
एयर डिफेंस सिस्टम दुश्मन के हवाई हमले से सुरक्षा प्रदान करती है
Air defence system: अब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव अपनी चरम सीमा पर है। बीती रात कई भारतीय ठिकाने पर पाकिस्तानी सेना ने हमला किया लेकिन भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक पाकिस्तानी हमलो को नाकाम कर दिया और भारत में गुरुवार की सुबह पाकिस्तान के कई हिस्सों पर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया। इस मॉडर्न वार में आसमान पर नियंत्रण रखना सबसे जरूरी है। इसलिए एयर डिफेंस सिस्टम किसी भी देश के रक्षात्मक ढांचे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पाकिस्तान की Air defence system को नष्ट करने में सफल रहा भारत
एक बेहतरीन और क्रियाशील एयर डिफेंस सिस्टम दुश्मन के हवाई हमले से सुरक्षा प्रदान करती है। जैसे की इस फैक्ट से यह साफ होता है कि पाकिस्तान बुधवार-गुरुवार की रात को भारत को नुकसान पहुंचाने में बिल्कुल असफल रहा और पाकिस्तान की एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने से वह अपने ही इलाकों में हवाई हमले के प्रति असुरक्षित हो जाता है।
कैसे काम करता है Air defence system
एयर डिफेंस सिस्टम का प्राथमिक लक्ष्य आसमान से खतरों को नष्ट करना है। चाहे वह दुश्मन के लड़ाकू विमान हो मानव रहित ड्रोन हो या फिर कोई मिसाइल हो। यह काम रडार, नियंत्रण केंद्र, रक्षात्मक लड़ाकू विमान और जमीन आधारित वायु रक्षा मिसाइल, तोपखाने और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों की एक जटिल प्रणाली की मदद से किया जाता है।
Air defence system का काम तीन मुख्य बिंदुओं में बांटा गया है
पता लगाना: एयर डिफेंस सिस्टम का पहला काम खतरों का पता लगाना है। यह आमतौर पर रडार से किया जाता है। हालांकि कुछ स्थितियों में उपग्रह का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे कि – दुश्मन द्वारा इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करना।
जैसे ही कोई खतरा डिटेक्ट होता है सिस्टम अलर्ट मोड में आ जाता है।
ट्रैकिंग: एयर डिफेंस सिस्टम की खासियत यह है कि वह हवाई खतरे को लगातार और सटीक रूप से ट्रैक करने की क्षमता रखता है। ये आमतौर पर राडार और इंफ्रारेड कैमरे या लेजर रेंज फाइंडर जैसे अन्य सेंसर के संयोजन का इस्तेमाल करके किया जाता है।
ज्यादातर मामलों में वायु रक्षा प्रणाली के सामने केवल एक ही खतरे से निपटाने की चुनौती नहीं होती बल्कि उसे जटिल और अव्यवस्थित वातावरण में भी तेजी से बढ़ते खतरों की पहचान करनी होती है और उन पर निगरानी भी करनी होती है। जिनमें फ्रेंडली एयरक्राफ्ट भी शामिल होते हैं।
अवरोधन: जब एक बार खतरे का पता लग जाता है और उसे ट्रैक करने के बाद इस नष्ट करना भी बहुत जरूरी है। यह खतरे की बारीकिया इसकी सीमा, प्रकार, गति आदि – वायु रक्षा के काम करने के तरीके निर्धारित करते हैं।
एयर डिफेंस सिस्टम के इन तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं को एक साथ मिलकर काम करना होता है।
Did Indian Navy Attack Karachi Port? जानिए वायरल दावों की सच्चाई | India Pakistan Tension 2025
Sophia Qureshi: भारत की बेटी की हुंकार,ऑपरेशन सिंदूर में कर्नल सोफिया का नेतृत्व