्रत। निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति को रखना चाहिए वही जो सामान्य लोग हैं उन्हें फलहारी व्रत या जलीय व्रत ही रखना चाहिए। इस दिन जातक को तिल का उबटन लगाना चाहिए। इसके अलावा तिल वाले जल में नहाना चाहिए और जो भी आहार ग्रहण कर रहे हैं उसमें तिल का होना आवश्यक है।
इन तरीकों से करिए तिल का इस्तेमाल
तिल स्नान
तिल का उबटन
तिल का हवन
तिल का भोजन
तिल का दान
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