
Indian Mangoes Destroyed in US: अमेरिकी अधिकारियों ने भारतीय आमों की 15 खेप नष्ट की, 4 करोड़ रुपये का नुकसान
Indian Mangoes Destroyed in US: भारत के आम पूरी दुनिया में स्वाद और खुशबू के लिए जाने जाते हैं, लेकिन हाल ही में भारतीय आमों (Indian Mangoes) को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है। अमेरिका ने भारत से भेजी गई 15 खेप (mango shipments) को अपने बंदरगाहों पर नकारते हुए उन्हें नष्ट (destroyed in US) कर दिया है। इन खेपों की कीमत करीब 4 करोड़ रुपये (USD 500,000) बताई जा रही है। इसका मुख्य कारण radiation document error बताया गया है।
अमेरिका ने क्यों नष्ट की खेप?
अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने दावा किया कि भारत से भेजे गए आमों के साथ जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे, उनमें गंभीर त्रुटियां थीं। खासकर PPQ203 form में तकनीकी खामियाँ थीं, जो कि भारत से अमेरिका भेजे गए आमों की irradiation process के प्रमाणन के लिए जरूरी होता है। PPQ203 form rejected होने के कारण, अमेरिकी सीमा शुल्क (US Customs and Border Protection) ने इन mango shipments को बाजार में प्रवेश की अनुमति नहीं दी।
Radiation Process क्या होती है?
Irradiation एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें फलों को नियंत्रित मात्रा में radiation में रखा जाता है, जिससे उनमें मौजूद कीटाणु और कीड़े खत्म हो जाते हैं। यह प्रक्रिया अमेरिका जैसे देशों में fruit import के लिए अनिवार्य होती है।
8 और 9 मई को इन आमों को मुंबई के नवी मुंबई irradiation center में विकिरणित किया गया था। इस प्रक्रिया के दौरान USDA के अधिकारी भी मौजूद थे, और उनके द्वारा ही PPQ203 form प्रमाणित किया गया था। लेकिन बाद में दावा किया गया कि प्रक्रिया में त्रुटि हुई है, जिसके कारण mango shipment rejected by USDA हो गई।
निर्यातकों को हुआ भारी नुकसान
चूंकि आम जल्दी खराब हो जाते हैं और उन्हें वापस भारत भेजने की लागत बहुत अधिक होती है, इसलिए भारतीय निर्यातकों ने सभी 15 खेपों को अमेरिका में ही नष्ट करने का फैसला लिया। इससे उन्हें लगभग 4.28 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह मामला Indian mangoes destroyed in US का बड़ा उदाहरण बन गया है, जो आगे भी निर्यात पर असर डाल सकता है।
निर्यातकों का दावा
कुछ निर्यातकों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि उन्होंने सभी नियमानुसार प्रक्रिया पूरी की थी। उनका कहना है कि अगर irradiation process सही नहीं थी तो उन्हें PPQ203 form कैसे मिल गया? उनके अनुसार USDA का अधिकारी स्वयं वहां उपस्थित था और उसी के हस्ताक्षर के बाद shipment को मुंबई एयरपोर्ट से अमेरिका भेजा गया।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें किसी और की गलती की सजा मिली है, क्योंकि यदि radiation document error mangoes के कारण shipment को रोका गया, तो USDA को भी इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
अमेरिका से मुआवज़ा नहीं मिलेगा
USDA ने स्पष्ट कर दिया है कि इस shipment के लिए अमेरिकी सरकार कोई मुआवज़ा नहीं देगी। नोटिस में यह भी लिखा गया है कि खेप को या तो वापस भारत भेजा जाए या अमेरिका में ही destroy कर दिया जाए। निर्यातकों ने लागत और नुकसान के आकलन के बाद खेप को अमेरिका में ही नष्ट करना उचित समझा।
भारत-अमेरिका व्यापार पर असर
यह घटना India-US mango export news में बड़ी सुर्खियाँ बन गई है। भारतीय निर्यातकों और सरकार के लिए यह चेतावनी है कि documentation और compliance में कोई भी लापरवाही भारी नुकसान पहुँचा सकती है।
Indian mangoes destroyed in US की यह घटना भारत के फलों के निर्यात (fruit export India) को नुकसान पहुंचा सकती है अगर ऐसे दस्तावेजी विवाद भविष्य में भी दोहराए जाते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की साख पर भी असर पड़ सकता है।
Aarambh News की राय
सरकार को चाहिए कि वह irradiation centers में transparency सुनिश्चित करे और USDA जैसे विदेशी एजेंसियों के साथ better coordination बनाए। साथ ही, निर्यातकों को training और certification प्रक्रिया में अधिक सहायता देनी चाहिए।
मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि गलती कहां हुई – irradiation प्रक्रिया में, USDA की निगरानी में या डॉक्यूमेंटेशन में। ऐसा होने पर भविष्य में Indian mango exports में भरोसे को बहाल किया जा सकता है।
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