
Delhi High Court on Marital Rape: पत्नी कोई मिल्कियत नहीं | Landmark Judgment
Delhi High Court on Marital Rape:क्या शादी के बाद एक महिला की मर्ज़ी की कोई अहमियत नहीं रह जाती? क्या पत्नी को पति की संपत्ति माना जा सकता है? हाल ही में Delhi High Court ने एक ऐसे केस पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने समाज, कानून और परंपरा—तीनों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
मामला क्या था?
यह मामला marital rape यानी शादीशुदा महिला के साथ उसकी मर्ज़ी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाने को लेकर था। पत्नी ने अदालत में आरोप लगाया कि उसका पति उसे अपनी “मिल्कियत” समझता है और जबरन संबंध बनाता है। महिला ने कोर्ट में यह भी कहा कि “मैं कोई वस्तु नहीं हूँ जो शादी के बाद इस आदमी की संपत्ति बन जाऊं।”
पति की ओर से अदालत में एक अजीब तर्क दिया गया। उसने कहा कि महाभारत में द्रौपदी को पाँच पांडवों की पत्नी माना गया था, तो आज भी पत्नी को पति की इच्छा के खिलाफ जाने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए।
कोर्ट का सख़्त जवाब
Delhi High Court ने इस दलील को पूरी तरह खारिज कर दिया। जज ने कहा:
“महाभारत एक धार्मिक ग्रंथ है, कानूनी दस्तावेज नहीं।”
“किसी भी महिला को पति की मिल्कियत मानना संविधान और मानव अधिकारों के खिलाफ है।”
कोर्ट ने यह भी साफ कहा कि अगर कोई पति अपनी पत्नी की मर्ज़ी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाता है, तो वह अपराध है। इस तरह की सोच जो पत्नी को केवल एक “object” या “संपत्ति” समझती है, वह असंवैधानिक है और उसकी जगह आज के आधुनिक समाज में नहीं है।
भारत में Marital Rape का कानून क्या कहता है?
भारत में अभी तक marital rape को एक अपराध के रूप में पूरी तरह से मान्यता नहीं दी गई है। IPC की धारा 375 में यह प्रावधान है कि यदि पत्नी की उम्र 18 वर्ष से अधिक है, तो उसके साथ पति द्वारा बनाए गए संबंध को बलात्कार नहीं माना जाएगा—even अगर वो उसकी मर्ज़ी के खिलाफ हो।
हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट का यह ताजा फैसला इस बहस को और तेज़ कर रहा है कि क्या शादी के बाद महिला के consent की कोई अहमियत नहीं होती?
इस फैसले का सामाजिक असर
इस निर्णय का प्रभाव सिर्फ एक महिला तक सीमित नहीं है। यह उन लाखों महिलाओं के लिए एक उम्मीद है जो आज भी शादी के बंधन में अपने हकों से वंचित हैं। यह फैसला उन सभी पितृसत्तात्मक सोचों को सीधी चुनौती देता है जो शादी को एक अनुबंध नहीं, बल्कि “मालिक और वस्तु” का रिश्ता मानते हैं।
Delhi High Court on Marital Rape:कोर्ट ने क्या कहा?
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शादी एक partnership है, ownership नहीं।
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पत्नी कोई object नहीं है, वह एक independent human being है।
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शादी के बाद भी महिला की consent जरूरी है।
महिला अधिकार और भारतीय संविधान
भारत का संविधान हर नागरिक को समानता, स्वतंत्रता, और सम्मान का अधिकार देता है। किसी भी महिला को शादी के बाद उसकी मर्ज़ी के खिलाफ किसी भी चीज़ के लिए मजबूर करना Article 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है।
Delhi High Court on Marital Rape:आपका क्या कहना है?
क्या आप मानते हैं कि शादी के बाद भी महिला की सहमति ज़रूरी होनी चाहिए?
क्या भारत में marital rape को अपराध घोषित किया जाना चाहिए?
अपनी राय कमेंट में ज़रूर दें।
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