
Haridwar land scam मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन अधिकारियों को किया निलंबित, विजिलेंस जांच के आदेश
Haridwar land scam में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिलाधिकारी समेत तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। आपको बता दें कि हरिद्वार नगर निगम द्वारा कूड़े के ढेर के पास मौजूद अनुपयुक्त और सस्ती कृषि भूमि को 54 करोड रुपए में खरीदने के मामले ने पूरे राज्य में खलबली मचा दी है। क्योंकि इस भूमि की ना तो वास्तविक आवश्यकता थी, न हीं पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनाईगई थी। इसमें प्रशासन के स्पष्ट नियमों को ताख पर रखकर ऐसा सौदा किया गया जो सभी स्तर पर संदेह पूर्ण था।
Haridwar land scam: पूरा मामला क्या है?
जान लेते हैं कि यह पूरा मामला क्या है। दअसल, यह मामला हरिद्वार नगर निगम की तरफ से खरीदी गई 35 बीघा जमीन से संबंधित है। बताया गया कि यह जमीन शहर के पास एक कूड़े के ढेर के पास है। यह जमीन मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ी है। अब इस मामले में आरोप है कि इस कृषि जमीन की ना तो कोई वास्तविक उपयोगिता थी और ना ही कोई तत्काल आवश्यकता। इसके बावजूद भी देहरादून नगर निगम ने इसे 54 करोड रुपए में खरीदा।
इसकी विशेष बात यह है कि इस जमीन का सर्किल रेट उस समय लगभग 6000 रुपए प्रति वर्ग मीटर था। कीमत के हिसाब से लगभग 15 करोड़ रूपए इस जमीन की कीमत होनी चाहिए थी। लेकिन इसे अधिक कीमत पर खरीदा गया यानी 54 करोड रुपए में। यह भी आरोप है की प्रक्रिया में टेंडर की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई जो की सरकारी खरीद नियमों का स्पष्ट उल्लंघन माना जाता है।
Haridwar land scam: इन अधिकारियों को किया गया निलंबित:
मुख्यमंत्री धामी ने तीन अधिकारियों को लंबित कर दिया है जिसमें कर्मेंद्र सिंह, वरुण चौधरी और अजय वीर सिंह शामिल है।
कर्मेंद्र सिंह, जिलाधिकारी(डीएम), हरिद्वार: भूमि क्रय की अनुमति देने और प्रशासनिक अनुमति देने में कर्मेंद्र सिंह की भूमिका पाई गई।
वरुण चौधरी, पूर्व नगर आयुक्त, हरिद्वार: वरुण चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने बिना उचित प्रक्रिया के भू क्रय प्रस्ताव पारित किया और वित्तीय और अनियमितताओं में अहम रोल निभाया।
अजयवीर सिंह, एसडीएम: अजय वीर सिंह ने जमीन के निरीक्षण और सत्यापन की प्रक्रिया में बहुत लापरवाही की है जिससे गलत रिपोर्ट शासन तक पहुंची।
Haridwar land scam: भ्रष्टाचार के खिलाफ धामी की शून्यसहनशीलता की नीति
पुष्कर सिंह धामी का यह फैसला केवल प्रशासनिक नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस की नीति को भी स्पष्ट किया है। पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने यह साफ किया कि उत्तराखंड में ‘पद’ नहीं ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेहि’ ज्यादा महत्वपूर्ण है चाहे कोई व्यक्ति कितना ही वरिष्ठ हो, कितने ही ऊंचे पद पर क्यों ना हो अगर वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा तो उसके खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई होगी। पुष्कर सिंह धामी का यह निर्णय ऐतिहासिक है और इसे जनता को यह संदेश मिला है कि अब भ्रष्टाचारियों की कोई जगह नहीं है।
Haridwar land scam: अब आगे क्या?
इस पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी विजिलेंस विभाग को दी गई है ,पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि अब उत्तराखंड में ‘पद’ नहीं ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेहि’ ज्यादा मायने रखते हैं। धामी सरकार का यह निर्णय राज्य के अन्य अधिकारियों के लिए यह एक चेतावनी है कि अब लापरवाही और मिली भगत नहीं चलेगी। इस संदर्भ में सभी उपरोक्त निलंबित अधिकारियों से बातचीत करके उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उनके फोन नंबर स्विच ऑफ मिले इस कारण उनसे बात नहीं हो पाई।आगे की कार्यवाई में प्रशासन जुटा हुआ है।
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