Gen Z Revolution Nepal: क्या दुबई भागेंगे पीएम ओली? नेपाल में खूनी प्रदर्शन, 10 मंत्रियों का इस्तीफा
Gen Z Revolution Nepal: नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि राजधानी काठमांडू से लेकर गांव-गांव तक लोग सड़कों पर उतर आए हैं। छात्र और नौजवान हाथों में झंडे और पोस्टर लिए सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी कर रहे हैं। और इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है – क्या प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली देश छोड़कर दुबई भागने की फिराक में हैं?
भागने की अटकलें और एयरलाइन स्टैंडबाय
नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स ने खुलासा किया है कि पीएम ओली को नेपाल से बाहर ले जाने के लिए हिमालय एयरलाइंस को स्टैंडबाय पर रखा गया है। कहा जा रहा है कि बढ़ते आक्रोश और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसी वजह से उन्होंने उप-प्रधानमंत्री को कार्यकारी जिम्मेदारियां सौंप दी हैं। सूत्रों का कहना है कि वे इलाज के बहाने दुबई जा सकते हैं।
क्यों भड़का गुस्सा?
दरअसल, नेपाल में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत तब हुई जब सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले ने युवाओं को गुस्से से भर दिया। इंटरनेट पर अपनी आवाज उठाने वाले छात्रों को लगा कि सरकार उनकी आवाज दबाना चाहती है। यही गुस्सा देखते ही देखते सड़कों पर उतर आया और फिर पुलिस की फायरिंग ने हालात को और बिगाड़ दिया।
सोमवार को हुए खूनी प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से ज्यादा लोग घायल हैं। युवाओं का आक्रोश अब सिर्फ सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आंदोलन भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, बदइंतजामी और लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन के खिलाफ एक जनविद्रोह में बदल चुका है।
सरकार को झुकना पड़ा है
ओली सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा है। सोशल मीडिया बैन के खिलाफ भड़की Gen Z क्रांति ने नेपाल की सड़कों को रणभूमि बना दिया। तीन दिन पहले सरकार ने फेसबुक, व्हाट्सऐप, एक्स और यूट्यूब समेत 26 प्लेटफॉर्म पर रोक लगा दी थी। लेकिन यही फैसला भारी पड़ गया… संसद भवन तक प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया, पुलिस और भीड़ में जमकर झड़पें हुईं… लाठीचार्ज, आंसू गैस और गोलीबारी में 20 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा घायल हुए।
हालात बिगड़ते देख काठमांडू और पोखरा में कर्फ्यू, यहां तक कि सेना तक उतारनी पड़ी।
10 मंत्रियों का इस्तीफा
तेज़ होते प्रदर्शनों के बीच सरकार के भीतर भी दरार साफ दिखने लगी है। गृहमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और कृषि मंत्री समेत 10 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है। लेकिन प्रदर्शनकारी इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनका एक ही नारा है – “ओली इस्तीफा दो।”
लोगों को लगता है कि सरकार जनता की आवाज सुनने के बजाय सत्ता बचाने की जुगत में लगी हुई है। यही वजह है कि मंत्रियों के इस्तीफे भी जनता के गुस्से को शांत नहीं कर पाए।
हिंसा और आगज़नी
स्थिति इतनी बेकाबू हो गई है कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया। पूर्व उप-प्रधानमंत्री रघुवीर महासेठ के घर पर भी पथराव हुआ। नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के आवास पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया और वहां आगज़नी की। आधा दर्जन से ज्यादा गाड़ियों को भी जला दिया गया है।
सरकार ने त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को हाई अलर्ट पर रखा है। कर्मचारियों को आदेश दिया गया है कि किसी भी समय वीआईपी ट्रैफिक बढ़ सकता है, क्योंकि कई नेता देश छोड़कर भागने की कोशिश कर सकते हैं।
नेपाली राजनीति की विडंबना
नेपाल की राजनीति हमेशा अस्थिर रही है। लोकतंत्र लागू होने के बाद से अब तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। संसद में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता और गठबंधन की राजनीति हमेशा अस्थिरता को जन्म देती है।
केपी शर्मा ओली की सरकार भी नेपाली कांग्रेस के समर्थन पर टिकी हुई थी। लेकिन अब वही सहयोगी पार्टी भी विरोध प्रदर्शनों की लपटों में घिर चुकी है।
जनता बनाम सत्ता
नेपाल की सड़कों पर गूंज रहा हर नारा एक सवाल खड़ा कर रहा है – क्या लोकतंत्र में जनता की आवाज सबसे ऊपर नहीं होनी चाहिए? जब नौजवान जान गंवा रहे हैं, जब लोग अपने नेताओं के घरों को जला रहे हैं, तो यह साफ इशारा है कि जनता का भरोसा टूट चुका है।
ओली के भागने की खबरें इस टूटे हुए भरोसे पर और चोट करती हैं। जनता पूछ रही है – “जब हमने आपको चुना था तो आपने वादा किया था देश को संभालने का। अब मुश्किल घड़ी आई तो आप भागने की सोच रहे हैं?”
आगे क्या?
नेपाल का भविष्य इस वक्त अनिश्चितता से भरा है। अगर ओली इस्तीफा देते हैं तो राजनीतिक हलचल और बढ़ेगी। अगर वे देश छोड़कर जाते हैं, तो यह जनता के गुस्से को और भड़का देगा। और अगर वे टिके रहते हैं, तो सड़कों पर और खून बह सकता है।
लेकिन इतना साफ है कि नेपाल के लोग अब चुप बैठने के मूड में नहीं हैं। यह आंदोलन सिर्फ ओली के खिलाफ नहीं है, बल्कि दशकों से चली आ रही अस्थिर राजनीति और भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ है।
यह भी पढ़े
Nepal Protest: Facebook, YouTube और X बैन से भड़का युवा आंदोलन, काठमांडू में कर्फ्यू, 9 की मौत
