
Supreme Court Waqf Hearing
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर Supreme Court Waqf Hearing जारी है। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश की गई दलीलों ने न सिर्फ कानूनी बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से पेश की गई खास दलील को “मास्टरस्ट्रोक” माना जा रहा है। आइए जानें इस मामले की 10 बड़ी बातें—
1. हिंदू कोड बिल का उदाहरण
केंद्र सरकार ने वक्फ कानून की तुलना 1956 के हिंदू कोड बिल से करते हुए तर्क दिया कि जब उस कानून के तहत कई समुदायों के पर्सनल लॉ में बदलाव किया गया, तब किसी ने मुस्लिम समुदाय को इससे अलग रखने की बात नहीं उठाई। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार वक्फ कानून को धार्मिक न मानकर एक धर्मनिरपेक्ष, चैरिटेबल कानून मानती है।
2. वक्फ इस्लाम का अनिवार्य धार्मिक हिस्सा नहीं
तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि वक्फ प्रणाली इस्लाम का ‘Essential Religious Practice’ नहीं है। उन्होंने कहा, “दान हर धर्म में होता है, इसलिए इसे धर्म की अनिवार्य परंपरा नहीं माना जा सकता।”
3. ‘वक्फ बाय यूजर’ को खत्म करने की मांग
सरकार ने उन प्रावधानों को हटाने की वकालत की जिसमें केवल लंबे समय तक धार्मिक इस्तेमाल के आधार पर किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जा सकता है, भले ही उसके पास कानूनी दस्तावेज़ न हों।
4. सरकारी जमीन पर वक्फ का दावा नहीं
मेहता ने साफ किया कि सरकार सार्वजनिक भूमि की संरक्षक है, और कोई भी बिना वैध दस्तावेज के सरकारी जमीन पर वक्फ का दावा नहीं कर सकता।
5. भ्रामक प्रचार पर जवाब
कुछ याचिकाकर्ताओं ने आशंका जताई कि नई व्यवस्था में अधिकारी वक्फ संपत्तियों पर कब्जा कर सकते हैं। इस पर सरकार ने साफ किया कि केवल वरिष्ठ अधिकारी (जैसे कलेक्टर) ही संपत्ति की समीक्षा कर सकते हैं और वह भी ट्रिब्यूनल के आदेश के बिना किसी संपत्ति पर कब्जा नहीं ले सकता।
6. संशोधन पर व्यापक विचार-विमर्श
केंद्र ने बताया कि वक्फ संशोधन अधिनियम को तैयार करने में 96 बार संसदीय समिति की बैठकें हुईं, 97 लाख से ज्यादा सुझाव मिले और विभिन्न राज्यों व वक्फ बोर्डों से राय ली गई।
7. वक्फ रजिस्टर में नाम होने से नहीं बनती मालिकाना हक की गारंटी
सरकार ने स्पष्ट किया कि अगर कोई संपत्ति गलती से वक्फ रजिस्टर में दर्ज हो गई हो, तब भी केवल अदालत और वक्फ ट्रिब्यूनल ही मालिकाना हक तय करेंगे।
8. किसी की संपत्ति नहीं छीनी जा रही
सरकार ने आश्वासन दिया कि संशोधन का उद्देश्य जबरन संपत्ति अधिग्रहण नहीं है। राजस्व रिकॉर्ड में बदलाव चुनौती के अधीन रहेगा और अंतिम निर्णय अदालत ही देगी।
9. गैर-मुस्लिम सदस्य भी हो सकते हैं वक्फ बोर्ड में
विवाद को लेकर सरकार ने कहा कि केंद्रीय व राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति कानून के अनुसार है, क्योंकि वे भी वक्फ संपत्तियों से प्रभावित हो सकते हैं।
10. ‘वक्फ बाय यूजर’ का ऐतिहासिक दुरुपयोग
केंद्र ने बताया कि इस प्रावधान का दुरुपयोग 1923 से होता आ रहा है, जब इसे पहली बार लागू किया गया था। इसका उद्देश्य था बिना दस्तावेज़ी आधार के वक्फ के नाम पर संपत्ति हड़पने पर रोक लगाना।
अगर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार की इन दलीलों को स्वीकार कर लेता है, तो यह वक्फ कानून के स्वरूप और प्रभाव को पूरी तरह से बदल सकता है। इस कदम से न केवल सरकारी संपत्तियों की रक्षा होगी, बल्कि लंबे समय से चल रहे विवादों का भी हल निकल सकता है।
सुनवाई 22 मई को भी जारी रहेगी।