
National Herald Case: 50 लाख में 2000 करोड़ की संपत्ति? सच्चाई या साज़िश?
National Herald Case: क्या गांधी परिवार ने मात्र 50 लाख रुपये में हजारों करोड़ की संपत्ति पर कब्जा कर लिया? क्या ये पूरा मामला एक साजिश है या फिर एक गंभीर आर्थिक घोटाला? इस सवाल ने भारतीय राजनीति को झकझोर कर रख दिया है। National Herald Case पिछले कुछ वर्षों से लगातार चर्चा में है, और अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद यह मामला फिर सुर्खियों में है।
National Herald Case की शुरुआत: एक पत्रकारिता मिशन
इस केस की शुरुआत होती है आज़ादी के बाद के दौर से, जब भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक अख़बार की नींव रखी जिसका नाम था ‘नेशनल हेराल्ड’। इसका उद्देश्य था आज़ादी की भावना को आगे बढ़ाना और सामाजिक-राजनीतिक जागरूकता फैलाना। इस अख़बार का प्रकाशन Associated Journals Limited (AJL) नाम की कंपनी करती थी।
हालांकि, समय के साथ अखबार की लोकप्रियता घटने लगी और अंततः इसका प्रकाशन बंद हो गया। लेकिन कंपनी के पास जो संपत्तियां थीं, वो बची रहीं। दिल्ली, मुंबई, भोपाल जैसे प्रमुख शहरों में स्थित इन अचल संपत्तियों की अनुमानित बाजार कीमत 2000 करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है।
AJL से YIL तक: गांधी परिवार की एंट्री
साल 2010 में कांग्रेस पार्टी ने दावा किया कि AJL अब घाटे में चल रही है और इसे बचाने के लिए एक नई कंपनी बनाई गई — Young Indian Private Limited (YIL)। यह एक Section 25 कंपनी थी, यानी इसे गैर-लाभकारी संस्था के रूप में रजिस्टर किया गया।
YIL के निदेशक मंडल में थे सोनिया गांधी और राहुल गांधी, जिनकी हिस्सेदारी 38-38% थी। अन्य निदेशकों में शामिल थे गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले सैम पित्रोदा और सुमन दुबे।
सबसे बड़ा सवाल यहां से उठा — YIL ने AJL के 99% शेयर केवल 50 लाख रुपये में कैसे हासिल कर लिए, जबकि AJL के पास इतनी भारी-भरकम प्रॉपर्टी थी? विशेषज्ञों के अनुसार, ये सौदा यदि सही साबित होता है तो यह एक बेहद कम कीमत पर एक विशाल संपत्ति पर नियंत्रण पाने की मिसाल हो सकता है।
अदालत में चुनौती और ED की जांच
साल 2014 में BJP नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने इस पूरे सौदे को धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग बताया। इसके बाद से यह केस राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस पर गंभीरता से जांच शुरू की। और अब, अप्रैल 2025 में ED ने इस मामले में पहली बार चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में सोनिया गांधी को आरोपी नंबर 1 और राहुल गांधी को आरोपी नंबर 2 बनाया गया है।
National Herald Case: चार्जशीट में क्या हैं मुख्य आरोप?
चार्जशीट में ED ने दावा किया है कि कांग्रेस पार्टी ने AJL को पहले दिए गए 90 करोड़ रुपये के कर्ज को शेयरों में बदल दिया, और इस तरह AJL का पूरा नियंत्रण YIL को दे दिया गया। ये सौदा सिर्फ 50 लाख रुपये में किया गया, जो बाजार कीमत की तुलना में बेहद कम था।
चार्जशीट के अनुसार, YIL को Section 25 के तहत एक “non-profit company” के तौर पर रजिस्टर किया गया था, लेकिन 2010 से 2016 के बीच YIL ने कोई चैरिटेबल गतिविधि नहीं की, जो कि कानून के अनुसार अनिवार्य है।
कांग्रेस का पक्ष: राजनीतिक बदले की कार्रवाई
कांग्रेस पार्टी ने इन आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया है। पार्टी का कहना है कि यह पूरी जांच एक राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है और इसका मकसद विपक्ष को दबाना है।
कांग्रेस ने साफ कहा है कि इस केस के जरिए सत्ता पक्ष ईडी और अन्य जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहा है। इसी विरोध में कांग्रेस ने 17 अप्रैल 2025 को देशभर के ED दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन की घोषणा भी की है।
National Herald Case: क्या सच में ये 2000 करोड़ रुपये का घोटाला है?
अब सवाल यह है कि क्या यह पूरा मामला वाकई में एक 2000 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा है, या फिर यह एक राजनीतिक साज़िश है?
इस सवाल का जवाब अभी अदालत के फैसले पर निर्भर करता है, लेकिन यह साफ है कि यह केस आने वाले दिनों में राजनीतिक और कानूनी हलचल का बड़ा केंद्र बना रहेगा।
देश की सबसे पुरानी पार्टी के शीर्ष नेताओं के खिलाफ चल रही यह जांच भारतीय राजनीति के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकती है।
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