ब्रिस्बेन में खेले जा रहे बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट मैच में भारत ने फॉलो-ऑन से बचने के बाद जो उत्सव मनाया, वह क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय बन गया। विराट कोहली और टीम के कोच गौतम गंभीर का इस मौके पर उत्साही जश्न मनाना कुछ फैंस को पसंद आया, जबकि कुछ ने इसे समय और परिस्थितियों के हिसाब से अनुचित माना। आइए, इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और इसके परिणामस्वरूप बनी बहस पर विस्तार से चर्चा करें।
भारत की खराब स्थिति से उभरना
भारत की टीम चौथे दिन के समाप्ति तक 193 रन पीछे थी, और मैच में केवल एक दिन का खेल बाकी था। भारतीय टीम के पास सिर्फ दो विकेट थे, जिसमें जसप्रीत बुमराह और आकाश दीप ने मिलकर 39 रन जोड़कर टीम को फॉलो-ऑन से बचाया। भारतीय बल्लेबाजों की यह संघर्षपूर्ण पारी देखने लायक थी, खासकर जब बुमराह जैसे तेज गेंदबाज ने बल्लेबाजी में अपना योगदान दिया। इस महत्वपूर्ण स्थिति में विराट कोहली और गौतम गंभीर का जश्न देखना था।
फॉलो-ऑन से बचने का मतलब था कि भारत ने कम से कम एक महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल किया, जिससे उसकी हार की संभावना कम हो गई। हालांकि, टीम की स्थिति अभी भी काफी कमजोर थी, क्योंकि उसे 193 रन और बनाने थे, लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसे अपनी बल्लेबाजी में कड़ी मेहनत करनी थी।
फॉलो-ऑन से बचने का महत्व
क्रिकेट के मैदान पर जब कोई टीम फॉलो-ऑन से बच जाती है, तो इसका मतलब होता है कि उसने किसी तरह अपनी टीम को पराजय से बचा लिया है। इसका महत्व इस कारण से भी बढ़ जाता है, क्योंकि फॉलो-ऑन से बचने के बाद भारतीय टीम को अगले दिन कड़ी मेहनत करनी थी। इस उपलब्धि को मनाना इसलिए स्वाभाविक था, क्योंकि भारत ने अपनी स्थितियों से संघर्ष करते हुए, मुश्किल घड़ी में एक अहम मील का पत्थर हासिल किया था।
इस जश्न को लेकर दो तरह की प्रतिक्रियाएं आईं। एक पक्ष का मानना था कि यह समय उत्सव मनाने का नहीं था, क्योंकि टीम को अब भी टेस्ट मैच जीतने के लिए बहुत कुछ करना बाकी था। वहीं दूसरी तरफ, कुछ फैंस का कहना था कि फॉलो-ऑन से बचने का मतलब यह था कि भारत अब हार से बाहर आ चुका था, और यह टीम के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए जरूरी था।
जसप्रीत बुमराह और आकाश दीप का योगदान
भारत के फॉलो-ऑन से बचने में जसप्रीत बुमराह और आकाश दीप का योगदान अहम था। बुमराह जैसे तेज गेंदबाज ने अपनी बल्लेबाजी में जुझारूपन दिखाते हुए 18 गेंदों में 15 रन बनाए। साथ ही, आकाश दीप ने बुमराह के साथ मिलकर इस मुश्किल स्थिति में क्रीज पर टिके रहते हुए 39 रन जोड़कर टीम को संकट से उबारा। इस संयमपूर्ण और संघर्षपूर्ण साझेदारी ने भारतीय टीम के फॉलो-ऑन से बचने में अहम भूमिका निभाई।
फैंस की मिश्रित प्रतिक्रियाएं
विराट कोहली और गौतम गंभीर के जश्न पर फैंस की प्रतिक्रियाएं मिश्रित थीं। एक वर्ग का कहना था कि यह समय उत्सव मनाने का नहीं था, क्योंकि भारत अभी भी मैच में पिछड़ रहा था और उसे जीतने के लिए काफी कुछ करना था। ऐसे में, जश्न का यह समय आलोचकों के लिए अनुचित प्रतीत हुआ। वहीं, दूसरे वर्ग का मानना था कि भारत ने जिस स्थिति से उबरकर यह उपलब्धि हासिल की, वह एक बड़ी सफलता थी। उन्होंने इसे टीम के संघर्ष और जुझारूपन के प्रतीक के रूप में देखा।
उनका मानना था कि फॉलो-ऑन से बचना भारत के लिए एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण जीत थी, और इसे मनाना स्वाभाविक था। इन फैंस ने इसे टीम के आत्मविश्वास को बढ़ाने का एक तरीका बताया।
ऑस्ट्रेलिया की कमजोरी और मौसम का प्रभाव
भारत के फॉलो-ऑन से बचने का एक और कारण था जो फैंस के उत्सव के पक्ष में था। ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज जोश हेजलवुड का मैच से बाहर होना टीम के लिए एक बड़ा झटका था। हेजलवुड के चोटिल होने के बाद, ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण में कमजोरी आ गई थी। बिना हेजलवुड के, ऑस्ट्रेलिया के पास अंतिम दिन के खेल में उतनी तीव्रता और ताकत नहीं हो सकती थी, जिससे भारत के पास मौका था कि वह रन चेज़ को कड़ी मेहनत से पूरा कर सके।
दूसरी ओर, इस टेस्ट सीरीज के दौरान मौसम का भी महत्वपूर्ण प्रभाव था। बारिश के कारण कई बार खेल में देरी हुई, और आखिरी दिन भी बारिश का असर हो सकता था। ऐसी स्थिति में, भारत का फॉलो-ऑन से बचना एक बड़ी राहत थी।
अंततः, क्या सही था?
विराट कोहली और गौतम गंभीर का उत्सव मनाना अब तक चर्चा का विषय बन चुका है। जहां कुछ लोग इसे समय के अनुसार सही मानते हैं, वहीं कुछ इसे अनुचित मानते हैं। लेकिन इस उत्सव ने भारतीय टीम की जुझारूपन और संघर्ष को दर्शाया। जिस स्थिति में टीम पहले से काफी दबाव में थी, वहां से फॉलो-ऑन से बचना एक उपलब्धि के रूप में देखा जा सकता है।
इससे यह साफ है कि टीम की मुश्किलों के बावजूद, उसने खुद को हार से उबारने की पूरी कोशिश की। हालांकि, भारत को अभी भी जीत के लिए काफी मेहनत करनी थी, लेकिन इस उत्सव का मतलब था कि भारतीय टीम ने हार से एक कदम दूर होकर आत्मविश्वास हासिल किया था।