Kantara Chapter 1 Review: रहस्य, रोमांच और रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी
Kantara Chapter 1 Review: साल 2022 में जब ‘कांतारा’ रिलीज हुई थी, तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह फिल्म इतनी बड़ी सांस्कृतिक घटना बन जाएगी। महज 16 करोड़ के बजट में बनी इस कन्नड़ फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 300 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन कर सबको चौंका दिया था। इस फिल्म का रहस्यवाद, लोककथा और दैवीय अंदाज दर्शकों के दिल को छू गया। तभी से लोग इसके अगले पार्ट यानी ‘कांतारा: चैप्टर 1’ का इंतजार कर रहे थे। और अब दशहरे पर यह फिल्म बड़े पर्दे पर आ चुकी है।
तो सवाल यह है—क्या यह फिल्म अपने पहले भाग की तरह दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर पाती है? आइए जानते हैं।
कहानी की झलक
कहानी की शुरुआत होती है कदंब वंश के एक आततायी शासक से, जिसकी भूख केवल सत्ता और जमीन पर कब्ज़ा करने की है। उसका लालच इतना बढ़ जाता है कि वह मानवता को रौंदने से भी पीछे नहीं हटता। उसकी नज़रें कांतारा की उस पवित्र और रहस्यमयी धरती पर पड़ती हैं, जिसकी रक्षा दैवीय शक्तियां करती हैं। ये शक्तियां हैं—पंजुरली दैव, गुलिगा दैव और वराह रूप। जब शासक इन ताकतों को ललकारता है, तो उसका अंत बेहद भयावह होता है।
लेकिन उसकी अगली पीढ़ी बच निकलती है और यही वैमनस्य आगे चलकर कहानी में एक गहरी दरार छोड़ जाता है। दशकों बाद हम पहुंचते हैं बांगरा राज्य में, जहां वृद्ध राजा विजयेंद्र (जयराम) अपने बेटे राजशेखर (गुलशन देवैया) को सत्ता सौंप देता है। यह राजशेखर निर्दयी और अहंकारी है। जबकि उसकी बहन कनकवती (रुक्मिणी वसंत) समझदार और जिम्मेदार है।
इसी समय, कांतारा की पावन भूमि पर एक युवा बेरेमी (ऋषभ शेट्टी) उभरता है। वह अपने पिछड़े समुदाय को गरीबी और शोषण से बाहर निकालने का सपना देखता है। उसका विचार है कि धरती से निकले अनाज और औषधीय जड़ी-बूटियों का व्यापार कर कबीला आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकता है। लेकिन जैसे ही वह अपने सपनों के साथ आगे बढ़ता है, उसका टकराव सत्ता और लालच से हो जाता है। यही टकराव धीरे-धीरे मनुष्य और अलौकिक शक्तियों के बीच संघर्ष का रूप ले लेता है।
निर्देशन और प्रस्तुति
निर्देशक और लेखक ऋषभ शेट्टी ने इस फिल्म में एक बार फिर अपनी काबिलियत साबित की है। फिल्म की शुरुआत वॉइस-ओवर से होती है, जो हमें बैकस्टोरी में ले जाती है। शुरुआत में कहानी थोड़ी धीमी लग सकती है, लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म एकदम रफ्तार पकड़ती है और दर्शकों को सांस रोक देने वाला अनुभव देती है।
शेट्टी ने फिल्म में रहस्य, लोककथा, पौराणिक कथाओं और सामाजिक संघर्ष को खूबसूरती से पिरोया है। सबसे खास बात यह है कि यह फिल्म केवल अच्छाई बनाम बुराई की साधारण कहानी नहीं है, बल्कि इसमें गरीबी और अमीरी का संघर्ष, सभ्यता और जंगल का द्वंद्व, शांति और क्रोध का टकराव भी बारीकी से दिखाया गया है।
सिनेमैटोग्राफी और विजुअल इफेक्ट्स
‘कांतारा: चैप्टर 1’ की सबसे बड़ी ताकत है इसकी भव्य सिनेमैटोग्राफी। जंगलों के दृश्य, युद्ध के सीन और अलौकिक क्षण—सबकुछ इतनी खूबसूरती से फिल्माया गया है कि दर्शक परदे से नजरें नहीं हटा पाते।
फाइट सीक्वेंसेज़ भी फिल्म की जान हैं। खासकर गोरिल्ला-स्टाइल की लड़ाई, रथ के बेकाबू होने का दृश्य, और क्लाइमेक्स का महाकाव्य एक्शन सीक्वेंस—ये सब इतने शानदार हैं कि दर्शकों को सिनेमाघर में बैठकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
बैकग्राउंड स्कोर और गाने फिल्म को और भी ऊंचाई देते हैं। संगीत रहस्यवाद और रोमांच दोनों को मजबूती देता है।
कलाकारों का अभिनय
- ऋषभ शेट्टी – उन्होंने बतौर लेखक, निर्देशक और अभिनेता तीनों भूमिकाओं में खुद को साबित किया है। उनके अभिनय में परतें हैं—एक्शन में तीव्रता, इमोशंस में गहराई और देव स्वरूप में ऐसा आभामंडल कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
- रुक्मिणी वसंत (कनकवती) – वह फिल्म की सरप्राइज पैकेज हैं। अपनी खूबसूरती के साथ-साथ उनके किरदार में आए ट्विस्ट दर्शकों को चौंकाते हैं।
- गुलशन देवैया (राजशेखर) – खलनायक के रूप में उनका अंदाज अलग है। वह कहानी में मजबूती और तीखापन लाते हैं।
- जयराम (विजयेंद्र) – अपने अनुभव से वह फिल्म में गहराई और प्रामाणिकता भरते हैं।
बाकी के कलाकार भी कहानी को जीवंत बनाने में अपना पूरा योगदान देते हैं।
फिल्म क्यों देखें?
अगर आप ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं, जो सिर्फ मनोरंजन न होकर एक अनुभव हो… तो ‘कांतारा: चैप्टर 1’ जरूर देखें। यह फिल्म आपको रहस्य और लोककथा की दुनिया में ले जाएगी।
- इसमें है भव्यता और विजुअल ट्रीट
- दमदार एक्शन और शानदार बैकग्राउंड स्कोर
- लोककथा, पौराणिकता और सामाजिक संघर्ष का संगम
- ऋषभ शेट्टी का बेहतरीन निर्देशन और अभिनय
यह भी पढ़े
Diljit Dosanjh : देशद्रोही कहे जाने वाले दिलजीत ने दी सच्चाई, एमी नॉमिनेशन के साथ आया नया मोड़!


bevdwf